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देवनागरी लिपि
देवनागरी लिपि
  • भारत में सर्वाधिक प्रचलित लिपि जिसमें संस्कृत, हिंदी और मराठी भाषाएँ लिखी जाती हैं।
  • देवनागरी शब्द का सबसे पहला उल्लेख 453 ई. में जैन ग्रंथों में मिलता है। 'नागरी' नाम के संबंध में मतैक्य नहीं है। इसका वर्तमान रूप नवी-दसवीं शताब्दी से मिलने लगता है।
  • देवनागरी लिपि, भाषा विज्ञान की शब्दावली में यह 'अक्षरात्मक' लिपि कहलाती है। यह विश्व में प्रचलित सभी लिपियों की अपेक्षा अधिक पूर्णतर है। प्रत्येक ध्वनि संकेत यथावत लिखा जाता है।
  • इसमें कुल 52 अक्षर हैं, जिसमें 14 स्वर और 38 व्यंजन हैं। अक्षरों की क्रम व्यवस्था (विन्यास) भी बहुत ही वैज्ञानिक है।
  • स्वर-व्यंजन, कोमल-कठोर, अल्पप्राण-महाप्राण, अनुनासिक्य-अन्तस्थ-उष्म इत्यादि वर्गीकरण भी वैज्ञानिक हैं। एक मत के अनुसार देवनगर (काशी) मे प्रचलन के कारण इसका नाम देवनागरी पड़ा।
  • देवनागरी की विशेषता अक्षरों के शीर्ष पर लंबी क्षैतिज रेखा है, जो आधुनिक उपयोग में सामान्य तौर पर जुड़ी हुई होती है, जिससे लेखन के दौरान शब्द के ऊपर अटूट क्षैतिक रेखा का निर्माण होता है।
  • देवनागरी लिपि, लेखन की दृष्टि से सरल, सौन्दर्य की दृष्टि से सुन्दर और वाचन की दृष्टि से सुपाठ्य है। देवनागरी को बाएं से दाहिनी ओर लिखा जाता है। .... और पढ़ें