मेघालय युग
मेघालय युग धरती के इतिहास में भू-वैज्ञानिकों द्वारा खोजे गए एक नये काल का नाम है। विशेष बात यह है कि इस युग का सम्बंध भारत के मेघालय से है। भू-वैज्ञानिकों ने 4200 साल पहले शुरू हुए धरती के इतिहास को 'मेघालय युग' का नाम दिया है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस दौरान दुनिया में अचानक भीषण सूखा पड़ा था और तापमान में गिरावट आई थी। इससे कई सभ्यताएं खत्म हो गईं थीं।
नाम 'मेघालय युग' ही क्यों?
मनुष्य आगे बढ़ता जाता है और समय की शिला पर उसके कदमों के निशान दर्ज होते जाते हैं। इसी कहावत के साथ एक भौतिक सचाई भी जुड़ी है। वक्त गुजरने के निशान सचमुच एक शिला पर ही दर्ज हैं और इन्हीं निशानों के आधार पर यह तय हुआ कि अभी जिस दौर में हम रह रहे हैं, वह किसी महापुरुष के जन्म या राजा के सत्ता संभालने के साथ नहीं, बल्कि अब से 4200 वर्ष पहले पड़े 200 साल लंबे एक विश्वव्यापी सूखे से शुरू हुआ था। यह शिला चूंकि भारत के मेघालय राज्य में पाई गई, इसलिए पूरी दुनिया में इस युग को "मेघालय युग" के नाम से जाना जाएगा। मेघालय में 1290 मीटर की ऊंचाई पर स्थित मॉमलुह गुफा की गिनती देश की दस सबसे लंबी और गहरी गुफाओं में होती है। इसी गुफा की छत से लाखों वर्षों में टपके पानी में घुले खनिजों से बनी नीचे से ऊपर को जाती एक चट्टान (स्टैलैग्माइट) ने वैज्ञानिकों को ऐसे सुराग मुहैया कराए, जिनके आधार पर यह नया काल विभाजन सामने आया।
होलोसीन युग
4.6 अरब साल के धरती के इतिहास को कई कालखंडों में बांटा गया है। हर कालखंड महत्वपूर्ण घटनाओं जैसे महाद्वीपों का टूटना, पर्यावरण में नाटकीय बदलाव या धरती पर खास तरह के जानवरों, पौधों की उत्पत्ति पर आधारित है। जिस वर्तमान काल में हम रहे हैं, उसे 'होलोसीन युग' के नाम से जाना जाता है, जिसमें पिछले 11700 सालों का इतिहास शामिल है, तब से जब मौसम में पैदा हुई एक नाटकीय गर्मी से हम हिम युग से बाहर आए थे। हालांकि 'इंटरनैशनल कमिशन ऑफ स्ट्रैटिग्रफी' (आईसीएस) के अनुसार होलोसीन युग को भी बांटा जा सकता है। भू-वैज्ञानिक इतिहास और समय का आधिकारिक ब्योरा रखने की जिम्मेदारी आईसीएस की ही है। इसने युग को अपर, मिडल और लोअर चरणों में विभाजित करने का प्रस्ताव दिया है। इन सबमें इतिहास की महत्वपूर्ण घटनाएं दर्ज हैं। इनमें सबसे युवा 'मेघालय युग' 4200 साल पहले से लेकर 1950 तक माना जाता है।
होलोसीन युग की खासियत यह है कि इस दौर में इंसान बाकी जीवों पर अपनी श्रेष्ठता स्थापित कर चुका था। होलोसीन युग में भी मेघालयन दौर की विशेषता यह है कि इसे मानव इतिहास की बहुत बड़ी उथल-पुथल से जोड़कर देखा जा सकता है। दो सदी के जिस सूखे ने इसे पिछले दौरों से अलग किया, वह पूरी दुनिया में बड़े सांस्कृतिक बदलावों का वाहक बना। इसके चलते न केवल बड़ी-बड़ी सभ्यताएं नष्ट हुईं, बल्कि मनुष्य की जीवन शैली में जबर्दस्त बदलाव भी आए। आधुनिक मनुष्य की जीवन यात्रा का यह दौर महासूखे का गोला दगने के साथ शुरू हुआ, जिसके निशान मेघालय में दर्ज पाए गए।
खेती आधारित सभ्यताओं पर असर
मेघालय युग की शुरुआत भयंकर सूखे के साथ हुई, जिसका असर 200 साल तक रहा। इसने मिस्र, यूनान, सीरिया, फिलस्तीन, मेसोपोटामिया, सिंघु घाटी और यांग्त्से नदी घाटी में खेती आधारित सभ्यताओं पर गंभीर रूप से असर डाला।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
- http://www.drishtiias.com/hindi/current-affairs/newest-phase-in-earth-history-named-after-meghalaya-rock http://www.drishtiias.com/hindi/current-affairs/newest-phase-in-earth-history-named-after-meghalaya-rock http://www.drishtiias.com/hindi/current-affairs/newest-phase-in-earth-history-named-after-meghalaya-rock
- धरती के इतिहास में वैज्ञानिकों ने खोजा 'मेघालय युग'
- धरती के इतिहास में वैज्ञानिकों ने खोजा 'मेघालय युग', 4200 साल पहले हुई थी शुरुआत
- मेघालय का दौर
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