भूकंप

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भूकंप - परिचय

पृथ्वी की बाह्य परत (crust) में अचानक हलचल से उत्पन्न ऊर्जा के परिणाम स्वरूप भूकंप आता है। यह उर्जा पृथ्वी की सतह पर, भूकंपी तरंगें (seismic wave) उत्पन्न करता है, जो भूमि को हिलाकर या विस्थापित कर के प्रकट होता है। भूगर्भ में भूकंप के उत्पन्न होने का प्रारंभिक बिन्दु को केन्द्र (focus) या हाईपो सेंटर (hypocenter) कहा जाता है। हाईपो सेंटर के ठीक ऊपर ज़मीन के सतह पर जो बिंदु है उसे अधिकेन्द्र (epicenter) कहा जाता है। भूकंपी तरंगें मूलतः तीन प्रकार के होते हैं। प्राइमरी तरंग (P wave), सेकंडरी तरंग (S wave) और सतही तरंगें (surface waves)। इनमें से सबसे खतरनाक और क्षतिकारक सतही तरंगें ही होते हैं।

भूकंप का रिकार्ड

भूकंप का रिकार्ड एक सीस्मोमीटर (seismometer) के साथ रखा जाता है, जो सीस्मोग्राफ भी कहलाता है। एक भूकंप का परिमाण (magnitude) पारंपरिक रूप से मापा जाता है, या सम्बंधित और अप्रचलित रिक्टर (Richter) परिमाण लिया जाता है। 3 या उससे कम परिमाण की रिक्टर तीव्रता का भूकंप अक्सर अगोचर होता है और 7 रिक्टर की तीव्रता का भूकंप बड़े क्षेत्रों में गंभीर क्षति का कारण होता है। झटकों की तीव्रता का मापन विकसित मरकैली पैमाने (Mercalli scale) पर किया जाता है।

भूकंप की उत्पत्ति

भूकंप की उत्पत्ति के बारे में समझने के लिए ज़रूरी है पृथ्वी के अंदरूनी संरचना के बारे में समझना। धरती की ऊपरी परत फ़ुटबॉल की परतों की तरह आपस में जुड़ी हुई है या कहें कि एक अंडे की तरह से है जिसमें दरारें हों। उपरी सतह से लेकर अन्तर्भाग तक, पृथ्वी, कई परतों में बनी हुई है। पृथ्वी की बाहरी सतह (outer surface) कई कठोर खंडों या विवर्तनिक प्लेट में विभाजित है जो क्रमशः कई लाख सालों की अवधी में पूरे सतह से विस्थापित होती है। पृथ्वी का आतंरिक सतह एक अपेक्षाकृत ठोस भूपटल (mantle) की मोटी परत से बनी हुई है और सबसे अन्दर होता है एक कोर, जो एक तरल बाहरी कोर और एक ठोस लोहा का आतंरिक कोर (inner core) से बनी हुई है। बाहरी सतह के जो विवर्तनिक प्लेट हैं वो बहुत धीरे धीरे गतिमान हैं। यह प्लेट आपस में टकराते भी हैं और एक दुसरे से अलग भी होते हैं। ऐसी स्थिति में घर्षण के कारण भूखंड या पत्थरों में अचानक दरारें फुट सकती हैं। इस अचानक तेज हलचल के कारण जो शक्ति (energy) उत्सर्जित होती है, वही भूकंप के रूप में तबाही मचाती है।

भूकंप के कारण

भूकंप प्राकृतिक घटना (phenomenon) या मानवजनित कारणों से हो सकता है। अक्सर भूकंप भूगर्भीय दोषों के कारण आते हैं। भारी मात्रा में गैस प्रवास, पृथ्वी के भीतर मुख्यतः गहरी मीथेन, ज्वालामुखी, भूस्खलन, और नाभिकीय परिक्षण ऐसे मुख्य दोष हैं।

