आकाशगंगा

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
मेघा (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:08, 18 अप्रैल 2011 का अवतरण ('{{पुनरीक्षण}}<!-- कृपया इस साँचे को हटाएँ नहीं (डिलीट न क...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"

आकाश निर्मल रहने पर कृष्ण पक्ष की रात्रि में एक चौड़ी मेखला पर तारे अधिक संख्या में दिखाई पड़ते हैं। यह मेखला क्षितिज के एक किनारे से निकलकर हमारे ऊपर से होती हुई क्षितिज के ठीक दूसरी ओर जाकर मिलती जान पड़ती है। इससे ज्ञात होता है कि यह मेखला एक पूर्ण, विशाल चक्र के समान पृथ्वी को घेरे हुए है। इसे 'आकाशगंगा' कहते हैं


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