घटकर्पर
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घटकर्पर यमक अलंकार प्रधान एक 22 श्लोकात्मक काव्य है। विरहिणी नायिका द्वारा अपने दूरस्थ नायक को वर्षारंभ में संदेश भेजे जाने का वर्णन इस काव्य का मूल विषय है।[1]
- घटकर्पर के रचयिता के विषय में पर्याप्त जानकारी का अभाव और संशय है।
- परंपरा में इस काव्य को उज्जयिनी नरेश विक्रमादित्य के नवरत्न 'घटकर्पर' की कृति माना जाता है, लेकिन यह मत न्याय संगत नहीं बैठता।
- इसके बारे में महाकवि कालिदास को भी निश्चित प्रमाण उपलब्ध नहीं था।
- याकोबी ने इस काव्य को कालिदास से प्राचीनतर माना है।
- लेखक की गर्वोक्ति है कि जो यमकालंकार के प्रयोग में इस काव्य का अतिक्रमण करेगा, उसके लिये लेखक घट के टूटे हुए टुकड़ों में पानी भरेगा।
- घटकर्पर के कई संस्करण प्रचलित हैं। इस पर अभिनवगुप्त कृत विवृति प्रकाशित हो चुकी है।
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