प्लेट सीमाएं तीन प्रकार के होते हैं । रूपांतरित (transform), अपसारी (divergent) या अभिकेंद्रित (convergent)। ज्यादातर भूकंप रूपांतरित या फिर अभिकेंद्रित सीमाओं पर होती है। रूपांतरित सीमाओं पर दो प्लेट एक दुसरे से घिसकर जाते हैं। इस घर्षण के कारण दो प्लेट के सीमा पर तनाव उत्पन्न होता है। यह तनाव बढते बढते ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है जब भूगर्भीय पत्थर इस तनाव को झेल न पाने के कारण अकस्मात टूटते हैं। तनाव उर्जा का यह अचानक बाहर आना ही भूकंप को जन्म देता है। अभिकेंद्रित प्लेट सीमाओं में एक प्लेट दुसरे प्लेट से टकराता है। ऐसे में या तो एक प्लेट दुसरे प्लेट के नीचे सरक जाता है (जो महाद्वीपीय और समुद्रीय किनारे के टकराव में होता है) या फिर पर्वत-श्रंखला का जन्म होता है (जो दो महाद्वीपीय किनारों के टकराव में होता है)। दोनों ही स्थिति में प्लेट सीमाओं पर भयानक तनाव उत्पन्न होता है जिसके अचानक निष्कासन से भूकंप होता है। ज्यादातर गहरे केन्द्र वाले भूकंप अभिकेंद्रित सीमा पर होता है। 70 किलोमीटर से कम की गहराई पर उत्पन्न होने वाले भूकंप 'छिछले-केन्द्र' के भूकंप कहलाते हैं, जबकि 70-300 किलोमीटर के बीच की गहराई से उत्पन्न होने वाले भूकंप 'मध्य-केन्द्रीय' भूकंप कहलाते हैं। subduction क्षेत्र (subduction zones) में जहाँ पुरानी और ठंडी समुद्री परत (oceanic crust) अन्य टेक्टोनिक प्लेट के नीचे खिसक जाती है, गहरे केंद्रित भूकंप (deep-focus earthquake) अधिक गहराई पर (300 से लेकर 700 किलोमीटर तक) आ सकते हैं। सीस्मिक रूप से subduction के ये सक्रीय क्षेत्र Wadati - Benioff क्षेत्र (Wadati-Benioff zone) कहलाते हैं। नीचे दिए गए चित्र में आप दुनिया भर में सबसे ज्यादा भूकंप होने वाले जगह देख सकते हैं। अपसारी प्लेट सीमाओं पर भी ज्वालामुखिओं के कारण भूकंप होते रहते हैं। जहाँ प्लेट सीमायें महाद्वीपीय स्थलमंडल में उत्पन्न होती हैं, विरूपण प्लेट की सीमा से बड़े क्षेत्र में फ़ैल जाता है। महाद्वीपीय विरूपण सान अन्द्रिअस दोष (San Andreas fault) के मामले में, बहुत से भूकंप प्लेट सीमा से दूर उत्पन्न होते हैं और विरूपण के व्यापक क्षेत्र में विकसित तनाव से सम्बंधित होते हैं।

सभी टेक्टोनिक प्लेट्स में आंतरिक दबाव क्षेत्र होते हैं जो अपनी पड़ोसी प्लेटों के साथ अंतर्क्रिया के कारण या तलछटी लदान या उतराई के कारण होते हैं। ये तनाव उपस्थित दोष सतहों के किनारे विफलता का पर्याप्त कारण हो सकते हैं, ये अन्तःप्लेट भूकंप (intraplate earthquake) को जन्म देते हैं। भूकंप अक्सर अन्तःप्लेट क्षेत्रों में भी ज्वालामुखी के कारण उत्पन्न होते हैं। यहाँ इनके दो कारण होते हैं, टेक्टोनिक दोष तथा ज्वालामुखी में लावा (magma) की गतिविधि। ऐसे भूकंप ज्वालामुखी विस्फोट की पूर्व चेतावनी भी हो सकते हैं। एक क्रम में होने वाले अधिकांश भूकंप, स्थान और समय के संदर्भ में एक दूसरे से सम्बंधित हो सकते हैं। मुख्य झटके से पूर्व या बाद भी झटके आ सकते हैं। इन्हें foreshocks या aftershocks कहते हैं।

