अकार्बनिक रसायन
अकार्बनिक रसायन 'रसायन विज्ञान' की तीन शाखाओं में से एक शाखा है। कार्बन को छोड़कर शेष सभी तत्त्वों और अनेक यौगिकों की 'मीमांसा'[1] करना 'अकार्बनिक रसायन' का क्षेत्र है। बोरोन, सिलिकॉन, जर्मेनियम आदि तत्त्व भी लगभग उसी प्रकार के विविध यौगिक बनाते हैं, जैसे कार्बन। किंतु इस पार्थिक सृष्टि में उनका उतना महत्त्व नहीं हैं, जितना कार्बन यौगिकों का। इसलिये कार्बनिक रसायन का अन्य तत्त्वों से पृथक रासायनिक क्षेत्र मान लिया गया है। मनुष्य एवं वनस्पतियों का जीवन कार्बन यौगिकों के चक्र पर निर्भर है। अतः कार्बनिक यौगिकों को एक अलग उपांग में रखना कुछ अनुचित नहीं है। यह कार्बन ही है, जो पृथ्वी पर पाए जाने वाले सामान्य ताप (00 से 400) पर अनेक स्थायी समावयवी यौगिक दे सकता है।
प्रमुख तत्त्व
अकार्बनिक रसायन में जिन तत्त्वों का उल्लेख है, उनमें से कुछ धातु हैं और कुछ अधातु। अधातु तत्वों में कुछ मुख्य नाम निम्नलिखित हैं-
- गैस
हाइड्रोजन, हीलियम, नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, फ्लोरीन, निऑन, क्लोरीन, आर्गन, क्रिप्टन तथा ज़ेनॉन।
- ठोस
बोरोन, कार्बन, सिलिकॉन, फॉस्फोरस, गंधक, जर्मेनियम, आर्सेनिक, मोलिब्डेनम, टेलुरियम तथा आयोडिन।
- द्रव
धातुओं में केवल पादर ऐसा है, जो साधारण ताप पर द्रव है। प्राचीन ज्ञात धातुएँ सोना, चाँदी, लोहा, ताँबा, सीसा, जस्ता और पारा हैं। लगभग सभी सभ्य देशों का इन धातुओं से पुराना परिचय है। सोना और चाँदी स्वतंत्र रूप में प्रकृति में पाए जाते हैं। शेष धातुएँ प्रकृति में सल्फाइड, सल्फेट या ऑक्साइड के रूप में मिलती हैं। इनसे शुद्ध धातुएँ प्राप्त करना सरल था। धातुओं के उन यौगिकों को, जिनमें से धातुएँ आसानी से अलग की जा सकती थीं। इनसे धातु शुद्ध रूप में मुक्त हो जाती है।
विद्युत का उपयोग
फैराडे और डेवी के समय से विद्युत धारा का उपयोग अत्यधिक बढ़ गया और वैसे-वैसे डायनेमो की बिजली अधिक सस्ती प्राप्त होने लगी। उसका उपयोग विद्युत द्विश्लेषण में बढ़ने लगा। उसकी सहायता से लवणों में से[2] अनेक धातुएँ पृथक की जा सकीं। ताँबे का एक यौगिक 'तूतिया'[3] है। जल में बने इसके विलयन में से विद्युत धारा द्वारा ताँबा पृथक किया जा सकता है। विद्युत धारा के प्रयोग से मैग्नीशियम, सोडियम, लिथियम, पोटैशियम, कैल्सियम, बेरियम आदि धातुएँ, उनके लवण को गलाकर, पृथक की गईं।
यौगिक बनाने के प्रयास
अकार्बनिक रसायन के प्रारंभिक युग में धातुओं के जिन यौगिकों को बनाने का विशेष प्रयास किया जाता था, वे निम्नलिखित थे-
ऑक्साइड, हाइड्रॉक्साइड, फ्लोराइड, क्लोराइड, ब्रोमाइड, आयोडाइड, सल्फाइड, सल्फेट, थायोसल्फेट, ऐसीटेट, ऑक्सलेट, नाइट्राइड, नाइट्रेट, सायनाइड, कार्बाइड, कार्बोनेट, बाइकार्बोनेट, फॉस्फेट, आर्सेनिक, टंग्स्टन, मालिब्डेट, यूरेनेट। इन यौगिकों का तैयार करना साधारणतया सरल है। ऑक्साइड या कार्बोनेट पर उपयुक्त अम्लों की अभिक्रिया से ये बनाए जा सकते हैं। विलेय लवणों के विलयनों में ऋण आयन[4] मिलाकर इनमें से कुछ के अवक्षेप लाए जा सकते हैं, यदि ये अवक्षेप्य लवण पानी में अविलेय हों।
अकार्बनिक रसायन का विभाजन
अकार्बनिक रसायन की अनेक अभिक्रियाएँ चार वर्गों में विभाजित की जाती हैं-
- शिथिलीकरण या उदासीनीकरण
- अवक्षेपण
- अपचयन या अवकरण
- उपचयन या ऑक्सीकरण
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