दिव्य प्रबन्ध

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
दिनेश (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:47, 23 जून 2020 का अवतरण (''''दिव्य प्रबन्ध''' तमिल भाषा के 4,000 पद्यों को कहते है...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें

दिव्य प्रबन्ध तमिल भाषा के 4,000 पद्यों को कहते हैं, जिनकी रचना 12 आलवार सन्तों ने आठवीं शती के पहले की थी।

  • तमिल में 'नालायिर' का अर्थ है- 'चार हजार'। अपने वर्तमान रूप में इन पद्यों का संकलन नाथमुनि द्वारा नौंवी और दसवीं शदी में किया गया। ये पद्य आज भी खूब गाये जाते हैं।
  • अलवार और नायन्मार संतों की रचनाओं को वेदों में महत्वपूर्ण बताकर भक्ति परम्परा को सम्मानित किया गया। उदाहरणस्वरूप- आलवार संतों के एक मुख्य काव्य संकलन (नालायिर दिव्य प्रबंधम्) का वर्णन तमिल वेद के रूप में किया जाता था। इस तरह इस ग्रंथ का महत्व संस्कृत के चारों वेदों जितना बताया गया जो पंडितों के द्वारा पोषित थे।
पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख