करत निपुनई गुन बिना -रहीम

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
रविन्द्र प्रसाद (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:14, 13 फ़रवरी 2016 का अवतरण ('<div class="bgrahimdv"> करत निपुनई गुन बिना, ‘रहिमन’ निपुन हजूर।<br...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें

करत निपुनई गुन बिना, ‘रहिमन’ निपुन हजूर।
मानहुं टेरत बिटप चढि, मोहि समान को कूर॥

अर्थ

बिना ही निपुणता और बिना ही किसी गुण के जो व्यक्ति बुद्धिमानों के आगे डींग मारता फिरता है। वह मानो वृक्ष पर चढ़कर घोषणा करता है निरी अपनी मूर्खता की।


पीछे जाएँ
पीछे जाएँ
रहीम के दोहे
आगे जाएँ
आगे जाएँ

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख