बुद्ध भगत
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बुद्ध भगत (जन्म- 1800 ई.) भारतीय इतिहास में प्रसिद्ध क्रांतिकारी के रूप में जाने जाते हैं। इनकी लड़ाई अंग्रेज़ों द्वारा किए जा रहे अत्याचार तथा अन्याय के विरुद्ध थी।
- आमतौर पर 1857 ई. को ही स्वतंत्रता संग्राम का प्रथम समर माना जाता है। लेकिन इससे 28 वर्ष पूर्व 1828 ई. में वीर बुद्ध भगत ने न सिर्फ़ क्रान्ति का शंखनाद किया था, बल्कि अपने साहस व नेतृत्व क्षमता से 1832 ई. में "लरका विद्रोह" नामक ऐतिहासिक आन्दोलन का सूत्रपात्र भी किया।[1]
- सन 1800 ई. में रांची से 37 कि.मी. दूर पश्चिम में चान्हों प्रखण्ड में सिलालाई नामक ग्राम में जन्मे बुद्ध भगत ने 1827 में ही अपनी लड़ाई की पहली शुरुआत कर दी थी। शीघ्र ही इसमें मुण्डा, भेरी, होखेखार जनजातियों के लोग भी जुड़ते चले गए।
- लरका विद्रोह मूलत: वनवासियों को अपने परम्परागत जमीनी हक से बेदखल कर उसे अंग्रेज़ हुकूमत, तत्कालीन राजाओं तथा ज़मींदारों को सौंपने व परम्परागत पेय पदार्थ हंडिया पर आबकारी लगाने व अत्याचारों के विरुद्ध था।
- बुद्ध भगत द्वारा चलाये जा रहे लरका विद्रोह का प्रभाव दावानल की तरह छोटा नागपुर क्षेत्र में भी फैला।
- 27 फ़रवरी, 1932 को बंगाल में हरकारा में कैप्टन इम्वे को पता चला कि बुद्ध भगत मूलभूत सुविधाओं से भी वंचित सिलालाई गाँव में आए हैं तो उसने पूरे गाँव को घेर लिया। ग्रामीणों को चिन्ता होने लगी कि बुद्ध भगत की रक्षा कैसे की जाए। 300 युवाओं व वृद्धों ने बुद्ध भगत को अपने बीचों-बीच करके चारों ओर घेरा बनाकर ग्राम से बाहर निकालने की कोशिश की। सायंकाल तक सिलालाई गाँव की धरती शवों से पट गई। बुद्ध भगत व उनके समर्थक अंग्रेज़ों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ स्वातंत्र्य संग्राम का एक और महत्वपूर्ण पक्ष जनजातीय नेतृत्व ने दी थी ब्रिटिश सरकार को चुनौती (हिन्दी) पंचजन्या.कॉम। अभिगमन तिथि: 28 मई, 2015।
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