गोपालचन्द्र 'गिरिधरदास'

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
दिनेश (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:52, 10 जनवरी 2014 का अवतरण (''''गोपालचन्द्र गिरिधरदास''' श्री काले हर्षचन्द्र के प...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें

गोपालचन्द्र गिरिधरदास श्री काले हर्षचन्द्र के पुत्र तथा भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के पिता थे। बाबू गोपालचन्द्र ‘गिरिधरदास’ का जन्म काशी में सन 1833 ई. में हुआ था।[1]

  • गिरिधर महाराज के कृपापात्र होने के कारण गोपालचन्द्र ने 'गिरिधरदास' उपनाम रखा था।
  • हिन्दी साहित्य का प्रथम नाटक ‘नहुष’ लिखने का श्रेय इन्हें प्राप्त है।
  • गोपालचन्द्र गिरिधरदासने 1846 में तैरह वर्ष की न्यूनतम आयु में ‘वाल्मीकि रामायण’ के कई हिस्सों का भाषागत छन्द बद्ध अनुवाद किया था।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. काशी कथा, साहित्यकार (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 10 जनवरी, 2014।

संबंधित लेख