किरण बेदी
किरण बेदी
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पूरा नाम | डॉ. किरण बेदी |
अन्य नाम | शादी के पहले पेशावरिया उनका उपनाम था |
जन्म | 9 जून, 1949 |
जन्म भूमि | अमृतसर, पंजाब |
पति/पत्नी | श्री ब्रिज बेदी |
संतान | बेटी सैना |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | भारतीय पुलिस सेवा (आई.पी.एस) में आने वाली देश की पहली महिला अधिकारी |
भाषा | हिन्दी, अंग्रेज़ी |
विद्यालय | प्रारंभिक शिक्षा अमृतसर के कॉन्वेंट स्कूल से |
शिक्षा | शासकीय कन्या महाविद्यालय, अमृतसर से अंग्रेज़ी साहित्य ऑनर्स में स्नातक, सन 1968-70 में राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर, सन 1988 में दिल्ली विश्वविद्यालय से क़ानून में स्नातक, 1993 में सामाजिक विज्ञान में 'नशाखोरी तथा घरेलू हिंसा' विषय पर उनके शोध पर पी.एच.डी. की डिग्री हासिल की। |
पुरस्कार-उपाधि | प्रमुख पुरस्कार प्रेसीडेंट गेलेट्री अवार्ड (1979), वीमेन ऑफ दी ईयर अवार्ड (1980), एशिया रिजन अवार्ड फॉर ड्रग प्रिवेंशन एंड कंट्रोल (1991), रोमन मैग्सेसे अवार्ड (1994) महिला शिरोमणि अवार्ड (1995), फादर मैचिस्मो ह्यूमेटेरियन अवार्ड (1995), प्राइड ऑफ इंडिया (1999) तथा मदर टेरेसा मेमोरियल नेशनल अवार्ड (2005) |
विशेष योगदान | दिल्ली स्थित भारत की सबसे बड़ी जेल तिहाड़ में सुधारात्मक कदम उठाये। |
बाहरी कड़ियाँ | किरण बेदी |
अद्यतन | 17:33, 12 अप्रॅल 2011 (IST)
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डॉ. किरण बेदी भारतीय पुलिस सेवा की प्रथम वरिष्ठ महिला अधिकारी हैं। उन्होंने विभिन्न पदों पर रहते हुए अपनी कार्य-कुशलता का परिचय दिया है। वे संयुक्त आयुक्त पुलिस प्रशिक्षण तथा दिल्ली पुलिस स्पेशल आयुक्त (खुफिया) के पद पर कार्य कर चुकी हैं। इस समय वे संयुक राष्ट्र संघ के ‘शांति स्थापना ऑपरेशन’ विभाग में नागरिक पुलिस सलाहकार’ के पद पर कार्यरत हैं। वह वर्ष 2002 के लिए भारत की ‘सबसे प्रशंसित महिला’ चुनी गयीं।[1]
जीवन परिचय
अमृतसर के एक छोटे से परिवार में जन्मी चार बेटियाँ, जिन्होंने आगे चलकर अपने माता-पिता का नाम रोशन किया। बेटियों को ईश्वर का वरदान मानने वाले दूरदृष्टि माँ-बाप श्रीमती प्रेमलता तथा श्री प्रकाश लाल पेशावरिया की चार बेटियों में से दूसरी बेटी हैं - किरण बेदी। किरण का जन्म 9 जून 1949 को अमृतसर (पंजाब) में हुआ था। किरण बेदी के माता-पिता ने किरण बेदी सहित उनकी तीनों बहनों की परवरिश इस तरह से की कि पुरुष आधिपत्य वाले समाज में वे स्वाभिमान और मस्ती के साथ जी सके। उन्होंने अपनी बेटियों को आत्म अनुशासन का जो पाठ पढ़ाया वही किरण बेदी और उनकी बहनों की असली संपत्ति बना।[2]
शिक्षा एवं रुचि
