इंलावृत

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
ऋचा (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:24, 5 जुलाई 2011 का अवतरण ('{{पुनरीक्षण}} पौराणिक भूगोल के अनुसार इलावृत, जंबुद...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"

पौराणिक भूगोल के अनुसार इलावृत, जंबुद्वीप का एक भाग है। इंलावृत की स्थिति जंबुद्वीप के मध्य में मानी गई है। इंलावृत के नाभिस्थान में मेरु पर्वत है तथा इसके उपास्यदेव शंकर हैं-

'पुनश्च परिवृत्याथ मध्यं देशमिलावृतम्।'[1]

विष्णुपुराण में इसका उल्लेख इस प्रकार है-

'मेरोश्चचतुर्दिशं तत्तु नव साहस्त्रविस्तृतम्, इलावृतं महाभाग चत्वारश्चात्र पर्वता:।'[2]

विष्णु पुराण के अनुसार इलावृत के चार पर्वत हैं, मंदर, गंधमादन, विमल और सुपार्श्च। इस देश में संभवत: हिमालय के उत्तर में चीन, मंगोलिया और साइबेरिया के कुछ भाग सम्मिलित रहे होंगे। वर्णन कल्पनारंजित होने के कारण ठीक-ठीक अभिज्ञान सम्भव नहीं जान पड़ता। इलावृत के दक्षिण में हरिवर्ष की स्थिति थी।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख