अशोक गहलोत
अशोक गहलोत
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पूरा नाम | अशोक गहलोत |
जन्म | 3 मई, 1951 |
जन्म भूमि | जोधपुर, राजस्थान |
अभिभावक | लक्ष्मण सिंह गहलोत |
पति/पत्नी | सुनीता गहलोत |
संतान | पुत्र- वैभव गहलोत
पुत्री- सोनिया गहलोत |
नागरिकता | भारतीय |
पार्टी | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
पद | राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री (दो बार) |
कार्य काल | 1 दिसंबर 1998 से 8 दिसंबर 2003 तक और 13 दिसंबर 2008 से 12 दिसंबर 2013 तक |
शिक्षा | वकालत, स्नातकोत्तर (अर्थशास्त्र) |
अन्य जानकारी | अशोक गहलोत ने इन्दिरा गांधी, राजीव गांधी तथा पी.वी. नरसिम्हा राव के मंत्रीमण्डल में केन्द्रीय मंत्री के रूप में कार्य किया। वे तीन बार केन्द्रीय मंत्री बने। |
अद्यतन | 17:09, 6 जनवरी 2014 (IST)
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अशोक गहलोत (अंग्रेज़ी: Ashok Gehlot, जन्म: 3 मई, 1951) प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री हैं। अपनी सादगी और गांधीवादी मूल्यों के लिए पहचाने जाने वाले अशोक गहलोत का जन्म 3 मई 1951 को जोधपुर, राजस्थान में हुआ। लक्ष्मण सिंह गहलोत के घर जन्मे अशोक गहलोत ने विज्ञान और क़ानून में स्नातक डिग्री प्राप्त की तथा अर्थशास्त्र विषय लेकर स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त की। अशोक गहलोत का विवाह 27 नवम्बर, 1977 को श्रीमती सुनीता गहलोत के साथ हुआ। अशोक गहलोत के एक पुत्र (वैभव गहलोत) और एक पुत्री (सोनिया गहलोत) हैं। वे लोगों की पीड़ा और दु:ख- दर्द जानने के लिए उनसे सीधी मुलाकात करते हैं।
राजनीतिक परिचय
विद्यार्थी जीवन से ही राजनीति और समाजसेवा में सक्रिय रहे अशोक गहलोत 7वीं लोकसभा (1980-84) के लिए वर्ष 1980 में पहली बार जोधपुर संसदीय क्षेत्र से निर्वाचित हुए। अशोक गहलोत एक कद्दावर नेता हैं तथा उन्होंने जोधपुर संसदीय क्षेत्र का 8वीं लोकसभा (1984-1989), 10वीं लोकसभा (1991-96), 11वीं लोकसभा (1996-98) तथा 12वीं लोकसभा (1998-1999) में भी प्रतिनिधित्व किया। सरदारपुरा (जोधपुर) विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित होने के बाद अशोक गहलोत फरवरी, 1999 में 11वीं राजस्थान विधानसभा के सदस्य बने। प्रदेश की जनता में लोकप्रिय अशोक गहलोत पुन: इसी विधानसभा क्षेत्र से 12वीं राजस्थान विधानसभा के लिए 4 दिसंबर 2003 को निर्वाचित हुए तथा 13वीं राजस्थान विधानसभा के लिए 8 दिसंबर 2008 को सरदारपुरा विधानसभा क्षेत्र से ही दुबारा निर्वाचित हुए।
कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष
अशोक गहलोत को 3 बार प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष रहने का गौरव प्राप्त हुआ है। पहली बार अशोक गहलोत 34 वर्ष की युवा अवस्था में ही राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बन गये थे। राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के रूप में उनका पहला कार्यकाल सितम्बर, 1985 से जून, 1989 की अवधि के बीच में रहा। 1 दिसम्बर, 1994 से जून, 1997 तक द्वितीय बार व जून, 1997 से 14 अप्रैल, 1999 तक तृतीय बार वे पुन: राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद पर रहे।
सदस्यता