किरण बेदी बचपन से ही अपनी जिंदगी को एक अलग नजरिये से जीती थी। बचपन से ही किरण के मन में कुछ कर दिखाने का ज़ज्बा था, जिसके बूते पर उन्होंने अपनी एक अलग राह चुनी। किरण को बचपन में टेनिस बहुत पसंद था और टेनिस की खिलाडी भी रही थी। अपनी बहनों के साथ उन्होंने इस खेल में कई खिताब भी हासिल किए। उस दौर में किरण बेदी और उनकी बहनों को 'पेशावर बहनों' (शादी के पहले पेशावरिया उनका उपनाम था) के नाम से जाना जाता था। किरण ऑल इंडिया और ऑल एशियन टेनिस चैंपियनिशिप की विजेता भी रहीं। किरण बेदी की प्रारंभिक शिक्षा अमृतसर के सीक्रेट हर्ट कॉन्वेंट स्कूल में हुई। वहाँ उन्होंने नेशनल क्रेडेट कोर्स में भर्ती हुई। सन 1964 - 68 में उन्होंने शासकीय कन्या महाविद्यालय, अमृतसर से अंग्रेज़ी साहित्य ऑनर्स में स्नातक तथा सन 1968 - 70 में राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर उपाधि हासिल की,जिसमें वे प्रथम आयी थीं। वर्ष 1972 में श्री ब्रिज बेदी से उनकी शादी हुई। उसी साल में उन्होंने अपनी सेवा भारतीय पुलिस में शुरू किया था। किरण बेदी ने भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के रूप में चुने जाने के बाद नौकरी करते हुए भी अपनी पढ़ाई जारी रखी और सन 1988 में दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून में स्नातक की उपाधि हासिल की। किरण बेदी ने राष्ट्रीय तकनीकी संस्थान, नई दिल्ली से 1993 में सामाजिक विज्ञान में 'नशाखोरी तथा घरेलू हिंसा' विषय पर उनके शोध पर पी.एच.डी. की डिग्री हासिल की। [2]
प्रथम महिला अधिकारी
किरण बेदी भारतीय पुलिस सेवा (आई.पी.एस) में आने वाली देश की पहली महिला अधिकारी है। भारतीय पुलिस सेवा में पुलिस महानिदेशक (ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट) के पद पर पहुँचने वाली किरण एकमात्र भारतीय महिला थीं, जिसे यह गौरव हासिल हुआ। किरण बेदी ने दिल्ली ट्रैफिक पुलिस चीफ, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस, मिजोरम, इंस्पेक्टर जनरल ऑफ प्रिज़न, तिहाड़, स्पेशल सेक्रेटेरी टू लेफ्टीलेन्ट गवर्नर, दिल्ली, इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस, चंडीगढ़, जाइंट कमिश्नर ऑफ पुलिस ट्रेनिंग, स्पेशल कमिश्नर ऑफ पुलिस इंटेलिजेन्स, यू.एन. सिविलियन पुलिस एड्वाइजर, महानिदेशक, होम गार्ड और नागरिक रक्षा, महानिदेशक, पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो जैसे पदों पर भी कार्य कर चुकी हैं। किरण डीआईजी, चंडीगढ़ गवर्नर की सलाहकार, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो में डीआईजी तथा यूनाइटेड नेशन्स में एक असाइनमेंट पर भी कार्य कर चुकी हैं।[2]
प्रमुख पद
- दिल्ली यातायात पुलिस प्रमुख
- नारकोटिक्स कंट्रोल ब्युरो
- डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलीस, मिजोरम
- इंस्पेक्टर जनरल ऑफ प्रिज़न, तिहाड़
- स्पेशल सेक्रेटेरी टू लेफ्टीलेन्ट गवरनर, दिल्ली
- इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस , चंडीगढ़
- जाइंट कमिश्नर ऑफ पुलिस ट्रेनिंग
- स्पेशल कमिश्नर ऑफ पुलिस इंटेलिजेन्स
- यू.एन. सिविलियन पुलिस एड्वाइजर
- महानिदेशक, होम गार्ड और नागरिक रक्षा
- महानिदेशक, पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो[1]
उल्लेखनीय कार्य
