रामपाल

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  • उसने लगभग 42 वर्षों (1075 - 1120 ई.) तक राज्य किया।
  • रामपाल से पूर्व उसका ज्येष्ठ भ्राता महिपाल द्वितीय शासक था, किंतु कैवतों के मुखिया 'दिव्य' अथवा 'दिव्योक' के नेतृत्व में जनता द्वारा विद्रोह करने पर उसे सिंहासन और अपने जीवन से भी हाथ धोना पड़ा।
  • कुछ समय उपरांत दिव्य का उत्तराधिकारी 'भीम' सिंहासन पर आसीन हुआ, किंतु रामपाल ने उसे अपदस्थ करके परिवार के सभी सदस्यों सहित उसका वध कर डाला।
  • इसके बाद रामपाल ने राज्य में फैली अव्यवस्था को दूर करके सर्वत्र शांति और व्यवस्था स्थापित कर दी।
  • रामपाल ने आसाम और उड़ीसा पर विजय प्राप्त की और कन्नौज के गहड़वाल शासक को बिहार की ओर साम्राज्य विस्तार करने से सफलतापूर्वक रोका।
  • 'सन्ध्यकार नन्दी' ने अपने विलक्षण काव्य ग्रंथ 'रामचरित' में रामपाल की उपलब्धियों का वर्णन किया है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

भट्टाचार्य, सच्चिदानन्द भारतीय इतिहास कोश, द्वितीय संस्करण-1989 (हिन्दी), भारत डिस्कवरी पुस्तकालय: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, 406।

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