अंत
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अंत भ्वा. पर. सक. बांधना; अन्तति। (विशेषण) [अम्+तन]
- 1. समीप, निकट
- 2. अन्तिम
- 3. सुन्दर, मनोहर-मेघ. 23, शि. 4/40 (इसका सामान्य अर्थ- 'सीमा' या 'छोर' है, यद्यपि 'शब्दार्णव' का उद्धरण देते हुए मल्लिनाथ इसका अर्थ 'रम्य' करते हैं)
- 4. नीचतम, निकृष्टतम
- 5. सबसे छोटा,-तः (कुछ अर्थों में नपुं.)
- 1. (विशेषण) छोर, मर्यादा (देश काल की दृष्टि से) सीमा, चरम सीमा, अन्तिम बिन्दु या पराकाष्ठा
- 2. छोर, सरहद, किनारा परिसर, सामान्य रूप से स्थान या भूमि
- 3. बुनी हुई किनारी का पल्ला-वस्त्र°, पट°
- 4. सामीप्य, सन्निकटता, पड़ोस, विद्यमानता
- 5. समाप्ति, उपसंहार, अवसान
- 6. मृत्यु, नाश, जीवन का अंत
- 7. (व्या. में) शब्द का अन्तिम अक्षर
- 8. समास में अंतिम शब्द
- 9. (प्रश्न का) निश्चय, निर्णीत या अंतिम निश्चय
- 10. अंतिम अंश, अवशेष
- 11. प्रकृति, दशा, प्रकार, जाति
- 12. वृत्ति, तत्त्व शुद्धांतः
सम.-अवशायिन् (पुल्लिंग) चांडाल,-अवसायिन् (पुल्लिंग)
- 1. नाई
- 2. चांडाल, नीच जाति का,-कर,-करण-कारिन् (विशेषण) घातक, मारक, संहारक,-कर्मन् (नुपं.) मृत्यु, -कालः (पुल्लिंग),-बेला (स्त्रीलिंग) मृत्यु का समय,-कृत् (पुल्लिंग) मृत्यु,-ग (विशेषण) किनारे तक जाने वाला, पूरी तरह से जानकार या परिचित, (समास में)-गति,-गामिन् (विशेषण) नाश होने वाला, गमनम्
- 1. समाप्त करना, पूरा सकरना
- 2. मृत्यु-दीपकम् (नपुं.) सा. शा. में एक अलंकार,-पालः (पुल्लिंग)
- 1. सीमा की रक्षा करने वाला
- 2. द्वारपाल-लीन (विशेषण) गुप्त, छिपा हुआ,-लोपः शब्द के अंतिम अक्षर को निकाल देना,-वासिन् (°ते°) (विशेषण) सीमान्त प्रदेश के निकट रहने वाला, निकट ही रहने वाला, (-पुं.) विद्यार्थी (जो शिक्षा ग्रहण करने के निमित्त सदैव गुरु के निकट रहता है) चांडाल (जो गाँव के किनारे रहता है)-वेला-तुं °कालः- शय्या (स्त्रीलिंग) 1. भूमिशय्या 2. अंतिम शय्या, मृत्युशय्या 3. कब्रिस्तान या श्मशान भूमि,-सत्क्रिया (स्त्रीलिंग) अंत्येष्टि संस्कार,-सद् (पुल्लिंग विद्यार्थी।[1]
इन्हें भी देखें: संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेताक्षर सूची), संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेत सूची) एवं संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 52 |
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