भूकंप के प्रभाव

भूकंप के मुख्य प्रभावों में झटके और भूमि का फटना शामिल हैं, जिससे इमारतों व अन्य कठोर संरचनाओं (जैसे कि बांध, पुल, नाभिकीय उर्जा केंद्र इत्यादि) को कमोबेश नुक्सान पहुँचती है लेकिन ये प्रभाव यहाँ तक ही सीमित नहीं हैं। भूकंप, भूस्खलन (landslide) और हिम स्खलन पैदा कर सकता है, जो पहाड़ी और पर्वतीय इलाकों में क्षति का कारण हो सकता है। भूकंप के कारण, किसी विद्युत लाइन के टूट जाने से आग लग सकती है। भूकंप के कारण मिट्टी द्रवीकरण (Soil liquefaction) हो सकता है जिससे इमारतों और पुलों को नुक्सान पहुँच सकता है। समुद्र के भीतर भूकंप से सुनामी आ सकता है। भूकंप से क्षतिग्रस्त बाँध के कारण बाढ़ आ सकती है। भूकंप से जीवन की हानि, सम्पत्ति की क्षति, मूलभूत आवश्यकताओं की कमी, रोग इत्यादि होता है। अगले भाग में मैं आप सबको ऐतिहासिक समय में होने वाले सबसे बड़े और मुख्य भूकंपों के बारे में बताऊँगा।

कुछ भूकंपों के बारे में

प्रागैतिहासिक समय से ही हमारी धरती में भूकंप होते रहे हैं। हर साल हज़ारों भूकंप होते हैं, जिनमें से ज्यादातर हम महसूस नहीं कर पाते हैं। क्यूंकि या तो वो रिख्टर स्केल में बहुत नीचे होते हैं या फिर ऐसी जगह होते हैं जहाँ जान माल का कोई नुक्सान नहीं होता है। हमें भूकंपों के बारे में तब पता चलता है जब वो जनबहूल स्थानों में होता है और जान-माल का भारी नुक्सान पैदा करता है। मानव इतिहास में कई ऐसे भूकंपों के बारे में जानकारी है जो केवल बहुत शक्तिशाली ही नहीं थे बल्कि भयानक रूप से विनाशकारी भी थे। ऐसे ही कुछ भूकंपों के बारे में आप सबको बताऊँगा।

