खजुराहो
खजुराहो
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विवरण | खजुराहो भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त, छतरपुर ज़िले में स्थित एक प्रमुख शहर है जो अपने प्राचीन एवं मध्यकालीन मंदिरों के लिये विश्वविख्यात है। |
राज्य | मध्य प्रदेश |
ज़िला | छतरपुर ज़िला |
मार्ग स्थिति | सड़क मार्ग द्वारा देश के सभी प्रमुख शहरों से खजुराहो पहुँचा जा सकता है। |
प्रसिद्धि | मध्यकालीन मंदिरों के लिये |
कब जाएँ | अक्टूबर से मार्च |
कैसे पहुँचें | हवाई जहाज, रेल, बस, टैक्सी |
खजुराहो हवाई अड्डा | |
खजुराहो रेलवे स्टेशन[1] | |
बस अड्डा | |
बस, रिक्शा, ऑटो रिक्शा | |
क्या देखें | मंदिर |
कहाँ ठहरें | पायल होटल, साहिल होटल (दोनों पर्यटन विभाग द्वारा संपोषित), टेंपल, ओबेराय, खजुराहो अशोक, सनसेट व्यू, चंदेल आदि। इनके अतिरिक्त पर्यटन विभाग के ही टूरिस्ट विलेज और टूरिस्ट बंगले भी हैं। |
एस.टी.डी. कोड | 07861 |
गूगल मानचित्र, हवाई अड्डा (गूगल मानचित्र)] | |
आई गाइड, ट्रिप एडवाइज़र,मेक माइ ट्रिप |
खजुराहो
वैसे तो खजुराहो भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त, छतरपुर ज़िले में स्थित एक छोटा सा शहर है लेकिन फिर भी भारत में, ताज महल के बाद, सबसे ज़्यादा देखे और घूमे जाने वाले पर्यटन स्थलों में अगर कोई दूसरा नाम आता है तो वह है, खजुराहो। खजुराहो,भारतीय आर्य स्थापत्य और वास्तुकला की एक नायाब मिसाल है।
खजुराहो भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त, छतरपुर ज़िले में स्थित एक प्रमुख शहर है जो अपने प्राचीन एवं मध्यकालीन मंदिरों के लिये विश्वविख्यात है। खजुराहो प्यार का प्रतीक भी कहा जाता है। खजुराहो के सौन्दर्य का ही जादू है कि लोग यहाँ विदेशों से भी आते हैं और शुरु से ही यहाँ विदेशी लोगों का जत्था लगा रहता है। हिंदू कला और संस्कृति को शिल्पियों ने जैसे मंदिरों के पत्थरों पर उकेर दिया था। खजुराहो में 1000 साल से भी अधिक पुराने मंदिर हैं।[2]
खजुराहो वैसे तो खजुराहो भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त, छतरपुर ज़िले में स्थित एक छोटा सा शहर है लेकिन फिर भी भारत में, ताज महल के बाद, सबसे ज़्यादा देखे और घूमे जाने वाले पर्यटन स्थलों में अगर कोई दूसरा नाम आता है तो वह है, खजुराहो। खजुराहो,भारतीय आर्य स्थापत्य और वास्तुकला की एक नायाब मिसाल है। खजुराहो को इसके अलंकृत मंदिरों की वजह से जाना जाता है जोकि देश के सर्वोत्कृष्ठ मध्यकालीन स्मरक हैं। यह क्षेत्र प्राचीन काल में वत्स के नाम से, मध्यकाल में जैजाक्भुक्ति नाम से तथा चौदहवीं सदी के बाद बुन्देलखन्ड के नाम से जाना गया। खजुराहो के चन्देल वंश का उत्थान दसवीं सदी के शुरू से माना जाता है। इनकी राजधानी प्रासादों, तालाबों तथा मंदिरों से परिपूर्ण थी। स्थानीय धारणाऑं के अनुसार यहां 85 मंदिर थे लेकिन आज सिर्फ़ 25 मंदिर ही बचे हैं।
