निष्क्रमण संस्कार

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  • हिन्दू धर्म संस्कारों में निष्क्रमण संस्कार षष्ठम संस्कार है।
  • इसमें बालक को घर के भीतर से बाहर निकालने को निष्क्रमण कहते हैं।
  • इसमें बालक को सूर्य का दर्शन कराया जाता है।
  • बच्चे के पैदा होते ही उसे सूर्य के प्रकाश में नहीं लाना चाहिये।
  • इससे बच्चे की आँखों पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।
  • इसलिये जब बालक की आँखें तथा शरीर कुछ पुष्ट बन जाये, तब इस संस्कार को करना चाहिये।


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