एकपर्वतक

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
ऋचा (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:04, 24 जून 2011 का अवतरण ('{{पुनरीक्षण}} :'गंडकी च महाशोणं सदानीरां तथैव च, एकपर्व...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"
'गंडकी च महाशोणं सदानीरां तथैव च, एकपर्वतके नद्य: क्रमेणैत्याव्रजन्तते'[1]

अर्थात् कृष्ण, अर्जुन और भीम इंद्रप्रस्थ से गिरिव्रज (मगध, बिहार) जाते समय गंडकी, महाशोण, सदानीरा एवं एकपर्वतक की सब नदियों को पार करते हुए आगे बढ़े। इससे, एकपर्वतक उस प्रदेश का नाम जान पड़ता है जिसमें उपर्युक्त नदिया बहती थीं, अर्थात् बिहार-उत्तर प्रदेश का सीमावर्ती भाग[2]



टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. महाभारत सभा पर्व 20, 27 ।
  2. (गंडकी=गंडक, महाशोण=सोन, सदानीरा=राप्ती)

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख