छान्दोग्य उपनिषद अध्याय-1 खण्ड-4

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  • इस खण्ड में '' को ही उद्गीथ माना है और उसी की उपासना करने की बात कही है।
  • यद्यपि 'ॐ' एक स्वर है, तथापि यह अक्षर, अमृत और अभय-रूप ब्रह्म का प्रतीक है।
  • समस्त देवगण और उपासक इस एक अक्षर-ब्रह्म 'ॐकार' में प्रविष्ट होकर अमरत्व और अभय को प्राप्त करते हैं।


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