प्रयाग शक्तिपीठ

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प्रयाग शक्तिपीठ 51 शक्तिपीठों में से एक है। हिन्दू धर्म के पुराणों के अनुसार जहां-जहां सती के अंग के टुकड़े, धारण किए वस्त्र या आभूषण गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ अस्तित्व में आये। ये अत्यंत पावन तीर्थस्थान कहलाये। ये तीर्थ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर फैले हुए हैं। देवीपुराण में 51 शक्तिपीठों का वर्णन है।

  • प्रयाग (इलाहाबाद) में तीन मंदिरों को, मतांतर से, शाक्तिपीठ माना जाता है और तीनों ही मंदिर प्रयाग शक्तिपीठ की शक्ति 'ललिता' के हैं।
  • ये तीन मंदिर हैं- अक्षयवट (किले) के निकट मीरापुर में और अलोपी मंदिर।
  • प्रयाग में सती की हस्तांगुली का निपात हुआ है था। यहाँ की शक्ति 'ललिता' तथा भैरव 'भव' हैं।
  • अक्षयवट क़िले में कल्याणी- ललिता देवी मंदिर के समीप ही ललितेश्वर महादेव का भी मंदिर है।
  • मत्स्यपुराण में वर्णित 108 शक्तिपीठों में यहाँ की देवी का नाम 'ललिता' दिया गया है।[1]
  • इलाहाबाद-कानपुर मार्ग पर इलाहाबाद से 54 किलोमीटर भी आगे बौद्धों का पावन तीर्थ तथा बौद्ध केंद्र-कौशांबी है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. प्रयागे ललिता देवी, "नैमिषे लिंगधारिणी" (मत्स्यपुराण अध्याय 13), "प्रयागे ललितादेवी कामाक्षी गंधमादने" (श्रीमद् देवीभागवत- 7/30)

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