वर्ष 1980 से 1982 के बीच अशोक गहलोत पब्लिक एकाउण्ट्स कमेटी (लोकसभा) के सदस्य रहे। अशोक गहलोत संचार मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति (10वीं लोकसभा) के सदस्य भी रह चुके हैं। उन्होंने रेल मंत्रालय की स्थाई समिति (10वीं और 11वीं लोकसभा) के सदस्य के रूप में कार्य किया। इसके अलावा अशोक गहलोत विदेश मंत्रालय से सम्बद्ध सलाहकार समिति (11वीं लोकसभा) के सदस्य भी रहे।
केंद्रीय मंत्री
अशोक गहलोत ने इन्दिरा गांधी, राजीव गांधी तथा पी.वी. नरसिम्हा राव के मंत्रीमण्डल में केन्द्रीय मंत्री के रूप में कार्य किया। वे तीन बार केन्द्रीय मंत्री बने। जब श्रीमती इन्दिरा गांधी भारत की प्रधानमंत्री थीं उस समय अशोक गहलोत 2 सितम्बर, 1982 से 7 फरवरी, 1984 की अवधि में श्रीमती इन्दिरा गांधी के मंत्रीमण्डल में पर्यटन और नागरिक उड्डयन उपमंत्री रहे। इसके बाद अशोक गहलोत खेल उपमंत्री बनें । उन्होंने 7 फरवरी, 1984 से 31 अक्टूबर 1984 की अवधि में खेल मंत्रालय में कार्य किया तथा पुन: 12 नवम्बर, 1984 से 31 दिसम्बर, 1984 की अवधि में इसी मंत्रालय में कार्य किया। उनकी पारदर्शी कार्यशैली तथा प्रत्येक विषय-वस्तु को गहराई से जानने की लगन के कारण श्रीमती इन्दिरा गांधी और श्री राजीव गांधी जैसे नेता उनकी भूरि-भूरि प्रशंसा करते थे। उनकी इस कार्यशैली को देखते हुए उन्हें केन्द्र सरकार में राज्य मंत्री बनाया गया। 31 दिसम्बर, 1984 से 26 सितम्बर, 1985 की अवधि में अशोक गहलोत ने केन्द्रीय पर्यटन और नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया। इसके पश्चात् उन्हें केन्द्रीय कपड़ा राज्य मंत्री बनाया गया। यह मंत्रालय पूर्व प्रधानमंत्री के पास था तथा अशोक गहलोत को इसका स्वतंत्र प्रभार दिया गया। अशोक गहलोत इस मंत्रालय के 21 जून, 1991 से 18 जनवरी, 1993 तक मंत्री रहे ।
मुख्यमंत्री
अशोक गहलोत 1 दिसंबर 1998 से 8 दिसंबर 2003 तक राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे। उनका यह कार्यकाल अन्य महत्वपूर्ण उपलब्धियों के अलावा अभूतपूर्व सूखा प्रबन्धन, विद्युत उत्पादन, संसाधनों का विकास, रोज़गार सृजन, औद्योगिक और पर्यटन विकास, कुशल वित्तीय प्रबन्धन और सुशासन के लिए जाना जाता है। मुख्यमंत्री के रूप में अशोक गहलोत के पहले कार्यकाल के दौरान राजस्थान में इस सदी का भयंकार अकाल पड़ा। उन्होंने अत्यन्त ही प्रभावी और कुशल ढ़ंग से अकाल प्रबन्धन का कार्य किया। उस समय अकाल प्रभावित लोगों के पास इतना अनाज पहुंचाया गया था जितना अनाज ये लोग शायद अपनी फसलों से भी प्राप्त नहीं कर सकते थे। प्रतिपक्ष भी खाद्यान्न और चारे की अनुपलब्धता के सम्बन्ध में सरकार की तरफ अंगुली तक नहीं उठा सके क्योंकि अशोक गहलोत ने व्यक्तिगत रूप से अकाल राहत कार्यों की मॉनिटरिंग की थी। अशोक गहलोत को गरीब की पीड़ा और उसके दु:ख दर्द की अनुभूति करने वाले राजनेता के रूप में जाना जाता है। उन्होंने 'पानी बचाओ, बिजली बचाओ, सबको पढ़ाओ' का नारा दिया जिसे राज्य की जनता ने पूर्ण मनोयोग से अंगीकार किया। अशोक गहलोत को 13 दिसम्बर, 2008 को दूसरी बार राजस्थान के मुख्यमंत्री बने और 12 दिसंबर 2013 तक पदासीन रहे।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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