शब्द संदर्भ
| हिन्दी
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अश्विनी आदि 27 नक्षत्रों में से चौदहवाँ छन्द, एक सममात्रिक छन्द जिसके प्रत्येक चरण में 16 मात्राएँ होती हैं तथा 5वीं, 8वीं और 9वीं मात्राएँ लघु होती हैं, एक समवर्णिक छन्द जिसके प्रत्येक चरण में 4 मगण और यगण (म म म म य) के योग से 15 वर्ण होते हैं तथा 8-7 पर यति होती है, इसमें गृह-प्रवेश, गृहारंभ और यानों, वाहनों आदि का व्यवहार शुभ कहा गया है, मूषिकपर्णी या मूसाकानी लता,. ककड़ी खीरा आदि फल, संगीत में एक प्रकार की मूर्च्छना, एक प्रकार का पुराना बाजा।
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| -व्याकरण
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स्त्रीलिंग
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| -उदाहरण
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चित्रा नाडी अवधि रविवार के दिन नया व्यापार आरम्भ करना चाहिए।
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| -विशेष
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| -विलोम
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| -पर्यायवाची
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रोहिणी, मघा, रेवती।
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| संस्कृत
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[चित्र+टाप्]
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| अन्य ग्रंथ
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| संबंधित शब्द
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| संबंधित लेख
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