परिचय
खजुराहो चंदेल शासकों के प्राधिकार का प्रमुख स्थान था जिन्होंने यहाँ अनेकों तालाबों, शिल्पकला की भव्यता और वास्तुकलात्मक सुंदरता से सजे विशालकाय मंदिर बनवाए। यशोवर्मन[3] ने विष्णु का मंदिर बनवाया जो अब लक्ष्मण मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है और यह चंदेल राजाओं की प्रतिष्ठा का दावा करने वाले इसके समय के एक उदाहरण के रूप में स्थित है।
विश्वनाथ, पार्श्व नाथ और वैद्य नाथ के मंदिर राजा डांगा के समय से हैं जो यशोवर्मन के उत्तरवर्ती थे। खजुराहो का सबसे बड़ा और महान मंदिर अनश्वर कंदारिया महादेव का है जिसे राजा गंडा[4] ने बनवाया है। इसके अलावा कुछ अन्य उदाहरण हैं जैसे कि वामन, आदि नाथ, जवारी, चतुर्भुज और दुल्हादेव कुछ छोटे किन्तु विस्तृत रूप से संकल्पित मंदिर हैं। खजुराहो का मंदिर समूह अपनी भव्य छतों (जगती) और कार्यात्मक रूप से प्रभावी योजनाओं के लिए भी उल्लेखनीय है। यहाँ की शिल्पकलाओं में धार्मिक छवियों के अलावा परिवार, पार्श्व, अवराणा देवता, दिकपाल और अप्सराएँ तथा सूर सुंदरियाँ भी हैं। यहाँ वेशभूषा और आभूषण भव्यता मनमोहक हैं।[5]
परिचय
खजुराहो चंदेल शासकों के प्राधिकार का प्रमुख स्थान था जिन्होंने यहाँ अनेकों तालाबों, शिल्पकला की भव्यता और वास्तुकलात्मक सुंदरता से सजे विशालकाय मंदिर बनवाए। यशोवर्मन[6] ने विष्णु का मंदिर बनवाया जो अब लक्ष्मण मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है और यह चंदेल राजाओं की प्रतिष्ठा का दावा करने वाले इसके समय के एक उदाहरण के रूप में स्थित है।
विश्वनाथ, पार्श्व नाथ और वैद्य नाथ के मंदिर राजा डांगा के समय से हैं जो यशोवर्मन के उत्तरवर्ती थे। खजुराहो का सबसे बड़ा और महान मंदिर अनश्वर कंदारिया महादेव का है जिसे राजा गंडा[7] ने बनवाया है। इसके अलावा कुछ अन्य उदाहरण हैं जैसे कि वामन, आदि नाथ, जवारी, चतुर्भुज और दुल्हादेव कुछ छोटे किन्तु विस्तृत रूप से संकल्पित मंदिर हैं। खजुराहो का मंदिर समूह अपनी भव्य छतों (जगती) और कार्यात्मक रूप से प्रभावी योजनाओं के लिए भी उल्लेखनीय है। यहाँ की शिल्पकलाओं में धार्मिक छवियों के अलावा परिवार, पार्श्व, अवराणा देवता, दिकपाल और अप्सराएँ तथा सूर सुंदरियाँ भी हैं। यहाँ वेशभूषा और आभूषण भव्यता मनमोहक हैं।[8]
इतिहास
खजुराहो का प्राचीन नाम 'खर्जुरवाहक' है। 900 से 1150 ई. के बीच यह चन्देल राजपूतों के राजघरानों के संरक्षण में राजधानी और नगर था, जो एक विस्तृत क्षेत्र 'जेजाकभुक्ति' (अब मध्य प्रदेश का बुंदेलखंड क्षेत्र) के शासक थे। चन्देलों के राज्य की नींव आठवीं शती ई. में महोबा के चन्देल नरेश चंद्रवर्मा ने डाली थी। तब से लगभग पाँच शतियों तक चन्देलों की राज्यसत्ता जुझौति में स्थापित रही। इनका मुख्य दुर्ग कालिंजर तथा मुख्य अधिष्ठान महोबा में था। 