धर्मपाल

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
रविन्द्र प्रसाद (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:46, 27 जून 2011 का अवतरण ('*'''धर्मपाल''' पाल वंश के गोपाल प्रथम का पुत्र एवं उत...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
  • धर्मपाल पाल वंश के गोपाल प्रथम का पुत्र एवं उत्तराधिकारी व एक योग्यतम शासक था।
  • उसका शासनकाल लगभग 770 से 810 ई. तक माना जाता है।
  • उसकी महत्वपूर्ण सफलता थी, कन्नौज के शासक 'इंद्रायुध' को परास्त कर 'चक्रायुध' को अपने संरक्षण में कन्नौज की गद्दी पर बैठाना।
  • उसने पश्चिम में पंजाब से लेकर पूर्व में बंगाल तक तथा उत्तर में हिमालय से लेकर दक्षिण में बरार तक अपनी शक्ति स्थापित की थी।
  • धर्मपाल बौद्ध धर्म का अनुयायी था, तथा इसने 'परमसौगत' की उपाधि धारण की थी।
  • 'नारायणपाल' अभिलेख में उसे उचित कर लगाने वाला अर्थात् सबसे साथ समान व्यवहार करने वाला (समकर) कहा गया है।
  • उसने प्रसिद्ध बौद्ध विद्धान 'हरिभद्र' को संरक्षण दिया था, तथा वह सभी धर्मों का आदर करता था।
  • धर्मपाल ने बोधगया में चतुर्भुज महादेव की मंदिर की स्थापित की थी, उसका मंत्री गर्ग ब्राह्मण था।
  • उसके शासन काल में प्रसिद्ध यात्री सुलेमान आया था, जिसने धर्मपाल को 'रुद्रमा' कहा था।
  • धर्मपाल द्वारा बहुत से बिहार एवं मठों का निर्माण का करवाया गया था।
  • उसने प्रसिद्ध विक्रमशिला विश्वविद्यालय और नालन्दा विश्वविद्यालय की स्थापना 'पाथरघाट भागलपुर' (बिहार) में की थी।
  • धर्मपाल ने नालंदा विश्वविद्यालय के ख़र्च के लिए 200 गाँवों को दान में दिया था।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख