प्राण कुमार शर्मा
प्राण कुमार शर्मा
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पूरा नाम | प्राण कुमार शर्मा |
अन्य नाम | 'प्राण' |
जन्म | 15 अगस्त, 1938 |
जन्म भूमि | कसूर नामक क़स्बा, जो अब पाकिस्तान में है। |
मृत्यु | 5 अगस्त, 2014 |
मृत्यु स्थान | गुड़गाँव, हरियाणा (भारत) |
कर्म-क्षेत्र | व्यंग्य चित्रकार (कार्टूनिस्ट) |
मुख्य रचनाएँ | दब्बू, लोटपोट आदि |
भाषा | हिंदी, अंग्रेज़ी |
शिक्षा | एम. ए. (राजनीति शास्त्र) |
विद्यालय | जे.जे. स्कूल ऑफ़ आर्ट, मुम्बई |
प्रसिद्धि | भारतीय कॉमिक जगत् में सर्वाधिक लोकप्रिय पात्र 'चाचा चौधरी' को बनाने के कारण। |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | अमेरिका स्थित कार्टून कला के अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय में उनकी बनाई कार्टून स्ट्रिप ‘चाचा चौधरी’ को स्थाई रूप से रखा गया है। |
प्राण कुमार शर्मा (अंग्रेज़ी: Pran Kumar Sharma, जन्म: 15 अगस्त, 1938 – मृत्यु: 5 अगस्त, 2014) जिन्हें कार्टूनिस्ट प्राण के नाम से भी जाना जाता है। भारतीय कॉमिक जगत् के सबसे सफल और लोकप्रिय कार्टूनिस्ट प्राण ने 1960 से कार्टून बनाने की शुरुआत की। प्राण द्वारा बनाए सर्वाधिक लोकप्रिय पात्र 'चाचा चौधरी', 'साबू', रॉकेट, बिल्लू एवं श्रीमतीजी हैं।
जीवन परिचय
प्राण कुमार शर्मा जन्म 15 अगस्त, 1938 को कसूर नामक कस्बे में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है। बंटवारे के बाद उनका परिवार भारत आ गया। एम.ए. (राजनीति शास्त्र) और फ़ाइन आर्ट्स के अध्ययन के बाद सन 1960 से दैनिक मिलाप से उनका कैरियर आरम्भ हुआ। तब भारत में विदेशी कॉमिक्स का ही बोलबाला था। ऐसे में प्राण ने भारतीय पात्रों की रचना करके स्थानीय विषयों पर कॉमिक बनाना शुरू किया। भारतीय कॉमिक जगत् के सबसे सफल और लोकप्रिय रचयिता कार्टूनिस्ट प्राण के रचे अधिकांश पात्र लोकप्रिय हैं पर प्राण को सर्वाधिक लोकप्रिय उनके पात्र चाचा चौधरी और साबू ने ही बनाया। अमेरिका के इंटरनेशनल म्यूज़ियम ऑफ़ कार्टून आर्ट में उनकी बनाई कार्टून स्ट्रिप ‘चाचा चौधरी’ को स्थाई रूप से रखा गया है।
'चाचा चौधरी' और 'साबू' के जनक
चाचा चौधरी संभवतः भारत के सबसे लोकप्रिय कार्टून चरित्रों में से एक हैं। इनके रचयिता है-कार्टूनिस्ट प्राण कुमार शर्मा, जिन्हें प्राण के नाम से जाना जाता है। एक बार प्राण साहब ने सोचा कि क्यों ना एक भारतीय कॉमिक्स पात्र बनाया जाए, एक बुड्ढा, जो अपने तेज दिमाग़ से चुटकियों मे समस्याओं को हल कर दे और इस तरह चाचा चौधरी ने सफ़ेद कागज़ पर जन्म लिया। चाचा चौधरी की बीवी का नाम 'बन्नी चाची' है। इनके कोई बच्चे नहीं हैं, पर इसी कॉमिक दुनिया के पात्र, 'बिल्लू' और 'पिंकी' चाचा चौधरी के बच्चों सामान ही हैं। एक जमाने में काफ़ी लोकप्रिय रही पत्रिका लोटपोट के लिए बनाये उनके कई कार्टून पात्र काफ़ी लोकप्रिय हुए। बाद में कार्टूनिस्ट प्राण ने चाचा चौधरी और साबू को केन्द्र में रखकर स्वतंत्र कॉमिक पत्रिकाएं भी प्रकाशित कीं। बड़े से बड़ा अपराधी या छोटा-मोटा गुन्डा-बदमाश या जेब कतरा, कुत्ते के साथ घूमने वाले लाल पगड़ी वाले बूढ़े को कौन नहीं जानता। यह सफ़ेद मूंछों वाला बूढ़ा आदमी चाचा चौधरी है। उसकी लाल पगड़ी भारतीयता की पहचान है। कभी-कभी पगड़ी बदमाशों को पकड़ने के काम भी आती है।