अपने कार्यकाल के दौरान और कार्यकाल के पश्चात भी किरण बेदी ने कई उल्लेखनीय कार्य किए। जिनके जरिए उन्हें प्रसिद्धि मिली। दिल्ली में पुलिस आयुक्त के अपने कार्यकाल में उन्होंने तलवारें लहराती भीड़ का अकेले ही सामना करके देश भर में यह संदेश दे दिया था कि किसी ईमानदार अधिकारी को भीड़ और गुंडा तंत्र के दम पर नहीं डराया जा सकता। दिल्ली स्थित भारत की सबसे बड़ी जेल तिहाड़ में तैनाती के समय सुधारात्मक कदम उठाते हुए किरण बेदी ने अपनी एक अलग धाक बना ली थी। जब किरण बेदी को 7,200 कैदियों वाली तिहाड़ जेल की महानिरीक्षक बनाया गया तो उन्होंने वहाँ एक नया मिशन चलाया। इसके अंतर्गत उन्होंने कैदियों के प्रति 'सुधारात्मक रवैया' अपनाते हुए उन्हें योग, ध्यान, शिक्षा व संस्कारों का शिक्षा देकर जेलों में बंद कैदियों की जंदगी में सुधार लाने की एक नई हवा बहाई थी। यह बहुत कठिन लक्ष्य था किंतु दृढ़निश्चयी किरण बेदी ने तिहाड़ जेल का नक्शा बदलकर उसे तिहाड़ आश्रम बना दिया। इसके लिए किरण बेदी को आज भी जाना जाता है।[3]
जब किरण नई दिल्ली की ट्रैफिक कमिश्नर बनीं तब तीखे तेवरों वाली इस महिला ने पार्किंग वाइलेशन करने पर भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की गाड़ी को भी नहीं बक्शा। किरण ने कानून को सभी नागरिकों के लिए समान मानते हुए अपना कर्तव्य निभाते हुए प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी की गाड़ी को भी क्रेन से उठवा दिया। तब लोगों ने उनको किरण बेदी की जगह क्रैन बेदी कहना शुरु कर दिया था। यह इन्दिरा गाँधी जैसी नेता का बड़प्पन ही था कि किरण बेदी के इस काम पर उन्होंने सार्वजनिक रूप से किरण बेदी की तारीफ की थी और कहा था कि इस देश को आज किरण बेदी जैसे अधिकारियों की जरुरत है जो सही को सही तरीके से करने का साहस कर सके।[3]
किरण बेदी |
बेटी सैना और किरण बेदी |
सम्मान लेती किरण बेदी |
किरण बेदी |
दिल्ली पुलिस के साथ किरण बेदी |
सम्मान और पुरस्कार
किरण बेदी ने इस बात की कभी परवाह नहीं की कि 'लोग क्या कहेंगे'। किरण बेदी की ईमानदारी और कर्तव्यपरायणता के कारण देश मे और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उनके कामों की ख्याति ऐसी फैली कि उन्हें दुनिया के हर प्रतिष्ठित संगठन ने पुरस्कृत कर अपने आपको गौरवान्वित महसूस किया। पुरस्कार किरण बेदी के अदम्य साहस का प्रतीक मात्र थे क्योंकि उन्होंने जो किया वह समाजसेवक होने के नाते किया न कि पुरस्कार पाने के लिए। निःस्वार्थ कर्त्तव्यपरायणता के लिए उन्हें शौर्य पुरस्कार मिलने के अलावा अनेक कार्यों को सारी दुनिया में मान्यता मिली है। किरण बेदी को उनकी उल्लेखनीय सेवाओं के कई राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजा गया। इनमें से प्रमुख पुरस्कार निम्न हैं-
- प्रेसीडेंट गेलेट्री अवार्ड (1979),
- इटली का वीमेन ऑफ दी ईयर अवार्ड (1980),
- नार्वे के संगठन इंटशनेशनल ऑर्गेनाजेशन ऑफ गुड टेम्पलर्स का ड्रग प्रिवेंशन एवं कंट्रोल के लिए दिया जाने वाला एशिया रीजन अवार्ड (1991),
- महिला शिरोमणि अवार्ड (1995),
- फादर मैचिस्मो ह्यूमेटेरियन अवार्ड (1995),
- प्राइड ऑफ इंडिया (1999)
- मदर टेरेसा मेमोरियल नेशनल अवार्ड (2005),
- अमेरीकी मॉरीसन-टॉम निटकॉक अवार्ड (2001),
- जर्मन फाउंडे्शन का जोसफ ब्यूज अवार्ड आदि प्रमुख हैं।