11वीं शती के उत्तरार्द्ध में चन्देलों ने पहाड़ी क़िलों को अपनी गतिविधियों का केन्द्र बना लिया। लेकिन खजुराहो का धार्मिक महत्व 14वीं शताब्दी तक बना रहा। इसी काल में अरबी यात्री इब्न बतूता यहाँ पर योगियों से मिलने आया था। खजुराहो धीरे-धीरे नगर से गाँव में परिवर्तित हो गया और फिर यह लगभग विस्मृति में खो गया।
यातायात
खजुराहो, महोबा से 54 किलोमीटर दक्षिण में, छतरपुर से 45 किलोमीटर पूर्व और सतना ज़िले से 105 किलोमीटर पश्चिम में स्थित है तथा निकटतम रेलवे स्टेशनों अर्थात् महोबा, सतना और झांसी से पक्की सड़कों से खजुराहो अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।[9]
हवाई मार्ग खजुराहो के लिए दिल्ली, बनारस और आगरा से प्रतिदिन विमान–सेवा उपलब्ध रहती है।
रेल मार्ग दिल्ली से खजुराहो वाया माणिकपुर यूपी संपर्क क्रांति ट्रेन से जुड़ा हुआ है। इसके अलावा, दिल्ली-चेन्नई रेल मार्ग पर पड़ने वाले स्टेशनों महोबा (61 किमी ), हरपालपुर (94 किमी ) और झांसी (172 किमी ) से भी ट्रेन बदलकर खजुराहो जाया जा सकता है।
बस मार्ग खजुराहो सतना, हरपालपुर, झांसी और महोबा से बस सेवा द्वारा जुड़ा हुआ है।
मन्दिरों की खोज़
1838 में एक ब्रिटिश इंजीनियर कैप्टन टी.एस. बर्ट को अपनी यात्रा के दौरान अपने कहारों से इसकी जानकारी मिली। उन्होंने जंगलों में लुप्त इन मन्दिरों की खोज़ की और उनका अलंकारिक विवरण बंगाल की एशियाटिक सोसाइटी के समक्ष प्रस्तुत किया। 1843 से 1847 के बीच छतरपुर के स्थानीय महाराजा ने इन मन्दिरों की मरम्मत कराई। मेजर जनरल अलेक्ज़ेंडर कनिंघम ने इस स्थान की 1852 के बाद कई यात्राएँ कीं और इन मन्दिरों का व्यवस्थाबद्ध वर्णन अपनी 'आर्कियोलाजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया रिपोर्ट्स' में किया। खजुराहों के स्मारक अब भारत के पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग की देखभाल और निरीक्षण में हैं। जिसने अनेक टीलों की खुदाई का कार्य करवाया है। इनमें लगभग 18 स्थानों की पहचान कर ली गई है। खजुराहो को यूनेस्को से 1986 ई. में विश्व धरोहर स्थल का दर्जा भी मिला। आधुनिक खजुराहो एक छोटा-सा गाँव है, जो होटलों और हवाई अड्डे के साथ पर्यटन व्यापार की सुविधा उपलब्ध कराता है।
- ↑ भारतीय रेल
- ↑ खजुराहो जहाँ पत्थर भी बोलते हैं (हिन्दी) जागरण जंक्शन। अभिगमन तिथि: 14 अक्तूबर, 2010।
- ↑ (एडी 954)
- ↑ (एडी 1017-29)
- ↑ खजुराहो (हिन्दी) भारत की आधिकारिक वेबसाइट। अभिगमन तिथि: 13 अक्तूबर, 2010।
- ↑ (एडी 954)
- ↑ (एडी 1017-29)
- ↑ खजुराहो (हिन्दी) भारत की आधिकारिक वेबसाइट। अभिगमन तिथि: 13 अक्तूबर, 2010।
- ↑ खजुराहो (हिन्दी) भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण। अभिगमन तिथि: 14 अक्तूबर, 2010।