भीमरथी नदी

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भीमरथी कृष्णा नदी की सहायक नदी है और इस नदी को भीमा नदी के नाम से भी जाना जाता है। उपर्युक्त उद्धरण में पांडवों के पुरोहित धोम्य ने दक्षिण दिशा के तीर्थों के संबंध में इस नदी का उल्लेख किया है।

'वेणा भीमरथी चैव नद्यौ पापभयापहे, मृगद्विजसमाकीर्णे तापसालय- भूषिते'[1]

अर्थात वेणा और भीमरथी नदियाँ समस्त पापभय को नाश करने वाली हैं। इनके तट पर मृगों और द्विजों का निवास है तथा तपस्वियों के आश्रम हैं।

  • भीष्म. 9,20 में भी भीमरथी का उल्लेख है- 'शरावतीं पयोष्णों च वेणी भीमरथीमपि'।
  • विष्णु पुराण[2] में भीमरथी को सह्याद्रि से उद्भूत कहा गया है-
'गोदावरीभीमरथामपि कृष्णवेष्यादिकास्तथा सह्यपादोद्भूता: नद्य: स्मृता: पापभयापहा:'।
'तुंगभद्रा कृष्णा वेष्या भीमरथी गोदावरी।


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