साँचा:सूक्ति और कहावत-05

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
अश्वनी भाटिया (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:54, 5 मई 2011 का अवतरण ("साँचा:सूक्ति और कहावत-05" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (बेमियादी) [move=sysop] (बेमियादी)))
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
  • तिलक-गीता का पूर्वार्द्ध है ‘स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है’, और उसका उत्तरार्द्ध है ‘स्वदेशी हमारा जन्मसिद्ध कर्तव्य है’। स्वदेशी को लोकमान्य बहिष्कार से भी ऊँचा स्थान देते थे। -महात्मा गाँधी
  • अंतर्राष्ट्रीयता तभी पनप सकती है जब राष्ट्रीयता का सुदृढ़ आधार हो। - श्यामाप्रसाद मुखर्जी .... और पढ़ें