दीवान

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:32, 13 मार्च 2011 का अवतरण (Text replace - "महत्व" to "महत्त्व")
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें

दीवान, यह मुग़ल प्रशासन में सबसे बड़ा अधिकारी होता था। वह राजस्व एवं वित्त का एकमात्र प्रभारी होता था। उसकी नियुक्ति न केवल केन्द्रीय सरकार में वरन् प्रान्तीय सरकारों में भी होती थी। आज भारत में दीवान का पद कई विभागों में महत्त्वपूर्ण माना जाता है।

प्रान्त में नियंत्रण

प्रान्तों में दीवान का पद सूबेदार के बाद माना जाता था। प्रान्तों में दीवान भी सम्राट के द्वारा नियुक्त किया जाता था, जो केवल सम्राट के प्रति ही उत्तरदायी होता था। इस प्रकार वह सूबेदार को मनमानी करने से रोकता था।

दीवान शब्द का प्रयोग

इस शब्द का प्रयोग सामान्यत: एक विभाग के लिए होता था, यथा-

  • दीवान-ए-आम, अथवा सम्राट का कार्यालय।
  • दीवान-ए-अमीर कोही-अथवा कृषि विभाग।
  • दीवान-ए-अर्ज-अथवा सेना का विभाग।
  • दीवान-ए-बंदग़ान-अथवा दास विभाग।
  • दीवान-ए-इंशा-अथवा पत्राचार विभाग।
  • दीवान-ए-इश्तिहक़ाक़-अथवा पेंशन विभाग।
  • दीवान-ए-ख़ैरात-अथवा दान विभाग।
  • दीवान-ए-ख़ास-अथवा सम्राट का अंतरंग सभाकक्ष।
  • दीवान-ए-मुश्तख़राज-अथवा कर वसूल करने वालों से बक़ाया वसूल करने वाला विभाग।
  • दीवान-ए-क़ाजिए-ममालक-अथवा न्या, गुप्तचरी और डाक विभाग।
  • दीवान-ए-रिसालात-अथवा अपील विभाग।
  • दीवान-ए-रियासत-अथवा हाट अधीक्षकों का विभाग।

यह शब्दावली प्रकट करती है कि दिल्ली के सम्राटों की प्रशासन पद्धति में एक प्रकार की विभागीय व्यवस्था थी।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

(पुस्तक 'भारतीय इतिहास कोश') पृष्ठ संख्या-207