फ्लोरीन आवर्त सारणी के सप्तसमूह का प्रथम तत्व है, जिसमें सर्वाधिक अधातु गुण वर्तमान हैं। इसका एक स्थिर समस्थानिक प्राप्त है और तीन रेडियोऐक्टिव समस्थानिक कृत्रिम साधनों से बनाए गए हैं। इस तत्व को 1886 ई. में मॉयसाँ ने पृथक् किया था। अत्यंत क्रियाशील तत्व होने के कारण इसको मुक्त अवस्था में बनाना अत्यंत कठिन कार्य था। मॉयसाँ ने विशुद्ध हाइड्रोक्लोरिक अम्ल तथा पोटैशियम फ्लोराइड के मिश्रण के वैद्युत् अपघटन द्वारा यह तत्व प्राप्त किया था। फ्लोरीन मुक्त अवस्था में नहीं पाया जाता।
फ्लोरीन का निर्माण मॉयसाँ विधि द्वारा किया जाता है। प्लैटिनम इरीडियम मिश्रधातु का बना U के आकार का विद्युत् अपघटनी सेल लिया जाता है, जिसके विद्युदग्र भी इसी मिश्रधातु के बने रहते हैं। हाइड्रोफ्लोरिक अम्ल में पोटैशियम फ्लोराइड विलयित कर - 23° सें. पर सेल में अपघटन करने से धनाग्र पर फ्लोरीन मुक्त होगी। मुक्त फ्लोरीन को विशुद्ध करने के हेतु प्लैटिनम के ठंडे बरतन तथा सोडियम फ्लोराइड की नलिकाओं द्वारा प्रवाहित किया जाता है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख