रघुराम राजन

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रघुराम राजन
रघुराम राजन
रघुराम राजन
पूरा नाम रघुराम गोविंद राजन
जन्म 3 फ़रवरी, 1964
जन्म भूमि भोपाल, मध्‍य प्रदेश
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र अर्थशास्त्री
मुख्य रचनाएँ कई लेखकों के साथ मिलकर 'सेविंग कैप्‍टलिल्‍म फॉम कैप्‍टलिस्‍टस', 'द ट्रु लेशन ऑफ द रिजन' सहित कई शोध पत्र लिखे।
शिक्षा एमबीए, पीएचडी (बैकिंग निबंध)
विद्यालय आईआईएम अहमदाबाद, एमआईटी (मासाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी)
प्रसिद्धि भारतीय रिजर्व बैंक के 23वें गवर्नर
नागरिकता भारतीय
विशेष रघुराजन स्‍नातक के बाद ही शिकागो विश्‍वविद्यालय के बूथ स्‍कूल ऑफ बिजनेस में बतौर फैकल्टी बने। 2003 में वे इंटरनेशनल मोनेटरी फंड (आईएमएफ) में सबसे कम उम्र के आर्थिक सलाहकार और शोध के निदेशक बने।
अन्य जानकारी रघुराम राजन ने यूरोप तथा यूएस (अमेरिका) में 2008 के दौरान आए आर्थिक संकट को लेकर 2008-12 की समयावधि के लिए रिसर्च पेपर लिखा जिसमें इस आर्थिक संकट के कारणों पर विस्‍तारपूर्वक जानकारी दी थी।

रघुराम राजन (अंग्रेज़ी: Raghuram Rajan, पूरा नाम: रघुराम गोविंद राजन, जन्म: 3 फ़रवरी, 1964) भारतीय रिजर्व बैंक के 23वें गवर्नर हैं। विश्‍व के प्रमुख दस अर्थशास्त्रियों में से एक रघुराम राजन ने डॉ. डी. सुब्‍बाराव के बाद गवर्नर का पद संभाला। रघुराम राजन पर गिरते रुपए को संभालने के साथ-साथ देश की अर्थव्‍यवस्‍था को फिर से पटरी पर लाने की सबसे बड़ी चुनौती है।

जीवन परिचय

अर्थजगत से जुड़े कई पुरस्कार जीत चुके तथा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के आर्थिक सलाहकार रह चुके रघुराम राजन का जन्‍म 3 फ़रवरी, 1964 में मध्‍य प्रदेश के भोपाल में एक तमिल परिवार में हुआ था। जन्‍म के बाद से वे लगातार अपने परिवार के साथ श्रीलंका, इंडोनेशिया तथा बेल्जियम घूमते रहे और इनकी प्रारंभिक शिक्षा भी चलती रही। 1974 में उन्होंने बेल्जियम से भारत आकर अपनी बाकी पढ़ाई दिल्‍ली से की।[1]

शिक्षा

1985 में उन्होंने दिल्‍ली के आईआईटी से इंलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्‍नातक की पढ़ाई पूरी की। रघुराम को आईआईटी दिल्‍ली के निदेशक द्वारा बेस्‍ट ऑल राउंड अचीवमेंट का गोल्‍ड मेडल दिया गया। इसके बाद वे आईआईएम अहमदाबाद से बिजनेस एडमिनिस्‍ट्रेशन में पोस्‍ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की जहां उन्‍हें फिर से गोल्‍ड मेडल मिला। रघुराम ने 1991 में प्रबंधन में 'बैकिंग निबंध' विषय में एमआईटी से पीएचडी की उपाधि प्राप्‍त की। रघुराजन स्‍नातक के बाद ही शिकागो विश्‍वविद्यालय के बूथ स्‍कूल ऑफ बिजनेस में बतौर फैकल्टी बने। 2003 में वे इंटरनेशनल मोनेटरी फंड (आईएमएफ) में सबसे कम उम्र के आर्थिक सलाहकार और शोध के निदेशक बने। 2003 में अमेरिकन फिनांस एसोसिएशन द्वारा 40 वर्ष के कम उम्र के अर्थशस्त्रियों के लिए किए गए अवॉर्ड शो कार्यक्रम में भाग लिया, जहां उन्‍हें सेंटर फॉर फिनांस स्‍टडी द्वारा फिनॉस इकॉनोमिक्‍स में महत्‍वपूर्ण योगदान देने के लिए 5वीं ड्यूश बैंक पुरस्कार दिया गया। रघुराम ने 2005 में यूएस फेडरल रिजर्व में क्रिटिकल ऑफ द फिनॉसियल सेक्‍टर विषय पर एक शोध पेपर पेश किया। 2008 में आए आर्थिक संकट से उबारने में उनका अनुभव काम आया। इसके बाद 2009 में द वॉल स्‍ट्रीट जनरल में उनके बारे में छपा जिसके बाद उन्होंने अकादमी पुरस्‍कार विजेता दस्‍तावेजिक फ़िल्‍म इनसाईड जॉब के लिए साक्षात्‍कार दिया।[1]

कार्यक्षेत्र

वर्ष 2008 में वे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के आर्थिक सलाहकार नियुक्‍त हुए और उसी साल उनकी अध्‍यक्षता में हाई लेवल कमेटी ऑन फिनांसियल रिफॉम की बैठक हुई जिसकी अंतिम रिपोर्ट प्‍लानिंग कमिशन को सौंपी गई। 2012 में वे भारतीय फिनांस मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार के प्रमुख नियुक्‍त हुए। रघुराम राजन ने यूरोप तथा यूएस में 2008 के दौरान आए आर्थिक संकट को लेकर 2008-12 की समयावधि के लिए रिसर्च पेपर लिखा जिसमें इस आर्थिक संकट के कारणों पर विस्‍तारपूर्वक जानकारी दी।[1]

शोध पत्र

2012 में राजन और पॉल क्रुगमैन के साथ यूएस और यूरोप को कैसे आर्थिक रूप से मजबूत बनाया जाए विषय पर हुई चर्चा में भाग लिया जहां उन्‍हें विचार संपादक कमेटी में शामिल किया गया। उन्होंने कई लेखकों के साथ मिलकर 'सेविंग कैप्‍टलिल्‍म फॉम कैप्‍टलिस्‍टस', 'द ट्रु लेशन ऑफ द रिजन' सहित कई शोध पत्र भी लिखे।



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 रघुराम राजन : प्रोफाइल (हिंदी) वेबदुनिया हिंदी। अभिगमन तिथि: 22 दिसंबर, 2013।

बाहरी कड़ियाँ

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