वाराणसी के घाट

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वाराणसी में गंगा नदी के घाट

वाराणसी (काशी) में गंगा तट पर अनेक सुंदर घाट बने हैं, ये सभी घाट किसी न किसी पौराणिक या धार्मिक कथा से संबंधित हैं। वाराणसी के घाट गंगा नदी के धनुष की आकृति होने के कारण मनोहारी लगते हैं। सभी घाटों के पूर्वार्भिमुख होने से सूर्योदय के समय घाटों पर पहली किरण दस्तक देती है। उत्तर दिशा में राजघाट से प्रारम्भ होकर दक्षिण में अस्सी घाट तक सौ से अधिक घाट हैं। मणिकर्णिका घाट पर चिता की अग्नि कभी शांत नहीं होती, क्योंकि बनारस के बाहर मरने वालों की अन्त्येष्टी पुण्य प्राप्ति के लिये यहीं की जाती है। कई हिन्दू मानते हैं कि वाराणसी में मरने वालों को मोक्ष प्राप्त होता है ।

वाराणसी में लगभग 84 घाट हैं। ये घाट लगभग 4 मील लम्‍बे तट पर बने हुए हैं। इन 84 घाटों में पाँच घाट बहुत ही पवित्र माने जाते हैं। इन्‍हें सामूहिक रूप से 'पंचतीर्थी' कहा जाता है। ये हैं अस्‍सीघाट, दश्‍वमेद्यघाट, आदिकेशवघाट, पंचगंगाघाट तथा मणिकर्णिकघाट। अस्‍सीघाट सबसे दक्षिण में स्थित है जबकि आदिकेशवघाट सबसे उत्तर में स्थित हैं। हर घाट की अपनी अलग-अलग कहानी है।

  • तुलसीघाट प्रसिद्ध कवि तुलसीदास से संबंधित है। तुलसीदास ने रामचरितमानस की रचना की थी। कहा जाता है कि तुलसीदास ने अपना आख़िरी समय यहीं व्‍यतीत किया था।
  • इसी के समीप बच्‍चाराजा घाट है। यहीं पर जैनों के सातवें तीर्थंकर सुपर्श्‍वनाथ का जन्‍म हुआ था। अब यह जैनघाट के नाम से जाना जाता है।
  • चेत सिंह घाट एक क़िला की तरह लगता है। चेत सिंह बनारस के एक साहसी राजा थे जिन्‍होंने 1781 ई. में वॉरेन हेस्टिंगस की सेना के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ी थी।
  • महानिर्वाणी घाट में महात्‍मा बुद्ध ने स्‍नान किया था।
  • हरिश्‍चंद्र घाट का संबंध राजा हरिश्‍चंद्र से है।
  • मणिकर्णिघाट पर स्थित भवनों का निर्माण पेशवा बाजीराव तथा अहिल्‍याबाई होल्‍कर ने करवाया था।
वाराणसी में गंगा नदी के घाट

वाराणसी के कई घाट मराठा साम्राज्य के अधीनस्थ काल में बनवाये गए थे। वाराणसी के संरक्षकों में मराठा, शिंदे (सिंधिया), होल्कर, भोंसले और पेशवा परिवार रहे हैं। वाराणसी में अधिकतर घाट स्नान-घाट हैं, कुछ घाट अन्त्येष्टि घाट हैं। कुछ घाट जैसे मणिकर्णिका घाट किसी कथा आदि से जुड़े हुए हैं, जबकि कुछ घाट निजी स्वामित्व के भी हैं। पूर्व काशी नरेश का शिवाला घाट और काली घाट निजी संपदा हैं। वाराणसी में अस्‍सीघाट से लेकर वरुणा घाट तक सभी की क्रमवार सूची निम्न है:-

वाराणसी के घाट
  • अस्‍सीघाट
  • गंगामहल घाट
  • रीवां घाट
  • तुलसी घाट
  • भदैनी घाट
  • जानकी घाट
  • शिवाला घाट
  • गुलरिया घाट
  • दण्डी घाट
  • हनुमान घाट
  • प्राचीन हनुमान घाट
  • दशाश्वमेघ घाट
  • मैसूर घाट
  • हरिश्चंद्र घाट
  • लाली घाट
  • विजयानरम् घाट
  • केदार घाट
  • चौकी घाट
  • क्षेमेश्वर घाट
  • मानसरोवर घाट
  • माता आनंदमयी घाट
  • जैन घाट
  • प्रह्मलाद घाट
  • रानी घाट
  • पंचकोट घाट
  • प्रभु घाट
  • चेतसिंह घाट
  • अखाड़ा घाट
  • निरंजनी घाट
  • निर्वाणी घाट
  • नारद घाट
  • राजा घाट
  • गंगा महल घाट
  • पाण्डेय घाट
  • भैंसासुर घाट
  • राजघाट
  • दिगपतिया घाट
  • चौसट्टी घाट
  • राणा महल घाट
  • मानमंदिर घाट
  • त्रिपुरा भैरवी घाट
  • मीरघाट घाट
  • ललिता घाट
  • मणिकर्णिका घाट
  • सिंधिया घाट
  • संकठा घाट
  • तेलिया- नाला घाट
  • नया घाट
  • गंगामहल घाट
  • भोंसलो घाट
  • गणेश घाट
  • रामघाट घाट
  • जटार घाट
  • ग्वालियर घाट
  • बालाजी घाट
  • पंचगंगा घाट
  • दुर्गा घाट
  • ब्रह्मा घाट
  • त्रिलोचन घाट
  • नंदेश्वर घाट
  • बूँदी परकोटा घाट
  • शीतला घाट
  • लाल घाट
  • गाय घाट
  • बद्री नारायण घाट
  • दरभंगा घाट
  • मुंशी घाट
  • अहिल्याबाई घाट
  • शीतला घाट
  • प्रयाग घाट
  • राजेन्द्र प्रसाद घाट
  • वरुणा संगम घाट


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टीका टिप्पणी और संदर्भ