इंदिरा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा

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इंदिरा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा
इंदिरा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा
इंदिरा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा
आईएटीए डीईएल (DEL)
आईसीएओ वीआईडीपी (VIDP)
प्रकार सार्वजनिक
संचालक देल्ही इन्टरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड
स्थिति दिल्ली, भारत
अन्य जानकारी भारत के राष्ट्रीय अनुप्रयुक्त आर्थिक अनुसंधान परिषद द्वारा किए गए एक अध्ययन से ज्ञात हुआ है कि दिल्ली का इंदिरा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा लगभग 5.16 लाख लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार उपलब्ध कराता है, जो अमेरिका में हार्ट्सफील्ड जैक्सन एटलांटा इंटरनेशनल एयरपोर्ट में कार्यरत लोगों के मुकाबले 18 प्रतिशत अधिक है।
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इंदिरा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (अंग्रेज़ी: Indira Gandhi International Airport, आईएटीए : DEL, आईसीएओ : VIDP) भारत में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली का प्रधान अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है। यह नई दिल्ली नगर से लगभग 16 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी के नाम पर इस हवाई अ‍ड्डे का नाम रखा गया है। यह भारत सबसे व्यस्त रहने वाला हवाई अड्डा है। इंदिरा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के नवीनतम टर्मिनल-3 के चालू हो जाने के बाद से 4 करोड़ 60 लाख यात्री क्षमता तथा वर्ष 2030 तक की अनुमानित यात्री क्षमता 10 करोड़ के साथ यह भारत के साथ-साथ पूरे दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा और सबसे महत्त्वपूर्ण व्यापार संबंधी विमानन केन्द्र बन गया है।

इतिहास

सन 1930 में दिल्ली का प्रथम हवाई अड्डा सफ़दरजंग विमान क्षेत्र था और यही 1962 तक दिल्ली का प्रमुख हवाई अड्डा रहा। बढ़ते वायु यातायात के कारण व सफ़दरजंग में छोटी उड़ान पट्टी की बड़े जेट विमानों को उतार पाने में अक्षमता के कारण 1962 में लगभग सभी नागरिक उड़ान प्रचालन को पालम विमान क्षेत्र (तत्कालीन नाम, जिसे बाद में इंदिरा गाँधी अंतरराष्ट्रीय विमान क्षेत्र कर दिया गया) भेज दिया गया। पालम हवाई अड्डे का निर्माण द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान किया गया और अंग्रेज़ों के जाने के बाद यह 1962 तक मात्र वायु सेना स्टेशन के रूप में ही कार्य कर रहा था।

पालम हवाई अड्डे की सर्वोच्च यात्री क्षमता 1300 यात्री प्रति घंटा थी। 1970 के दशक के अंत तक वाय़ु यातायात में बढ़ोत्तरी के चलते, तत्कालीन टर्मिनल क्षमता के चार गुना क्षमता वाला नया टर्मिनल बनाया गया। 2 मई, 1986 को इस नये बने टर्मिनल के उद्घाटन के समय पालम हवाई अड्डे को भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नाम पर वर्तमान नाम इंदिरा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा दिया गया

सार्वजनिक निजी साझेदारी

31 जनवरी, 2006 को भारत के तत्कालीन नागरिक उड्डयन मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने घोषणा की कि सक्षम मंत्री समूह ने दिल्ली विमान क्षेत्र के प्रबंधन अधिकार जी.एम.आर समूह संचालित डी.आई.ए.एल को तथा मुंबई विमान क्षेत्र के अधिकार जी.वी.के समूह संचालित संघ को देने का निर्णय लिया है। 2 मई, 2006 को दिल्ली एवं मुंबई विमान क्षेत्रों के प्रबंधन निजी संघों को सौंप दिये गए। देल्ही इन्टरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड, जीएमआर समूह (50.1 प्रतिशत), फ़्रैपोर्ट एजी (10 प्रतिशत) एवं मलेशिया एयरपोर्ट्स (10 प्रतिशत), इण्डिया डवलपमेंट फ़ण्ड (3.9 प्रतिशत) को सौंप दिये गए एवं भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के पास मात्र 26 प्रतिशत भाग ही शेष रह गया।

सांख्यिकी

इंदिरा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा में दो प्राथमिक/द्वितीयक रडार स्थापित हैं, जो विमान यातायात सेवाओं में अत्यधिक सहायक हैं। पुराना हवाई टर्मिनल अब टर्मिनल-1 कहलाता है और यहां से अधिकतर बजट वायु सेवाओं की अन्तर्देशीय उड़ानें संचालित होती हैं। टर्मिनल-3 पृथक भागों में बंटा हुआ है– 1ए (एयर इंडिया, एमडीएलआर एवं गो एयर उड़ानों हेतु), 1बी (पहले अन्तर्देशीय उड़ानों के लिये प्रयोग होता था, अब बंद होकर ध्वस्त किया जा चुका है), अन्तर्देशीय आगमन टर्मिनल 1सी एवं नवनिर्मित 1डी (अब सभी शेष अन्तर्देशीय वायुसेवाओं हेतु प्रयोग किया जाता है)। अति महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों हेतु वायुसेना के तकनीकी क्षेत्र में पृथक स्थान है। इनके अलावा हज उड़ानों हेतु विशिष्ट समर्पित टर्मिनल भी बना हुआ है।

भारतीय उड्डयन उद्योग के ऊंचाइयों को छूते समय में एवं विभिन्न निम्न-लागत निजी सेवाओं के उद्योग में आगमन से, विमान क्षेत्र ने यात्री संख्या एवं यातायात में एक बड़ी उछाल का सामना किया। टर्मिनल-1 की अनुमानित क्षमता 71.5 लाख यात्री प्रतिवर्ष है। हालांकि वर्ष 2005-06 के दौरान वास्तविक यात्री आवागमन एक करोड़ 40 लाख रहा। अन्तर्राष्ट्रीय टर्मिनल (टर्मि.2) को मिलाकर हवाई अड्डे की कुल यात्री क्षमता एक करोड़ 25 लाख यात्री प्रतिवर्ष रही, जबकि 2006-07 में कुल यात्री संख्या 1.65 करोड़ यात्री प्रतिवर्ष थी। वर्ष 2008 में हवाई अड्डे में कुल यात्री संख्या 2.39 करोड़ तक जा पहुंची थी।

दिल्ली का हवाई अड्डा दुनिया में सबसे बड़े नियोक्ताओं में से एक आंका गया है। दिल्ली की आर्थिक सुदृढ़ता बनाये रखने में इसका बड़ा योगदान है। आंकड़ों के अनुसार यहां पांच लाख से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं। भारत के राष्ट्रीय अनुप्रयुक्त आर्थिक अनुसंधान परिषद द्वारा किए गए एक अध्ययन से ज्ञात हुआ है कि दिल्ली का इंदिरा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा लगभग 5.16 लाख लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार उपलब्ध कराता है, जो अमेरिका में हार्ट्सफील्ड जैक्सन एटलांटा इंटरनेशनल एयरपोर्ट में कार्यरत लोगों के मुकाबले 18 प्रतिशत अधिक है। राजधानी दिल्ली और भारत के आर्थिक विकास और रोजगार पर इंदिरा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा के प्रभाव का आकलन करने के लिए भारत में अपनी तरह के इस पहले अध्ययन में कहा गया कि दिल्ली हवाई अड्डे पर रोजगार राष्ट्रीय रोजगार का 0.11 प्रतिशत और राज्य में रोजगार का 8.47 प्रतिशत है।


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