ब्लू मून

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ब्लू मून (अंग्रेज़ी: Blue Moon) एक खगोलीय घटना है। इसमें चंद्रग्रहण के समय पर पूर्ण चंद्रमा दिखेगा और जब ऐसा होता है तो चांद की निचली सतह से नीले रंग की रोशनी बिखरती है। इस कारण से इसे 'ब्लू मून' भी कहा जाता है। 31 जनवरी, 2018 को ब्लू मून है। अगला 'ब्लू मून' साल 2028 और 2037 में देखने को मिलेगा। एक शताब्दी में कोई 41 बार आता है। पिछली बार ब्लू मून 7 जुलाई 2004 को दिखा था।

शरद पूर्णिमा का 'ब्लू मून'

अंग्रेज़ी भाषा के मुहावरे में ब्लू मून का प्रयोग 1946 से चलन में आया। लेकिन बरतानवी खेतिहर किसान डेढ़ सौ वर्षों से अपने पंचांग में इस घटना को महत्व देते आ रहे हैं। एक ही महीने में दूसरी बार जब पूरा चाँद उदय होता है तो उसे ब्लू मून कहते हैं। दो पूर्णिमाओं के बीच का अंतर 29.5 दिन होता है और एक महीने की औसत लंबाई 30.5 दिन। इसलिए किसी महीने में भूले-बिसरे ही चाँद दूसरी बार आता है। फिर भी ढाई-पौने तीन वर्षों में एक बार आ ही जाता है।

उत्सव

इस दिन माताएँ घर में ज्यादा दूध लेती हैं, दिनभर गरम करती हैं, केसर-मेवा डालती हैं और रात को छत पर ले जाकर चंद्रमा को उसका प्रसाद चढ़ाएँगी। फिर पतीला चंद्रप्रकाश में रखेंगी ताकि चंद्रकिरणों से बरसता अमृत उसमें समा जाए। घर के पालतू कुत्ते-बिल्लियाँ तो इसकी महक से दिन भर बेचैन रहते हैं और जिन बच्चों को दूध पसंद नहीं है वे इस वर्णन से भी नाक-भौं सिकोड़ेंगे लेकिन यह तो वे भी देखेंगे कि शाम का चंद्रमा ओटाए दूध की तरह हल्का पीलापन लिए था। शरद पूर्णिमा की रात छत पर केसरिया दूध की चुस्कियाँ लेते हुए घर के लोगों को ब्लू मून के बारे में बताना चाहिये।[1]



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. शरद पूर्णिमा का 'ब्लू मून' (हिंदी) वेब दुनिया। अभिगमन तिथि: 30 जनवरी, 2018।