अनैकांतिक

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
रविन्द्र प्रसाद (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:59, 22 सितम्बर 2023 का अवतरण
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें

अनैकांतिक (°) [नञ्+एकांत+ठक् न. त.] (स्त्रीलिंग-की)

1. अस्थिर, जो बहुत आवश्यक न हो
2. (तर्क. में) हेत्वाभास के मुख्य पाँच भागों से एक, अन्यथा यह 'सव्यभिचार' कहलाता है, और तीन प्रकार का है-
(क) 'साधारण' जहाँ कि हेतु दोनों ओर-स्वपक्ष तथा विपक्ष में-पाया जाए, फलतः तर्क अतिसामान्य हो जाए।
(ख) 'असाधारण' जहां हेतु केवल पक्ष में ही पाए जाएँ फलतः तर्क अतिसामान्य न हो।
(ग) 'अनुपसंहारी' जहां पक्ष में प्रत्येक ज्ञात बात तो सम्मिलित है, परन्तु तर्कों की अभी समाप्ति नहीं हुई है।[1]


इन्हें भी देखें: संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेताक्षर सूची), संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेत सूची) एवं संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 52 |

संबंधित लेख