भाजा
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- यह स्थान महाराष्ट्र में मुम्बई पूना रेलपथ पर मलवाणी स्टेशन के निकट भाजा बौद्ध कालीन गुफ़ाओं के लिए प्रसिद्ध है।
- भाजा में 22 गुफ़ाएँ हैं। इनमें चैत्यगृह, विहार और ठोस स्तूप सम्मिलित हैं।
- भाजा का चैत्यगृह आंरभिक काल का है। इसका निर्माण काल 200 ई. पू. हैं।
- भाजा का चैत्यगृह इस क्षेत्र का सबसे प्राचीन चैत्य है।
- भाजा का क्षेत्रफल 38.25 मीटर लम्बा, 15 मीटर चौड़ा और 14,50 मीटर ऊँचा है।
- इसमें एक आयताकार कमरा 18 मीटर लम्बा 8,50 मीटर चौड़ा व 6,5 मीटर ऊँचा है।
- इसके सामने बरामदा और आठ प्रकोष्ठ हैं, जो भिक्षुओं के रहने के काम आते थे।
- इस चैत्य का गवाक्ष गोलाकार है। पाषाण खम्भे थोड़े तिरछे हैं।
- इसके भीतर स्थापित ठोस स्तूप अत्यंत सादा है। गुफ़ाओं में मूर्ति कला के नमूने अल्प हैं।
- इनकी भित्तियों पर पाँच मानव आकृतियाँ उत्कीर्ण हैं। जिनके नीचे दानवों की प्रतिमाएँ हैं।
- यहाँ दूसरी मूर्ति गजारूढ़ देवेन्द्र की है। यह गुहा-विहार सूर्य उपासकों द्वारा निर्मित जान पड़ता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