- इन सभी पुरस्कारों के अलावा किरण बेदी को सराहनीय सेवा के लिए सन 1994 में एशिया का नोबेल पुरस्कार कहा जाने वाला 'रोमन मैग्सेसे अवार्ड' से भी नवाजा गया।
- सन 2005 में किरण बेदी को 'डॉक्टर ऑफ लॉ' की उपाधि से सम्मानित किया गया।[3]
किरण पर बनी डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म
भारत की पहली महिला आईपीएस अधिकारी किरण बेदी की जिंदगी पर बना वृत्तचित्र यस मैडम, सर को प्रतिष्ठित सैंटा बारबरा अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म समारोह में दो शीर्ष पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। आस्ट्रेलियाई महिला फ़िल्म निर्देशक मेगन डनमैन द्वारा निर्मित और निर्देशित यस मैडम, सर को सर्वश्रेष्ठ वृत्तचित्र के पुरस्कार स्वरूप एक लाख डालर तथा सोशल जस्टिस अवार्ड के तहत 2500 डालर का ईनाम प्रदान किया गया। इस फ़िल्म को ईनाम के रूप में दी गई धनराशि अमेरिका में किसी फ़िल्म समारोह में किसी वृत्तचित्र के लिए दी गई अब तक की सबसे ज्यादा पुरस्कार राशि है। वृत्त चित्र की निर्माता-निर्दशक-मेगन डॉनमैन का कहना है - ‘यह केवल भारतीय कहानी नहीं है। वर्तमान मुश्किल हालात में यह कहानी दुनिया के हर आदमी में एक आशा जगाती है।’
इस वृत्तचित्र में किरण बेदी की जिंदगी के सफर और उनके कामकाज के तौर तरीकों से लेकर तिहाड़ जेल के कैदियों की जिंदगी में नया बदलाव लाने की घटनाओं को बहुत ही कल्पनाशीलता के साथ पेश किया गया है। यस मैडम, सर नाम की इस फ़िल्म में मशहूर हॉलीवुड अभिनेत्री हेलेन मिरेन ने सूत्रधार के रूप में अपनी आवाज दी है। किरण बेदी पर कई वृत्त चित्र भी बन चुके हैं। विश्वविख्यात ऑस्ट्रेलियाई फ़िल्मकार मेगन डॉनमेन जो डार्क सिटी, मिशन इंपासिबल 2, होली स्मोक जैसी फ़िल्मों के संपादन में सहायक के रूप में कार्य कर चुकी हैं, उन्होंने जब किरण बेदी के बारे में सुना तो उन्होंने किरण बेदी को लेकर यह वृत्त चित्र बनाया। जिसमें उन्होंने किरण बेदी के जीवन के उतार-चढ़ावों व संघर्षों को एक डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म के रूप में प्रस्तुत किया है। अपने कामों से दुनिया भर की महिलाओं और पुलिस अधिकारियों के लिए एक मिसाल बन चुकी किरण बेदी के जीवन को लेकर बनाए गए इस वृत्त चित्र को बनने में छह साल लगे। इस फ़िल्म का प्रोजेक्ट काफ़ी लंबा था। इसको लेकर इसकी निर्माता-निर्देशक को आर्थिक समस्याओं से भी जूझना पड़ा मगर उन्होंने हौसला नहीं खोया। ऐसे में कुछ निजी निवेशकों के सहयोग से यह फ़िल्म बनकर तैयार हुई।[3]
इस्तीफा लेने का कारण
वर्षों तक देश सेवा के कार्य में अपना जी-जान लुटाने वाला हर व्यक्ति तरक्की चाहता है। किरण बेदी के साथ भी यही हुआ। दिल्ली के उपराज्यपाल ने किरन बेदी को दिल्ली का पुलिस कमिश्नर बनाए जाने की सिफारिश की थी किंतु गृह मंत्रालय किरण बेदी के स्थान पर वाई. एस. डडवाल को यह पद देने के पक्ष में था। अत: किरण के स्थान पर 1974 बैच के वाई. एस. डडवाल को दिल्ली का पुलिस कमिश्नर बनाया गया, जिससे क्षुब्ध होकर स्वाभिमानी किरण बेदी ने वी. आर. एस. (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना) ले लिया। 26 दिसंबर, 2007 को उन्होंने पुलिस सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत ली। उस समय वे भारतीय पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो के महानिदेशक पद पर थी।[4]
