वैद्यनाथ का हार्द शक्तिपीठ
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वैद्यनाथ का हार्द शक्तिपीठ 51 शक्तिपीठों में से एक है। हिन्दू धर्म के पुराणों के अनुसार जहां-जहां सती के अंग के टुकड़े, धारण किए वस्त्र या आभूषण गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ अस्तित्व में आये। ये अत्यंत पावन तीर्थस्थान कहलाये। ये तीर्थ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर फैले हुए हैं। देवीपुराण में 51 शक्तिपीठों का वर्णन है।
- शिव तथा सती के ऐक्य का प्रतीक बिहार के गिरिडीह जनपद में स्थित वैद्यनाथ का हार्द या ह्रदय पीठ है और शिव का वैद्यनाथ ज्योर्तिर्लिंग भी यहीं है।
- यह स्थान चिताभूमि में है। यहाँ सती का हृदय गिरा था। यहाँ की शक्ति 'जयदुर्गा' तथा शिव 'वैद्यनाथ' हैं।
- एक मान्यतानुसार यहीं पर सती का दाह-संस्कार भी हुआ था।
- पद्मपुराणानुसार ह्रदयपीठ के समान महत्त्वपूर्ण शक्तिपीठ पूरे ब्रह्माण्ड में अन्यत्र नहीं है- "हार्दपीठस्य सदृशे: नाऽस्ति भूगोल मण्डले"।[1]
- देवी भागवत में वैद्यनाथ धाम को बागलामुखी का उत्कृष्ट स्थान कहा गया है तथा यहाँ की शक्ति को 'आरोग्य' कहा गया है।
- मत्स्यपुराण में 'आरोग्या वैद्यनाये तु' प्रमाण मिलता है।
- शंकराचार्य ने 12 ज्योर्तिर्लिंगों के स्वरूप वर्णन में वैद्यनाथ को शक्तियुक्त कहा है-
पूर्वोत्तरे प्रज्वलिकानिधाने सदा वसंतं गिरिजासमेतम।
सुरासुराराधिपाद पद्मं श्री वैद्यनाथ तमहं नमामि॥[2]
- पटना से कोलकाता रेलमार्ग पर स्थित कियूल स्टेशन से 100 कि.मी. दक्षिण वैद्यनाथ धाम (देवगढ़) स्टेशन है।
- यहीं सती का हार्दपीठ भी है।
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