  • 1 नवम्बर 1755 (लिस्बोन, पोर्तुगल) – यह पहला भूकंप है जिसका वैज्ञानिक अध्ययन किया गया था। इस भूकंप में 70000 लोग मारे गए थे। इस भूकंप की वजह से जो सुनामी आई थी और आग लगी थी उससे लिस्बोन शहर लगभग पूरी तरह ध्वस्त हो गया था। रिख्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 9 आंकी गई है।
  • 1811 - 1812 (न्यू माद्रिद, USA) – भूकंपों का एक ऐसा क्रम जो 16 दिसंबर 1811 से शुरू हुआ था। उस दिन दो बड़े झटके आये थे रिख्टर पैमाने पर जिनकी तीव्रता 7.1 से 8.2 आंकी गई है। इस भूकंप क्रप का कारण न्यू माद्रिद उत्तर दोष बताया जाता है। शहर के बहुत सारे मकान ध्वस्त हो गए थे पर ज्यादा लोगों के मरने का खबर नहीं है। इस झटकों को लगभग दो तिहाई अमेरिका में महसूस किया गया था।
  • 31 अगस्त, 1886 (चार्ल्सटन, दक्षिण करोलिना) – यह भूकंप एक शक्तिशाली अन्तःप्लेट भूकंप था। केवल एक मिनट में ही यह भूकंप 2000 मकानों को ध्वस्त कर दिया था (शहर की एक चौथाई भाग) और करीब 100 लोग मारे गए थे। रिख्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 6.6 से 7.3 आंकी गई है।
  • 31 जनवरी 1906 (इकुआदोर-कोलोम्बिया) – रिख्टर पैमाने पर 8.8 आंकी गई इस भूकंप को दुनिया का पांचवा सबसे शक्तिशाली भूकंप मन जाता है। तटीय क्षेत्र के शहर एस्मेराल्दास के पास आया इस भूकंप से जो सुनामी आई थी उससे तटीय क्षेत्र में रहने वाले 500 से 1500 लोगों की मौत हो गई थी। यह भूकंप नाज्का प्लेट और दक्षिण अमरीकिय प्लेट के बीच अभिकेंद्रित सीमा पर आया था। इस सीमा पर नाज्का प्लेट दक्षिण अमरीकिय प्लेट के नीचे जा रहा है।
  • 18 अप्रैल 1906 (सैन फ्रांसिस्को, कलिफोर्निया) – रिख्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 7,7 से 8.2 आंकी गई है। इसके झटके ओरेगोन से लेकर लोस एंजेल्स तक महसूस किये गए थे। यह भूकंप और इसकी वजह से लगी आग, अमरीका के इतिहास का सबसे भयानक प्राकृतिक आपदा के रूप में याद किया जाता है। करीब 300 लोग अपने जान से हाथ धो बैठे थे।
  • 1 सितम्बर 1923 (टोक्यो, जापान) – दोपहर से पहले आई इस भयंकर भूकंप को रिख्टर पैमाने पर 8.3 आंकी गई है। जापान में आई भूकंपों में सबसे भयानक भूकंप था। इस भूकंप से टोक्यो और योकोहामा शहरों में भयंकर तबाही मची थी। भूकंप से चरों ओर आग लग गई थी। पानी के नल फट जाने के कारण आग बुझाने में बहुत दिक्कतें आई थी। करीब 100000 लोग मारे गए थे। 40000 लोगों का आजतक कोई अता-पता नहीं मिला है। आग इतना भयंकर रूप धारण कर चुकी थी कि होंजो और फुकुगावा नामक जगहों पर एक साथ करीब 30000 लोग जल मरे थे। इस भूकंप को Great Kanto Earthquake के नाम से जाना जाता है।
  • 4 नवंबर 1952 (कमचटका, रशिया) – इस भूकंप को दुनिया का चौथा शक्तिशाली भूकंप मन जाता है। रिख्टर पैमाने पर 9.0 नापी गई इस भूकंप से आई सुनामी से कमचटका, कुरील द्वीपसमूह में काफी जान-माल का नुक्सान हुआ था। इस भूकंप का केन्द्र ज़मीन से 30 किमी नीचे था।
  • 22 मई 1960 (वल्दिविया, चिली) - रिख्टर पैमाने पर 9.5 आंकी गई इस भूकंप से 20000 लोग मारे गए थे। इसे आजतक के सबसे शक्तिशाली भूकंप मन जाता है। इसके चलते जो सुनामी आई थी उससे चिली, हवाई, जापान, फिलीपींस, न्यू जीलैंड तथा ऑस्ट्रेलिया तक प्रभावित हुए थे। 10.7 मीटर ऊँची लहरों कि वजह से चिली के तटीय इलाके में बहुत तबाही मची थी। करीब 5000 से 6000 लोग मारे गए थे।
  • 27 मार्च 1964 (प्रिंस विलिआम, अलास्का) – रिख्टर पैमाने पर 9.2 नापी गई इस भूकंप को दुनिया का तीसरा सबसे शक्तिशाली भूकंप माना जाता है। चार मिनिट तक चला इस भूकंप में ज़मीन फट गई थी, मकानें ध्वस्त हो गई थी, पानी के पाइप फट गए थे, बिजली के खम्बे उखड गए थे और करीब 150 से 200 लोगों की मौत हुई थी। इससे जो सुनामी ई थी उससे एक गांव के 23 लोग मारे गए थे (उस गांव के केवल 68 लोग ही रहते थे)। तटीय भूस्खलन से एक जहाज के 30 लोग एक साथ मारे गए थे।
  • 28 जुलाई 1976 (तांगशान, चीन) – बीसवी सदी में आनेवाले भूकंपों में सबसे ज्यादा लोग इसी भूकंप में मारे गए थे। इसका अधिकेंद्र चीन के हेबेई प्रान्त के तांगशान शहर के पास था। इस औद्योगिक शहर में उस समय करीब 10 लाख लोग रह रहे थे, जिसमें से करीब ढाई लाख लोगों के मारे जाने कि पुष्टि हुई थी और करीब डेढ़ लाख लोग ज़ख़्मी हो गए थे। इस भूकंप को रिख्टर पैमाने पर 7.8 से 8.2 आँका गया है।
  • 26 दिसम्बर 2004 (सुमात्रा-इंडोनेसिया) – इस भूकंप को दुनिया का दूसरा सबसे शक्तिशाली भूकंप नमन जाता है। रिख्टर पैमाने पर इस भूकंप को 9.3 आँका गया है। इसका अधिकेंद्र सुमात्र-इंडोनेसिया के पास समुद्र तल में था। इस भूकंप और इससे आये भयंकर सुनामी से 300000 से ज्यादा लोग मारे गए थे। इस सुनामी में भारत के पूर्व तटीय इलाके में भी भारी जान-माल का नुकसान हुआ था।
  • 11 मार्च 2011 (जापान) - रिख्टर पैमाने पर इस भूकंप को 9 आँका गया है। जापान की राजधानी टोक्यो के उत्तरपूर्व में समुद्र तल के 24 किमी नीचे उत्पन्न इस भूकंप से उठी सुनामी लहरों से जापान के पूर्व तट में स्थित होन्शु और सेंदाई शहर तथा तटवर्ती कई जनबस्ती में भारी नुक्सान हुआ है। कई जगह आग लग जाने से जान-माल का नुक्सान हुआ है। भूकंप से अब तक 14650 से ज्यादा लोगों के मारे जाने का अंदेशा लगाया जा रहा है। फुकुशिमा स्थित नाभिकीय उर्जा संयंत्र में भूकंप और सुनामी की वजह से नुकसान हुआ है। उस संयंत्र के 20 किमी दायरे में रह रहे लगभग 200000 लोगों को दूसरी जगह ले जाया गया है तथा 30 किमी दायरे में सभी लोगों को घर के अंदर रहने की हिदायत दी गई है ताकि वो परमाणु विकिरण से बचे रहे। दरअसल जापान ऐसी जगह स्थित है जहाँ तीन प्लेट मिलकर एक अभिकेंद्रित सीमा बना रहे हैं। यहाँ पसिफिक प्लेट, फिलीपिंस प्लेट और उत्तर अमरीकी प्लेट के नीचे जा रहा है।

