अश्वनी कुमार

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अश्वनी कुमार (अंग्रेज़ी: Ashwani Kumar, जन्म- 15 नवंबर, 1950, सिरमौर, हिमाचल प्रदेश; मृत्यु- 7 अक्टूबर, 2020) केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के पूर्व निदेशक थे। साल 1973 में अश्वनी कुमार भारतीय पुलिस सेवा के लिए चुने गए। वह 2006 से लेकर 2008 तक हिमाचल प्रदेश के पुलिस महानिदेशक के पद पर भी रहे। उन्हें एक ईमानदार अधिकारी माना जाता था। अश्वनी कुमार अपने शिमला स्थित घर में मृत पाए गए थे। पुलिस के मुताबिक़ उन्होंने खुदकुशी की थी।

परिचय

अश्वनी कुमार का जन्म हिमाचल प्रदेश के एक पिछड़े ज़िले सिरमौर के नहान में 15 नवंबर, 1950 को हुआ था। वह 2008 से 2010 के बीच सीबीआई के निदेशक रहे। इसके बाद वह मणिपुर और नागालैंड के राज्यपाल भी रह चुके थे। वापस आने पर अश्वनी कुमार ने एपीजी गोयल शिमला विश्विद्यालय के कुलपति के रूप में कार्यभार स्वीकार किया था, लेकिन 2018 में उन्होंने इसे छोड़ दिया। कोरोना वायरस संक्रमण के कारण लॉकडाउन के दौरान अश्वनी कुमार मुंबई में फंस गए थे, जहाँ वह अपने बेटे अभिषेक के साथ रह रहे थे। उनके बेटे एक बड़ी प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं। अश्वनी कुमार के परिवार में उनकी पत्नी चंदा, बेटे और बहू हैं।[1]

चर्चित मामले

हिमाचल प्रदेश पुलिस, सीबीआई और प्रधानमंत्री को सुरक्षा मुहैया कराने वाली सरकारी एजेंसी एसपीजी के अहम पदों पर अश्वनी कुमार रहे। वह निम्न मामलों के लिए जाने जाते थे-

  • साल 2008 में अश्वनी कुमार ने कार्यभार संभाला। तब सीबीआई चर्चित आरुषि तलवार केस की जाँच कर रही थी। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़, वह जांच से खुश नहीं थे और उन्होंने केस अपने हाथ में लेने का फैसला किया था। अश्वनी कुमार ने कहा था, "ये केस मेरे लिए लिटमस टेस्ट है, मुझे पता करना है कि आरुषि को किसने मारा? माँ-बाप ने या किसी और ने? मुझे इस केस को लेकर गुस्सा आता है"।
  • अश्वनी कुमार के कार्यकाल में ही केस की क्लोज़र रिपोर्ट बनाई गई थी। कॉमनवेल्थ गेम घोटाले की जांच भी उनके कार्यकाल में शुरू हुई।
  • इसके अलावा कथित सोहराबुद्दीन फ़ेक एनकाउंटर मामले में भी उनके कार्यकाल में कार्यवाई की गई थी।

मृत्यु

अश्वनी कुमार ने 7 अक्टूबर, 2020 को आत्महत्या कर ली। हिमाचल प्रदेश के डीजीपी संजय कुंडू के अनुसार, अश्वनी कुमार के पास से एक सुसाइड नोट मिला है। इस सुसाइड नोट में लिखा हुआ था, "अपनी बीमारी और डिसएबिलिटी के चलते इस जीवन को ख़त्म कर रहा हूं और नए जीवन की ओर बढ़ रहा हूं"।[1]

डीजीपी संजय कुंडू के मुताबिक़ अश्वनी कुमार ने सुसाइड नोट में अपनी मौत के लिए किसी को भी ज़िम्मेदार नहीं ठहराया। परिवार वालों के मुताबिक़ अश्वनी कुमार ख़ुदकुशी से पहले सामान्य थे। उन्होंने दिन में सैर की, काली माता के मंदिर गए और शाम में ध्यान किया। शाम में उनके बेटे और बहू सैर के लिए बाहर निकले। जब वह वापस लौटे तो दरवाज़ा अंदर से बंद था। दरवाजा तोड़े जाने पर अश्वनी कुमार मृत पाए गए। परिवार वालों ने भी अश्वनी कुमार की मौत में किसी तरह की साज़िश होने की बात नहीं कही। संजय कुंडू के मुताबिक़ युवा आईपीएस अधिकारियों के लिए अश्वनी कुमार की ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा प्रेरणा का काम करती रही थी।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 पूर्व सीबीआई निदेशक ने आत्महत्या की, शव बरामद (हिंदी) bbc.com। अभिगमन तिथि: 11 अक्टूबर, 2020।

बाहरी कड़ियाँ

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