जिहि रहीम तन मन लियो -रहीम
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जिहि ‘रहीम’ तन मन लियो, कियो हिए बिच भौन।
तासों दु:ख-सुख कहन की, रही बात अब कौन॥
- अर्थ
जिस प्रिय मित्र ने तन और मन पर कब्जा कर रक्खा है और हृदय में जो सदा के लिए बस गया है, उससे सुख और दु:ख कहने की अब कौन-सी बात बाकी रह गयी है?[1]
रहीम के दोहे |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ दोनों के तन एक हो गये, और मन भी दोनों के एक ही।
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