रामप्रकाश गुप्त
रामप्रकाश गुप्त
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पूरा नाम | रामप्रकाश गुप्त |
जन्म | 26 अक्टूबर, 1923 |
जन्म भूमि | झाँसी, उत्तर प्रदेश |
मृत्यु | 1 मई, 2004 |
मृत्यु स्थान | दिल्ली |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | राजनेता तथा राज्यपाल |
पार्टी | 'भारतीय जनता पार्टी' |
पद | मुख्यमंत्री (उत्तर प्रदेश), राज्यपाल (मध्य प्रदेश) |
कार्य काल | मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश- आप 1999 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और इस पद पर 11 माह तक रहे। |
शिक्षा | एम.एस.सी. |
विद्यालय | 'इलाहाबाद विश्वविद्यालय |
जेल यात्रा | 1948 में रामप्रकाश गुप्त ने 'राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ' पर से प्रतिबंध हटाने के लिए सत्याग्रह किया। इस दौरान उन्हें गिरफ़्तार कर जेल भेज दिया गया। |
अन्य जानकारी | रामप्रकाश गुप्त 1977 में जनता पार्टी के टिकट से पहली बार लखनऊ मध्य क्षेत्र से विधान सभा के लिए चुने गए थे। वे राम नरेश यादव मंत्रिमण्डल में उद्योग मंत्री बने थे। वर्ष 1993 में वे पुन: विधान सभा के सदस्य निर्वाचित हुए। |
रामप्रकाश गुप्त (अंग्रेज़ी: Ramprakash Gupta ; जन्म- 26 अक्टूबर, 1923, झाँसी, उत्तर प्रदेश; मृत्यु- 1 मई, 2004, दिल्ली) 'भारतीय जनता पार्टी' के प्रसिद्ध नेता थे। वे उत्तर प्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री तथा मध्य प्रदेश के राज्यपाल थे। रामप्रकाश गुप्त अपने विद्यार्थी जीवन से ही 'राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ' से जुड़ गए थे। सन् 1948 में 'राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ 'पर से प्रतिबंध हटाने के लिए उन्होंने सत्याग्रह किया था। इस दौरान उन्हें गिरफ़्तार कर जेल भेज दिया गया। आप वर्ष 1977 में और फिर 1993 में विधान सभा के सदस्य निर्वाचित हुए थे। इसके बाद वर्ष 1999 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और 2003 में मध्य प्रदेश के राज्यपाल बने।
जन्म तथा शिक्षा
रामप्रकाश गुप्त जी का जन्म 26 अक्टूबर, सन 1923 में उत्तर प्रदेश में बुंदेलखंड के झाँसी ज़िले के ग्राम सुकवाँ-ढुकवाँ में हुआ था। इनके पिता का नाम गोपाल कृष्ण गुप्त था। बाद के दिनों में रामप्रकाश गुप्त बुलन्दशहर ज़िले के सिकन्दराबाद नगर में रहने लगे थे। यहीं पर इन्होंने हाईस्कूल स्तर तक की शिक्षा आर्जित की। रामप्रकाश गुप्त ने 'इलाहाबाद विश्वविद्यालय' से एम.एस.सी. गणित की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की थी।[1]
राजनीतिक शुरुआत
रामप्रकाश गुप्त विद्यार्थी जीवन से ही 'राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ' से जुड़ गए थे। विद्यार्जन करने के बाद वे पूरी तरह से संघ के कार्य में लग गये। अध्ययन के बीच में ही उन्होंने बलिया ज़िले में स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया। सन् 1946 से वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में कार्य करने लगे।
सत्याग्रह तथा गिरफ़्तारी
वर्ष 1948 में रामप्रकाश गुप्त ने 'राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ' पर से प्रतिबंध हटाने के लिए सत्याग्रह किया। इस दौरान उन्हें गिरफ़्तार कर जेल भेज दिया गया। गुप्त जी ने 1954 में गौ हत्या निरोध समिति के आंदोलन में सत्याग्रह का संचालन किया। वर्ष 1975 में भी उत्तर प्रदेश में आपात काल के विरूद्ध सत्याग्रह हुआ, जिसमें रामप्रकाश गुप्त को प्रथम सत्याग्रही के रूप में गिरफ़्तार किया गया थी। आपात काल के दौरान उन्हें मीसा में निरूद्ध कर लखनऊ और नैनी के कारागारों में रखा गया।
राजनीतिक सफ़र
- रामप्रकाश गुप्त 1956 में 'उत्तर प्रदेश जनसंघ मध्य क्षेत्र' के संगठन मंत्री नियुक्त हुए थे।
- 1960 में रामप्रकाश गुप्त लखनऊ महानगर पालिका में जनसंघ दल के नेता निर्वाचित हुए। सन 1964 में इसी पालिका के उप गर प्रमुख निर्वाचित हुए।
- आप 1964 में उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य चुने गये तथा जनसंघ पार्टी की ओर से संसदीय कार्यों के मंत्री नियुक्त किये गये।
- इन्हें 1967 में चौधरी चरण सिंह के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में बनी पहली गैर कांग्रेसी सरकार में उप मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री बनाया गया था।
- रामप्रकाश गुप्त 1973 में भारतीय जनसंघ उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष निर्वाचित हुए थे।[1]
विधान सभा सदस्य
1975 में उत्तर प्रदेश में आपाल काल के विरुद्ध सत्याग्रह के कारण गिरफ़्तार होने के बाद रामप्रकाश गुप्त डेढ़ साल कारागार से मुक्त होकर जून, 1977 में जनता पार्टी के टिकट से पहली बार लखनऊ मध्य क्षेत्र से विधान सभा के लिए चुने गए। वे राम नरेश यादव मंत्रिमण्डल में उद्योग मंत्री बने थे। वर्ष 1993 में वे पुन: विधान सभा के सदस्य निर्वाचित हुए।
मुख्यमंत्री तथा राज्यपाल
रामप्रकाश गुप्त जी 11 मार्च, 1998 से उत्तर प्रदेश राज्य योजना मण्डल के उपाध्यक्ष बनाए गए। वे 1999 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और इस पद पर 11 माह तक रहे। गुप्त जी ने 7 मई, 2003 को मध्य प्रदेश के तेरहवें राज्यपाल के रूप में अपने पद की शपथ ग्रहण की। इस पद पर वे 1 मई, 2004 तक रहे।
निधन
रामप्रकाश गुप्त मध्य प्रदेश के संभवत: ऐसे राज्यपाल हुए, जो पद पर रहते हुए 1 मई, 2004 को परलोक सिधार गए।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 1.2 मध्य प्रदेश के भूतपूर्व राज्यपाल (हिन्दी) एमपी पोस्ट। अभिगमन तिथि: 21 सितम्बर, 2014।
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