अनुराधा नक्षत्र

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अर्थ: सफलता
देव: मित्र

अनुराधा नक्षत्र का स्वामी शनि है, जो राशि स्वामी मंगल का शत्रु है।अनुराधा में उत्तरीय सहित वस्त्र का दान करने का नियम है। अनुराधा में मित्र का व्रत और पूजन किया जाता है। अनुराधा नक्षत्र के देवता शनि को माना जाता है,जबकि वैज्ञानिक ष्टिकोण से मौल श्री के पेड को अनुराधा नक्षत्र का प्रतीक माना जाता है और अनुराधा नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग मौल श्री की पूजा करते है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग अपने घर के खाली हिस्से में मौल श्री के पेड को लगाते है, हालांकि वैज्ञानिक मानचित्र में मौल श्री नक्षत्र को एक विशेष रुप में दिखाया गया है।

तुला राशि के पास ही दक्षिण-पूर्व की ओर एक बड़ा ‘वृश्चिक मण्डल’ या वृश्चिक राशि’ है, जिसकी आकृति बिच्छु के समान है। यह राशि मानचित्र में 225 अंश देशान्तर से 255 अंश देशान्तर तथा 30 अंश दक्षिणी अक्षांश तक फैली हुई है। इसके मुहँ की ओर पाँच चमकीले सितारे हैं, जिनमें दक्षिण की ओर चौथे नम्बर का सितारा ‘अनुराधा’ नक्षत्र है। यह 223 अंश 19 कला देशान्तर पर स्थित है। आकाश गंगा का 17वां नक्षत्र ‘अनुराधा’ का विस्तार 213 अंश 20 कला से 226 अंश 40 कला तक निर्धारित है। इस तारे को अरबी साहित्य में ‘अलइकलील’ (अर्थात् ताज) ग्रीक भाषा में ‘स्कार पियोनिस’ तथा चाइनीज स्यू में ‘फंग’ कहते हैं। अनुराधा का अर्थ होता है ‘सफलता’। काव्य के अनुसार अनुराधा 3 तारों का समूह है, जबकि अधिकारी विद्वान इसमें 4 तारों का समूह मानते हैं। यह नक्षत्र कभी कमल के समान नजर आता है, तो कभी छतरी के समान दिखता है। इस नक्षत्र का अधिदेवता मित्र है। मित्र भी 12 आदित्य में से एक है, जो कि दक्ष प्रजापति की संतान है, जिसमें सूर्य प्रधान है, जिसने ‘अदिति की कोख से जन्म लिया है। इस कारण सूर्य को आदित्य भी कहते हैं। ‘मित्र’ सूर्य का ही सहोदर है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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