दादा साहब फाल्के पुरस्कार
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- दादा साहब फाल्के पुरस्कार की स्थापना वर्ष 1969 में भारतीय सिनेमा के पितामह दादा साहब फाल्के की सौंवीं जयंती के अवसर पर की गई थी।
- यह भारतीय सिनेमा का सबसे बड़ा पुरस्कार है, जो आजीवन योगदान के लिए केंद्र सरकार की ओर से दिया जाता है। भारत सरकार द्वारा यह पुरस्कार भारतीय सिनेमा के संवर्धन और विकास में उल्लेखनीय योगदान करने के लिए दिया जाता है।
- प्रतिष्ठित व्यक्तियों की एक समिति की सिफारिशों पर यह पुरस्कार प्रदान किया जाता है।
- वर्ष 1969 में पहला पुरस्कार अभिनेत्री देविका रानी को दिया गया था।
- अब तक 41 लोगों को इससे सम्मानित किया जा चुका है।
- यह पुरस्कार वर्ष के अंत में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों के साथ दिया जाता है। लेकिन वर्ष 2006 में बंबई हाई कोर्ट ने फिल्म महोत्सव निदेशालय को निर्देश दिया कि वह इस सम्मान के लिए बिना सेंसर की हुई फिल्मों पर ही विचार करे। इसे फिल्म महोत्सव निदेशालय ने सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी और सर्वोच्च न्यायालय का फैसला फिल्म महोत्सव निदेशालय के पक्ष में रहा। अदालती फैसले में देरी के कारण उस वर्ष के पुरस्कार की घोषणा वर्ष 2008 के मध्य में की गई।
- 2007 के पुरस्कार की घोषणा[1] सिंतबर, 2009 में हुई और इसी तरह वर्ष 2008 के पुरस्कार की 19 जनवरी, 2010 को तथा वर्ष 2009 के पुरस्कार की घोषणा नौ सितंबर, 2010 को हुई।
- इस पुरस्कार में भारत सरकार की ओर से दस लाख रुपये नकद, स्वर्ण कमल और शॉल प्रदान किया जाता है।
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