समाजसेवा की पहल
किरण बेदी ने नौकरी करते हुए समाजसेवा में अपनी रुचि को मूर्त रूप प्रदान करने के लिए दो स्वयं सेवी संगठनों की स्थापना भी की। सन 1987 में किरण बेदी ने नवज्योति तथा 1994 में इंडिया विजन फाउंडेशन नामक संस्थानों की शुरुआत की। इनके माध्यम से उन्होंने नशाखोरी पर अंकुश लगाने तथा गरीब व जरूरतमंद लोगों की मदद करने जैसे काम शुरु किए जो आज भी सक्रियता के साथ काम कर रहे हैं। ये संस्थाएं रोज़ाना हजारों गरीब बेसहारा बच्चों तक पहुँचकर उन्हें प्राथमिक शिक्षा तथा स्त्रियों को प्रौढ़ शिक्षा उपलब्ध कराती है। ‘नव ज्योति संस्था’ नशामुक्ति के लिए इलाज करने के साथ-साथ झुग्गी बस्तियों, ग्रामीण क्षेत्रों में तथा जेल के अंदर महिलाओं को व्यावसायिक प्रशिक्षण और परामर्श भी उपलब्ध कराती है। डॉ. बेदी तथा उनकी संस्थाओं को आज अंतर्राष्ट्रीय पहचान तथा स्वीकार्यता प्राप्त है। नशे की रोकथाम के लिए इस संस्थाओं को यूनाइटेड नेशन्स की ओर से 'सर्ज सॉइटीरॉफ मेमोरियल अवार्ड' से भी सम्मानित किया गया है। [5]
कामयाबी का श्रेय
किरण अपनी कामयाबी का श्रेय अपने माँ-बाप को भी देती हैं, जिनके हौसलों ने उन्हें आगे बढ़ने की ताकत प्रदान की। किरण के पिता हमेशा से ही अपनी बेटियों को कहते थे कि 'तुम अपना जीवन खुद बनाओ, तुम किसी से कम नहीं हो, आसमान अनंत है और पढ़ाई तुम्हारा असली धन है।' बुद्धि, कौशल हर चीज में किरण लड़कों से कम नहीं। 'लोग क्या कहेंगे' इस बात की किरण ने कभी भी परवाह नहीं करते हुए अपनी जिंदगी के मायने खुद निर्धारित किए। अपने जीवन व पेशे की हर चुनौती का हँसकर सामना करने वाली किरण बेदी साहस व कुशाग्रता की एक मिसाल हैं, जिसका अनुसरण इस समाज को एक सकारात्मक बदलाव की राह पर ले जाएगा। 'क्रेन बेदी' के नाम से विख्यात इस महिला ने बहादुरी की जो इबारत लिखी है, उसे सालों तक पढ़ा जाएगा।[4]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 किरण बेदी : औरत उर्फ ज्वालामुखी (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) हिन्दी अध्यापक। अभिगमन तिथि: 15 अप्रॅल, 2011।
- ↑ 2.0 2.1 2.2 हौसलों से उड़ान भरने वाली किरण बेदी (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) वेब दुनिया हिन्दी। अभिगमन तिथि: 15 अप्रॅल, 2011।
- ↑ 3.0 3.1 3.2 3.3 हौसलों से उड़ान भरने वाली किरण बेदी (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) वेब दुनिया हिन्दी। अभिगमन तिथि: 15 अप्रॅल, 2011।
- ↑ 4.0 4.1 हौसलों से उड़ान भरने वाली किरण बेदी (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) वेब दुनिया हिन्दी। अभिगमन तिथि: 15 अप्रॅल, 2011।
- ↑ किरण बेदी (हिन्दी) (पी.एच.पी) हिन्दी मीडिया डॉट इन। अभिगमन तिथि: 15 अप्रॅल, 2011।
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