लघु उद्योग
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लघु उद्योग वे उद्योग हैं जो छोटे पैमाने पर किये जाते है व जिन उघोगों की सम्पत्ति एक करोड़ से अधिक नहीं होती। लघु उद्योग एक औद्योगिक उपक्रम हैं जिसमें निवेश संयंत्र एवं मशीनरी में नियत परिसंपत्ति होती है चाहे उनकी धारित स्वामित्व के निबंधन पर हो या पट्टे या किराया खरीद पर हो। यह निवेश सीमा सरकार द्वारा समय-समय पर बदलता रहता है। लघु उद्योग क्षेत्र में उद्यमी को देश के किसी भी भाग में यूनिट की स्थापना करने के लिए केंद्रीय सरकार या राज्य सरकार से लाइसेंस प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं होती हैं। लघु यूनिटों का पंजीकरण भी अनिवार्य नहीं है। परन्तु इसका राज्य निदेशालय या उद्योग आयुक्त या डीआईसी में पंजीकरण यूनिट को विभिन्न प्रकार की सरकारी सहायता लेने के लिए अर्हक बनाता है जैसे उद्योग विभाग से वित्तीय सहायता, राज्य वित्त निगम से और अन्य वाणिज्यिक बैंकों से मध्यकालिन और दीर्घकालीन ऋण राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम से किराया खरीद के आधार पर मशीनरी आदि। लघु उद्योगों के संवर्धन के लिए विशेष योजनाओं का लाभ प्राप्त करने के लिए पंजीकरण भी अनिवार्य आवश्यकता है अर्थात ऋण गारंटी योजना, पूंजी आर्थिक सहायता, चुनिंदा मदों पर कम सीमा शुल्क, आईएसओ 9000 प्रमाणपत्र प्रतिपूर्ति एवं राज्य सरकार द्वारा दिए जाने वाले अनेकानेक दूसरे लाभ।
लघु उद्योग मंत्रालय
देश में लघु उद्योगों की वृद्धि और विकास के लिए नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करता है। लघु उद्योगों का संवर्धन करने के लिए मंत्रालय नीतियाँ बनाता है और उन्हें क्रियान्वित करता है व उनकी प्रतिस्पर्धा बढ़ाता है। इसकी सहायता विभिन्न सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम करते हैं, जैसे :-
- लघु उद्योग विकास संगठन (एसआईडीओ) अपनी नीति का निर्माण करने और कार्यान्वयन का पर्यवेक्षण करने कार्यक्रम, परियोजना, योजनाएँ बनाने में सरकार को सहायता करने वाले शीर्ष निकाय है।
- राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम लिमिटेड (एनएसआईसी) की स्थापना सरकार द्वारा देश में लघु उद्योगों का संवर्धन, सहायता और पोषण करने की दृष्टि से की गई थी जिसका संकेन्द्रण उनके कार्यों के वाणिज्यिक पहलुओं पर था।
- मंत्रालय ने तीन राष्ट्रीय उद्यम विकास संस्थानों की स्थापना की है जो प्रशिक्षण केन्द्र, उपक्रम अनुसंधान और लघु उद्योग के क्षेत्र में उद्यम विकास के लिए प्रशिक्षण और परामर्श सेवाएं में लगी हुई हैं। ये इस प्रकार हैं :-
- असंगठित क्षेत्र में राष्ट्रीय उद्यम आयोग (एनसीईयूएस) का गठन असंगाठित क्षेत्र में उद्यमों की समस्याओं की जांच करना अनिवार्य बनाने और उनसे निजात पाने के उपाय सुझाने की दृष्टि से किया गया है।
- भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (एसआईडीबीआई) विभिन्न ऋण योजनाओं के माध्यम से लघु उद्योगों का वित्त पोषण करने क लिए शीर्ष संस्था के रूप में कार्य करता है।
कराधान से संबंधित प्रावधान
भारत जैसे विकासशील देश में देश के आर्थिक विकास में लघु उद्योगों की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। देश का औद्योगिक उत्पादन, निर्यात, रोजगार और उद्यम संबंधी आधार सृजन में लिए उनके योगदान के आधार पर भारतीय अर्थव्यवस्था के महत्त्वपूर्ण खण्ड हैं। मोटे तौर पर ये उद्योग अर्थव्यवस्था के पारम्परिक अवस्था से प्रौद्योगिकीय अवस्था में पारगमन को प्रदर्शित करते हैं। उद्यम आधार के विस्तार के लिए लघु उद्योग महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। लघु उद्योगों का विकास उद्योग के विस्तृत आधार का स्वामित्व प्राप्त करने, उद्यम का अपविस्तार और औद्योगिक क्षेत्र में पहल करने के लिए सरल और प्रभावी साधन प्रदान करता है। उनके महत्त्व के कारण पहली पंचवर्षीय योजना से ही सरकारी नीति ढांचा ने भारत के समग्र आर्थिक विकास में कार्यनीति महत्त्व को ध्यान में रखते हुए लघु उद्योग क्षेत्र के विकास के लिए आवश्यकता पर विशेष बल दिया है। तदानुसार लघु उद्योगों के लिए सरकार से नीति समर्थन की प्रवृत्ति लघु उद्यम वर्ग के विकास हेतु सहायक और अनुकूल रही है। सरकार उपयुक्त नीतियाँ बनाकर और क्रियान्वित करने एवं संवर्धनात्मक योजनाओं के जरिए लघु उद्योगों के विकास को सबसे अधिक तरजीह देती है। लघु उद्योगों के लिए सरकार की सबसे महत्त्वपूर्ण संवर्धनात्मक नीति कर रियायत और उत्पादों एवं लाभों पर लगाए गए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष कर से छूट देने के रूप में राजकोषीय प्रोत्साहन है।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ लघु उद्योग (हिन्दी) व्यापार ज्ञान संसाधन। अभिगमन तिथि: 5 अप्रॅल, 2011।