उत्प्रेक्षा अलंकार

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  • जिस जगह उपमेय को ही उपमान मान लिया जाता है यानी अप्रस्तुत को प्रस्तुत मानकर वर्णन किया जाता है। वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।
  • यहाँ भिन्नता में अभिन्नता दिखाई जाती है।[1]
उदाहरण

सखि सोहत गोपाल के, उर गुंजन की माल बाहर सोहत मनु पिये, दावानल की ज्वाल।।

  • यहाँ पर गुंजन की माला उपमेय में दावानल की ज्वाल उपमान के संभावना होने से उत्प्रेक्षा अलंकार है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अलंकार (हिन्दी) (एच टी एम एल) हिन्दीकुंज। अभिगमन तिथि: 4 मई, 2011