कहते हैं कि चाचा चौधरी का दिमाग़ कम्प्यूटर से भी तेज चलता है। सो अपने तेज दिमाग़ की सहायता से चाचा चौधरी बड़े से बड़े अपराधियों को भी धूल चटाने में माहिर हैं। चाचा चौधरी की रचना चाणक्य के आधार की गयी है, जो बहुत बुद्धिमान व्यक्ति थे। सामान्य से दिखने वाले गंजे, छोटे कद के, बूढ़े चाचा चौधरी का दिमाग़ बहुत तेज था। वह अपने दिमाग़ से हर समस्या का हल कर देता है। चाचा चौधरी स्वयं शक्तिशाली नहीं, पर जुपिटर ग्रह से आया 'साबू' अपनी असाधारण शारीरिक क्षमता से चाचा चौधरी की परछाई की तरह उनके साथ रहकर यह कमी पूरी कर देता है। इस तरह साबू और चाचा चौधरी मिल कर अपराधियों को पकड़वा देते है। चाचा चौधरी का साथी है साबू, जो जूपिटर ग्रह का निवासी है और जिसका शरीर दैत्याकार है। साबू को एक तरह से चाचा जी का बेटा कहा जा सकता है। चाचा चौधरी का एक कुत्ता भी है, 'राकेट' नाम का। इसके बारे में कॉमिक-सीरीज में लिखा गया है की "चाचा चौधरी का कुत्ता स्लर्प स्लर्प दूध पीता है"। ये कुत्ता किसी ख़ास नस्ल का नहीं है, पर फिर भी कई बार चाचा चौधरी के काम आया है। कई बार चाचा जी की पगड़ी भी कमाल दिखा देती है। इनके प्रमुख दुश्मन पात्र हैं गोबर सिंह, राका आदि।[1]
भारतीय कार्टून कॉमिक जगत् के ‘सरपंच’
विभिन्न हिन्दी व अन्य भाषाओं के समाचार पत्र-पत्रिकाओं में उनके अनेक पात्र धूम मचाते रहे हैं। उनके रचे बिल्लू, पिन्की, तोषी, गब्दू, बजरंगी पहलवान, छक्कन, जोजी, ताऊजी, गोबर गणेश, चम्पू, भीखू, शान्तू आदि तमाम पात्र जनमानस में सालों से बसे हुए हैं। चाचा चौधरी की कॉमिक्स हिन्दी, अंग्रेज़ी के अलावा अन्य भारतीय भाषाओं में भी प्रकाशित होती है। हास्य और रोमांच से भरे ये कॉमिक बच्चों और बड़ों का भरपूर मनोरंजन करते है। इसलिए ही भारतीय कार्टून कॉमिक जगत् के ‘सरपंच’ कार्टूनिस्ट प्राण ही हैं।[1] 1969 में जब हिंदुस्तान में कंप्यूटर के बारे में ज़्यादा लोग नहीं जानते थे तब वह चाचा चौधरी जैसा एक ऐसा चरित्र लेकर सामने आए जिसका दिमाग़ कंप्यूटर से भी तेज चलता है। कार्टून की दुनिया में छाये विदेशी चरित्रों पर चाचा चौधरी की ऐसी लाठी चली कि बच्चे ही नहीं बड़े भी दीवाने हो गए। उन्होंने 1960 में दैनिक मिलाप में दाबू के नाम से कार्टून बनाना शुरू किया था। उनके रचे बिल्लू, पिंकी, श्रीमती जी और रमन जैसे कार्टून चरित्रों ने भी काफ़ी शोहरत हासिल की। प्राण ने दस भाषाओं में क़रीब पांच सौ कॉमिक्स तैयार किए। पिंकी और उसका लैपटॉप, चाचा चौधरी और फेक करंसी और बिल्लू का शॉट ब्रेक, ये उनके अंतिम तीन कामिक्स हैं। कार्टूनिस्ट सुधीर तैलंग कहते हैं कि उन्होंने देश के इतिहास में एक निशान बना दिया था। उन्होंने जो देसी पात्र बनाए, वह हमारे पड़ोस या हमारे घर या हमारे गांव से जुड़े लोगों को जैसे लगते हैं। उन्होंने हास्य स्ट्रिप्स के स्वर्ण युग दुनिया में एकरसता को तोड़ा था। वह दुनिया के शीर्ष दस मनोरंजन के रूप में माने जाते थे। चार्ल्स शुल्ज की सूची के अनुसार वह माइकल जैक्सन से अधिक विख्यात थे। प्राण साहब कॉमिक्स की सभी तस्वीरों को खुद बनाते थे। कहानियां भी खुद लिखते थे। अपने कार्टून चरित्रों के जरिए रोजमर्रा की जिंदगी पर गहरा व्यंग्य करने का जैसा हुनर प्राण ने साधा था, वैसा अब शायद ही कोई कर पाए। प्राण ने अपने जीवन के शुरुआत में कभी सोचा भी नहीं था कि वो कार्टूनिस्ट बनेंगे। वे पहले पत्रिका 'मिलाप' से जुड़े और यहीं से उन्होंने कार्टून बनाने की शुरुआत की। यहीं पर उन्होंने चाचा चौधरी का कार्टून बनाया। इसके बाद उन्होंने डायमंड कॉमिक के लिए तमाम पात्र गढ़े जो आज घर-घर में लोकप्रिय है। उन्हें कई अवॉर्ड भी मिले।[2]
प्राण द्वारा रचित विभिन्न किरदारों के नाम
- चाचा चौधरी
- साबू और रॉकेट
- बिल्लू
- पिंकी
- श्रीमतीजी
- चन्नी चाची
- रमन
- तोषी
- गब्दू
- बजरंगी पहलवान
- छक्कन
- जोजी
- ताऊजी
- गोबर गणेश
- चम्पू
- भीखू और शान्तू[1]
भारत के वॉल्ट डिज्नी
देशभर में ऐसा कोई और कार्टून चरित्र शायद ही हो जो सिर पर चटख लाल पगड़ी, चेहरे पर घनी मूंछों वाले छोटे से कद के चाचा चौधरी से ज्यादा प्रभाव रखता हो। इस मशहूर किरदार के रचयिता प्राण कुमार शर्मा अपने पीछे एक ऐसी विरासत छोड़ गये हैं, जिसका कोई सानी नहीं है। कॉमिक्स प्रेमियों का मानना है कि प्राण के जाने से कार्टूनों की दुनिया में एक ऐसा ख़ालीपन पैदा हो गया है, जिसका भरना अब मुश्किल है। प्रसिद्ध कॉमिक्स के बैनर तले प्राण ने 500 से ज़्यायादा शीषर्क प्रकाशित किए। उनके 25,000 से ज्यादा कॉमिक्स अंग्रेज़ी, हिन्दी और बंगाली समेत कुल 10 भाषाओं में छपे। प्राण की कई कृतियों पर कार्टून फ़िल्में भी बनाई गईं। वर्ष 2009 में आए एक रूपांतरण में रघवीर यादव ने चाचा चौधरी का किरदार निभाया था।
सम्मान और पुरस्कार
प्राण को कई पुरस्कारों से नवाजा गया था। वर्ष 1995 में उनका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्डस में दर्ज किया गया था। इसके अलावा इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ कार्टूनिस्ट्स ने वर्ष 2001 में उन्हें ‘लाइफ टाईम अचीवमेंट अवॉर्ड’ से नवाजा था। ‘द वर्ल्ड एनसाइक्लोपीडिया ऑफ कॉमिक्स‘ में प्राण को ‘‘भारत का वॉल्ट डिज्नी’’ बताया गया है और चाचा चौधरी की पट्टी अमेरिका स्थित कार्टून कला के अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय में लगी हुई है।[3]
निधन
भारत के प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट प्राण कुमार शर्मा का 75 साल की आयु में 5 अगस्त, 2014 मंगलवार की रात को गुड़गांव के एक अस्पताल में निधन हो गया। वे लंबे समय से कैंसर और दिल की बीमारी से जूझ रहे थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार 6 अगस्त, 2014 को प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट और कॉमिक पुस्तक चाचा चौधरी के रचनाकार प्राण कुमार शर्मा के निधन पर दु:ख व्यक्त किया। प्रधानमंत्री ने उन्हें बहुमुखी प्रतिभा का धनी कार्टूनिस्ट करार देते हुए कहा कि उन्होंने कई लोगों के चेहरे पर मुस्कान बिखेरी। प्रधानमंत्री कार्यालय के आधिकारिक ट्विटर के अनुसार, प्रधानमंत्री ने प्राण को बहुमुखी प्रतिभा का धनी कार्टूनिस्ट करार दिया है, जिन्होंने अपने कार्य के जरिए कई लोगों के चेहरे पर मुस्कान बिखेरी।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 1.2 1.3 भारतीय कार्टून कॉमिक जगत् के सरपंच थे कार्टूनिस्ट प्राण (हिंदी) हिंदुस्तान लाइव। अभिगमन तिथि: 7 अगस्त, 2014।
- ↑ भारतीय कार्टून कॉमिक जगत् के सरपंच थे कार्टूनिस्ट प्राण (हिंदी) आईबीएन खबर। अभिगमन तिथि: 7 अगस्त, 2014।
- ↑ भारत के वॉल्ट डिज्नी थे प्राण कुमार शर्मा (हिंदी) वेब दुनिया। अभिगमन तिथि: 7 अगस्त, 2014।
बाहरी कड़ियाँ
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