जयबाण तोप
जयबाण तोप विश्व की सबसे बड़ी तोप है, जो राजस्थान के जयपुर की शान है। यह तोप जयगढ़ क़िले में स्थित है और राजस्थान के इतिहास की अमूल्य धरोहर है। जयबाण तोप की मारक क्षमता 22 मील (लगभग 35.2 कि.मी.) है। 1720 ई. के आसपास इस तोप की ढलाई की गई थी।
आकार
विश्व की सबसे बड़ी तोप 'जयबाण' जयगढ़ क़िले में स्थित ढलाई के कारखाने में ढाली गई थी। इसकी लंबाई 20 फीट, 2 इंच और वज़न लगभग 50 टन है। तोप की नली का व्यास करीब 11 इंच है। इसकी मारक क्षमता 22 मील है। जयबाण तोप को एक बार चलाने के लिए करीब 100 किलो गन पाउडर की जरूरत पड़ती थी। ऐसा माना जाता है कि जब जयबाण तोप को पहली बार परीक्षण फायरिंग के लिए चलाया गया था तो जयपुर से करीब 35 कि.मी. दूर स्थित चाकसू नामक कस्बे में गोला गिरने से एक तालाब बन गया था।
ढलाई
जब मुग़ल सत्रहवीं शताब्दी में अपनी ताकत खोने लगे, तो समूचे भारत में अराजकता सिर उठाने लगी थी। ऐसे समय में राजपूताना की आमेर रियासत, एक बड़ी ताकत के रूप में उभरी। राजा सवाई जयसिंह द्वितीय (1699-1743) ने अपने शासन काल के दौरान शहर बसाने से पहले इसकी सुरक्षा की सोची। इसके लिए सात मजबूत दरवाजों के साथ क़िलाबंदी की गई। हालांकि जयसिंह ने मराठों के हमलों से बचने के लिए चारदीवारी बनवाई थी। क़िले को पूरी तरह से सुरक्षित करने के लिए वर्ष 1720 ई. में इस तोप की ढलाई की गई।[1]
मारक क्षमता परीक्षण
जयबाण तोप की मारक क्षमता के परीक्षण के लिए इसे क़िले के बुर्ज पर चढ़ाया गया और गोला दागा गया। गोला 20 मील दूर चाकसू नामक एक स्थान पर जाकर गिरा। विस्फोट इतना बड़ा था कि एक लंबा चौड़ा और गहरा गड्ढा बन गया। बाद में वर्षा के दिनों में इसमें पानी भरा और फिर यह कभी सूखा नहीं। इस तरह जयबाण तोप ने बनाया 'गोला ताल'। जयबाण तोप फिर कभी चली नहीं। परीक्षण के बाद ही शांति स्थापित हो गई थी। कहा जाता है कि इसके बाद किसी ने उस तरफ़ हमला करने की हिम्मत नहीं की। गोला ताल आज भी पानी से भर हुआ है और चाकसू क़स्बे के लोग इससे पानी ले रहे हैं।[2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ दुनिया की सबसे बड़ी तोप जयपुर में (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 11 जुलाई, 2014।
- ↑ सहस्रनाम (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 11 जुलाई, 2014।