हरिराम व्यास
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- हरिराम व्यास भक्तप्रवर कवि थे।
- हरिराम व्यास जी का जन्म सनाढ्यकुलोद्भव अोरछा निवासी श्री समोखन शुक्ला के घर मार्गशीर्ष शुक्ला पंचमी, संवत 1567 को हुआ था।
- उनकी संस्कृत में विशेष रुचि होने के कारण अल्प काल में ही मे इन्होंने पांडित्य प्राप्त कर लिया।
- अोरछा नरेश मधुकरशाह इनके मंत्रिशष्य थे। हरिराम व्यास जी अपने पिता की ही भाँति परम वैष्णव तथा सद्गृहस्थ थे। राधाकृष्ण की अोर विशेष झुकाव हो जाने से ये अोड़छा छोड़कर वृन्दावन चले अाए।
- राधावल्ल्भ संप्रदाय के प्रमुख अाचार्य गोस्वामी हितहरिवंश जी के जीवन दशर्न का इनके ऊपर ऐसा मोहक प्रभाव पड़ा कि इनकी अंतर्वृत्ति नित्यकिशोरी राधा तथा नित्यकिशोर कृष्ण के निकुंज लीलागान मे रम गई। ऐसी स्थिति चैतन्य संप्रदाय के रूप गोस्वामी अौर सनातन गोस्वामी से इनकी गाढ़ी मेत्री थी।
- उनकी प्रवृत्ति दाशर्निक मतभेदों को प्रश्रय देने की नहीं थीं। राघावल्लभीय संप्रदाय के मूल तत्व -नित्यविहार दशर्न - जिसे रसोपासना भी कहते हैं- की सहज अभिव्यक्ति इनकी वाणी मे हुई है।
- उन्होंने श्रृंगार के अंतर्गत संयोगपक्ष को नित्यलीला का प्राण माना है। राधा का 'नखशिख' अौर 'श्रृंगार परक' इनकी अन्य रचनाएँ भी सयमित एवं मर्यादित हैं। 'व्यासवाणी' भक्ति अौर साहित्यिक गरिमा के कारण इनकी प्रढ़तम कृति है।
- धार्मिक दृष्टकोश व्यापक तथा उदार था। ये उच्च कोटि के भक्त तथा कवि थे।
- राघावल्लभोय संप्रदाय के हरित्रय मे इनका विशिष्ठ स्थान है।
- हरिराम व्यास का निधन ज्येष्ठ शुक्ला 11, सोमवार सन 1968 मानी जाती है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