दुनिया के कुछ बड़े खतरनाक भूकंपों का लेखा-जोखा

  • 11 मार्च 2011, जापान के उत्तरी पूर्वी तट पर 9.0 की तीव्रता के भूकंप से सुनामी, 10,000 से अधिक लोगों की मौत।
  • 9 मई 2010, इंडोनेशिया में 7.2 की तीव्रता का भूकंप, सैकड़ों की मौत।
  • 13 अप्रैल 2010, चीन में 6.9 की तीव्रता का भूकंप, 2500 की मौत।
  • 12 जनवरी 2010, हैती में 7.0 की तीव्रता का भूकंप, 2 लाख लोगों की मौत।
  • 30 सितंबर 2009, इंडोनेशिया, सुमात्रा में 7.6 की तीव्रता का भूकंप, 1100 की मौत।
  • 29 सितंबर 2009, सैमोन द्वीप में 8.3 की तीव्रता का भूकंप, सैकड़ों की मौत।
  • 10 अगस्त 2009, अंडमान निकोबार में 7.6 की तीव्रता का भूकंप, कोई हताहत नहीं।
  • 6 अप्रैल 2009, इटली के लैकिला शहर में 6.3 की तीव्रता का भूकंप, सैकड़ों की मौत।
  • 3 फ़रवरी 2008, कॉंगो और रवांडा में ज़बरदस्त भूकंप आया, इसमें 45 लोग मारे गए।
  • 6 मार्च 2007, इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप में 6.3 तीव्रता का भूकंप, 70 लोगों की मौत।
  • 27 मई 2006, इंडोनेशिया के जकार्ता में भूकंप, छह हज़ार लोग मारे गए और 15 लाख बेघर हो गए।
  • 8 अक्टूबर 2005, पाकिस्तान में 7.6 तीव्रता वाला भूकंप, क़रीब 75 हज़ार लोग मारे गए।
  • 28 मार्च 2005, इंडोनेशिया में 8.7 तीव्रता वाला भूकंप, लगभग 1300 लोग मारे गए।
  • 22 फ़रवरी 2005, ईरान के केरमान प्रांत में लगभग 6.4 तीव्रता के आए भूकंप में लगभग 100 लोग मारे गए थे।
  • 26 दिसंबर 2004, 8.9 की तीव्रता वाले भूकंप के कारण उत्पन्न सूनामी ने एशिया में हज़ारों लोगों की जान गई।
  • 24 फ़रवरी 2004, मोरक्को के तटीय इलाक़े में आए भूकंप ने 500 लोगों की जान ले ली थी।
  • 26 दिसंबर 2003, दक्षिणी ईरान में आए भूकंप में 26 हज़ार से अधिक लोगों की मौत हो गई थी।
  • 21 मई 2003, अल्जीरिया में भूकंप आया, दो हज़ार लोगों की मौत और आठ हज़ार से अधिक लोग घायल हुए थे।
  • 1 मई 2003, तुर्की के दक्षिण-पूर्वी हिस्से में आए भूकंप में 160 से अधिक लोगों की मौत हो गई जिसमें 83 स्कूली बच्चे शामिल थे।
  • 24 फरवरी 2003, पश्चिमी चीन में भूकंप, 260 लोग मारे गए और 10 हज़ार से अधिक लोग बेघर।
  • 21 नवंबर 2002, पाकिस्तान के उत्तरी दियामीर ज़िले में भूकंप में 20 लोगों की मौत।
  • 31 अक्टूबर 2002, इटली में आए भूकंप से एक स्कूल की इमारत गिर गई जिससे एक क्लास के सभी बच्चे मारे गए।
  • 12 अप्रैल 2002, उत्तरी अफ़ग़ानिस्तान में दो महीनों में ये तीसरा भूकंप का झटका था, इसमें अनेक लोग मारे गए।
  • 25 मार्च 2002, अफ़ग़ानिस्तान के उत्तरी इलाक़े में 6 की तीव्रता का भूकंप, 800 से ज़्यादा लोग मरे।
  • 3 मार्च 2002, अफ़ग़ानिस्तान में भूकंप आया, 150 लोग मारे गए।
  • 3 फ़रवरी 2002, पश्चिमी तुर्की में भूकंप में 43 मरे, हज़ारों लोग बेघर।
  • 24 जून 2001, दक्षिणी पेरू में भूकंप में 47 लोग मरे, भूकंप के 7.9 तीव्रता वाले झटके एक मिनट तक महसूस किए जाते रहे।
  • 13 फ़रवरी 2001, अल साल्वाडोर में दूसरे बड़े भूकंप की वजह से कम से कम 300 लोग मारे गए, इस भूकंप को रिक्टर स्केल पर 6.6 मापा गया।
  • 26 जनवरी 2001, भारत के गुजरात में 7.9 तीव्रता का भूकंप, तीस हज़ार लोग मारे गए और करीब 10 लाख लोग बेघर हो गए, भुज और अहमदाबाद पर भूकंप का सबसे अधिक असर पड़ा।
  • 13 जनवरी 2001, अल साल्वाडोर में 7.6 तीव्रता का भूकंप, 700 से भी अधिक लोग मारे गए।
  • 6 अक्टूबर 2000, जापान में 7.1 तीव्रता का एक भूकंप, 30 लोग घायल हुए और कई लापता और क़रीब 200 मकानों को नुकसान पहुंचा।
  • 21 सितंबर 1999, ताईवान में 7.6 तीव्रता का भूकंप, ढाई हज़ार लोग मारे गए और इस द्वीप के हर मकान को नुकसान पहुंचा।
  • 17 अगस्त 1999, तुर्की के इमिट और इंस्ताबूल शहरों में 7.4 तीव्रता का भूकंप, 17000 से ज्यादा लोग मारे गए और हज़ारों अन्य घायल हुए।
