साँचा:सूक्ति और कहावत-15

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
अश्वनी भाटिया (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:26, 4 मई 2011 का अवतरण ('<noinclude>{| width="51%" align="left" cellpadding="5" cellspacing="5" |-</noinclude> | class="bg64" style="border:1px solid #e8d79c;padd...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
  • तिलक-गीता का पूर्वार्द्ध है ‘स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है’, और उसका उत्तरार्द्ध है ‘स्वदेशी हमारा जन्मसिद्ध कर्तव्य है’। स्वदेशी को लोकमान्य बहिष्कार से भी ऊँचा स्थान देते थे। -महात्मा गाँधी
  • अंतर्राष्ट्रीयता तभी पनप सकती है जब राष्ट्रीयता का सुदृढ़ आधार हो। - श्यामाप्रसाद मुखर्जी .... और पढ़ें