भारत
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भारत / India
भारत विश्व का सातवां सबसे विशाल देश है और विश्व की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक है जो बहुरंगी विविधता और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से ओतप्रोत है। आज़ादी के बाद 62 वर्षों में भारत ने सामाजिक और आर्थिक प्रगति की है। भारत कृषि में आत्मनिर्भर देश है और औद्योगीकरण में भी विश्व के देशों में भी इसकी गिनती की जाती है। यह उन देशों में से एक है, जो चांद पर पहुंच चुके हैं। भारत का कुल क्षेत्रफल 32,87,263 वर्ग कि.मी. है, जो हिमाच्छादित हिमालय की बुलन्दियों से दक्षिण के विषुवतीय वर्षा वनों तक विस्तृत है। विश्व का सातवां बड़ा देश होने के कारण भारत एशिया महाद्वीप में अलग दिखायी देता है। इसकी सरहदें हिमालय पर्वत और समुद्रों ने बांधी है, जो इसे एक विशिष्ट भौगोलिक पहचान देते हैं। उत्तर में बृहत् हिमालय की पर्वत श्रृंखला से घिरा यह देश कर्क रेखा से आगे संकरा होता चला जाता है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी, पश्चिम में अरब सागर तथा दक्षिण में हिन्द महासागर इसकी सीमाओं का निर्धारण करते हैं।
उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत की भूमि 8 डिग्री 4 मिनट और 37 डिग्री 6 मिनट उत्तरी अक्षांश और 68 डिग्री 7 मिनट तथा 97 डिग्री 25 मिनट पूर्वी देशान्तर के बीच में स्थित है । उत्तर से दक्षिण तक इसकी अधिकतम लंबाई 3,214 कि.मी. और पूर्व से पश्चिम तक अधिकतम चौड़ाई 2,933 कि.मी. है। इसकी थल सीमाओं की लंबाई लगभग 15,200 कि.मी. और तटरेखा की कुल लम्बाई 7,516.6 कि.मी है। यह उत्तर में हिमालय पर्वत, पूर्व में बंगाल की खाड़ी, पश्चिम में अरब सागर तथा दक्षिण में हिंद महासागर से घिरा हुआ है।
प्राकृतिक संसाधन
कोयला, लौह अयस्क, मैगनीज अयस्क, माइका, बॉक्साइट, पेट्रोलियम, टाइटानियम अयस्क, क्रोमाइट, प्राकृतिक गैस, मैगनेसाइट, चूना पत्थर, अराबल लेण्ड, डोलोमाइट, माऊलिन, जिप्सम, अपादाइट, फोसफोराइट, स्टीटाइल, फ्लोराइट आदि।
भौगोलिक विशेषताएं
देश का मुख्य भूभाग चार क्षेत्रों में विभाजित है-
- महापर्वत हिमालय का क्षेत्र,
- गंगा और सिंधु नदी के मैदानी क्षेत्र
- मरूस्थली क्षेत्र और
- दक्षिणी प्रायद्वीप।
हिमालय की तीन श्रृंखलाएं हैं, जो लगभग समानांतर हैं। इसके बीच बड़े - बड़े पठार और घाटियां हैं, इनमें काश्मीर और कुल्लू जैसी कुछ घाटियां उपजाऊ और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर हैं। संसार की सबसे ऊंची चोटियों में से कुछ चोटियाँ इन्हीं पर्वत श्रृंखलाओं में हैं। बहुत अधिक ऊंचाई होने के कारण आवागमन केवल कुछ ही दर्रों से होता है, जिनमें मुख्य हैं -
- चुंबी घाटी से होते हुए मुख्य भारत-तिब्बत व्यापार मार्ग पर जेलप ला और नाथू-ला दर्रे,
- उत्तर-पूर्व दार्जिलिंग तथा कल्पना (किन्नौर) के उत्तर - पूर्व में सतलुज घाटी में शिपकी ला दर्रा।
- पर्वतीय दीवार लगभग 2,400 कि.मी. की दूरी तक फैली है जो 240 कि.मी. से 320 कि.मी. तक चौड़ी है। पूर्व में भारत तथा म्यांमार और भारत एवं बंगलादेश के बीच में पहाड़ी श्रृंखलाओं की ऊंचाई बहुत कम है।
मरुस्थली क्षेत्र को दो भागों में बाँटा जा सकता है-
- बड़ा मरुस्थल जो कच्छ के रण की सीमा से लुनी नदी के उत्तरी ओर आगे तक फैला है। राजस्थान और सिंध की पूरी सीमा इसी से होकर गुजरती है।
- छोटा मरुस्थल लुनी से जैसलमेर और जोधपुर के बीच उत्तरी भूभाग तक फैला हुआ है।
बड़े और छोटे मरुस्थल के मध्य यह क्षेत्र बिल्कुल ही बंजर है जिसमें चूने के पत्थर की पर्वत माला द्वारा पृथक किया हुआ पथरीला भूभाग है।