आसेन ईवर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यशी चौधरी (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 06:23, 26 जून 2018 का अवतरण (''''आसेन ईवर''' (1813-96) नार्वे के भाषावैज्ञानिक; जन्म सैडमो...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें

आसेन ईवर (1813-96) नार्वे के भाषावैज्ञानिक; जन्म सैडमोर (नार्वे) में। वहां के लोकजीवन, साहित्य और गीतों का ईवर में गहरा अध्ययन किया था। उसी लोकभाषा को कुछ हेर फेर कर एक नई लोकभाषा को इन्होंने जन्म दिया जो अत्यंत लोकप्रिय हुई । बाद में लोकजीवन पर लिखनेवाले विद्वानों ने इसी को अपनाया। कुछ उत्साही वर्ग इसी को राजभाषा बनाने के पक्ष में थे। साहित्य के इतिहास में आसेन ही ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने एक ऐसी नवीन भाषा का निर्माण किया जो इतनी जनप्रिय भी हुई।[1]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 465 |

संबंधित लेख