  • 29 मार्च 1999, उत्तर प्रदेश राज्य के उत्तरकाशी और चमोली में दो भूकंप. 100 से अधिक लोग मारे गए।
  • 25 जनवरी 1999, कोलंबिया के आर्मेनिया शहर में 6.0 तीव्रता का भूकंप. क़रीब एक हज़ार लोग मारे गए।
  • 17 जुलाई 1998, न्यू पापुआ गिनी के उत्तरी-पश्चिमी तट पर समुद्र के अंदर आया भूकंप, एक हज़ार से अधिक मरे।
  • 26 जून 1998, तुर्की के दक्षिण-पश्चिम में अदना में 6.3 तीव्रता का भूकंप, 144 लोग मारे गए, एक हफ़्ते बाद इसी इलाक़े में दो शक्तिशाली भूकंप आए जिनमें एक हज़ार से अधिक लोग घायल हो गए।
  • 30 मई 1998, उत्तरी अफ़ग़ानिस्तान में एक बड़ा भूकंप, चार हज़ार लोग मारे गए।
  • फ़रवरी 1997, उत्तर-पश्चिमी ईरान में 5.5 तीव्रता का एक भूकंप, एक हज़ार लोग मारे गए, तीन महीने बाद 7.1 तीव्रता का भूकंप आया जिसकी वजह से पश्चिमी ईरान में डेढ़ हज़ार से अधिक लोग मारे गए।
  • 27 मई 1995, रूस के पूर्वी द्वीप सखालीन में 7.5 तीव्रता का भूकंप, दो हज़ार लोग मरे।
  • 17 जनवरी 1995, जापान के कोबे शहर में भूकंप, छह हज़ार चार सौ तीस लोग मारे गए।
  • 6 जून 1994, कोलंबिया में आया भूकंप, क़रीब एक हज़ार लोग मारे गए।
  • 30 सितंबर 1993, भारत के पश्चिमी और दक्षिणी हिस्सों में आए भूकंप से क़रीब दस हज़ार लोगों की मौत।
  • 21 जून 1990, ईरान के उत्तरी राज्य गिलान में भूकंप, चालीस हज़ार से भी अधिक लोगों की मौत।
  • 17 अक्टूबर 1989, कैलिफ़ोर्निया में भूकंप, 68 लोग मारे गए।
  • 7 दिसंबर 1988, उत्तर-पश्चिमी आर्मेनिया में 6.9 तीव्रता का भूकंप, पच्चीस हज़ार लोगों की मौत।
  • 19 सितंबर 1985, मैक्सिको में भूकंप, इसमें बड़ी इमारतें तबाह हो गईं और दस हज़ार से अधिक लोग मारे गए।
  • 23 नवंबर 1980, इटली के दक्षिणी हिस्से में आए भूकंप की वजह से सैंकड़ों लोग मारे गए।
  • 28 जुलाई 1976, चीन का तांगशान शहर में भूकंप, पांच लाख से अधिक लोग मारे गए।
  • 27 मार्च 1964, रिक्टर स्केल पर 9.2 तीव्रता के एक भूकंप ने अलास्का में 25 लोगों की जान ले ली और बाद के झटकों की वजह से 110 और लोग मारे गए।
  • 22 मार्च 1960, दुनिया का सबसे शक्तिशाली भूकंप चिली में आया, इसकी तीव्रता 9.5 दर्ज की गई, कई गांव के गांव तबाह हो गए और सैंकड़ों मील दूर हवाई में 61000 लोग मारे गए।
  • 1950, भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य असम में भयानक भूकंप आया. ये इतना तेज़ था कि सेस्मोग्राफ़ की सुईयां टूट गईं. लेकिन सरकारी तौर पर रिक्टर स्केल पर इसे 9.0 तीव्रता का बताया गया।
  • 28 जून 1948, पश्चिमी जापान में पूर्वी चीनी समुद्र को केंद्र बनाकर भूकंप आया, तीन हज़ार से ज़्यादा लोग मरे।
  • 31 मई, 1935, क्वेटा और उसके आसपास के इलाक़ों में भूकंप, लगभग 35 हज़ार लोगों की जानें गईं।
  • 1935, ताईवान में रिक्टर स्केल पर 7.4 तीव्रता का एक भूकंप आया जिसकी वजह से तीन हज़ार दो सौ लोग मारे गए।
  • 1931, ब्रिटेन के इतिहास का सबसे भयानक भूकंप, रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 5.5 थी और इससे अधिक नुकसान नहीं हुआ।
  • 1 सितंबर 1923, जापान की राजधानी टोक्यो में आया ग्रेट कांटो भूकंप, 142,800 लोगों की मौत।
  • 18 अप्रैल 1906, सैन फ्रांसिस्को में कई मिनट तक भूकंप के झटके आते रहे, इमारतें गिरने और उनमें आग लगने की वजह से सात सौ से तीन हज़ार के बीच लोग मारे गए।
  • 1 नवंबर 1755 पुर्तगाल में 8.7 की तीव्रता का भूकंप, 70,000 की मौत।
  • 17 अगस्त 1668 टर्की में 8.0 की तीव्रता का भूकंप, 8000 की मौत।
  • 23 जनवरी 1556 में चीन में 8.0 की तीव्रता का भूकंप, 830, 000 की मौत।
  • 9 अगस्त 1138, सीरिया में 230,000 की मौत।
  • 22 दिसंबर 0856 में, ईरान के दमगान में 200,000 की मौत।



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