तैत्तिरीयोपनिषद शिक्षावल्ली अनुवाक-5

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
रेणु (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:51, 6 सितम्बर 2011 का अवतरण ('*तैत्तिरीयोपनिषद के [[तैत्तिरीयोपनिषद शिक्षावल्ल...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
  • इस अनुवाक में 'भू:, भुव:, ' 'स्व:' और 'मह:' की व्याख्या की गयी है। 'मह:' ही ब्रह्म का स्वरूप है। वही सभी वेदांत का ज्ञान देता है।
  • एक व्याहृति के चार-चार भेद हैं।
  • ये कुल सोलह हैं जो इन्हें ठीक प्रकार से जान लेता है, वह 'ब्रह्म' को जान लेता है।
  • सभी देवगण उसके अनुकूल हो जाते हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ


बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख