छान्दोग्य उपनिषद अध्याय-1 खण्ड-13
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- छान्दोग्य उपनिषद के अध्याय प्रथम का यह तेरहवाँ खण्ड है।
मुख्य लेख : छान्दोग्य उपनिषद
- शास्त्रीय संगीत द्वारा साम गायन-
- इस खण्ड में साम सम्बन्धित साधना को शास्त्रीय संगीत की भांति स्वरों का गायन बताया है।
- इसमें 'हाउ' का अर्थ पृथ्वी, 'हाई' का अर्थ वायु, 'अथ' का अर्थ चन्द्रमा, 'इह' का अर्थ आत्मा, 'ई' का अर्थ अग्नि, 'ऊ' का आदित्य, 'ए' का निमन्त्रण, 'औ होम' का अर्श विश्वदेवा, 'हि' का प्रजापति, 'स्वर' प्राण का रूप है, 'या' अन्न है और 'वाक्' विराट है।
- इसके अतिरिक्त जो अनिर्वचनीय है और समस्त कार्यों में संचरित होता है, वह तेरहवां स्तोम 'हुं' है।
- जो इस प्रकार साम सम्बन्धी उपनिषद का महत्त्व जानकर उपासना करता है, वह प्रचुर अन्न तथा प्रदीप्त पाचक अग्नि वाला होता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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