महाराष्ट्र

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महाराष्ट्र / Maharashtra

इतिहास और भूगोल

प्राचीन 16 महाजनपदों में अश्मक या अस्सक का स्थान आधुनिक अहमदनगर के आसपास का माना जाता है । सम्राट अशोक के शिलालेख भी मुंम्बई के निकट पाए गए हैं । महाराष्‍ट्र के पहले प्रसिद्ध शासक सातवाहन (ई.पू. 230 से 225 ई.) थे जो महाराष्ट्र राज्य के संस्‍थापक थे। उन्‍होंने अपने पीछे बहुत से साहित्यिक, कलात्‍मक तथा पुरातात्विक प्रमाण छोड़े हैं। उनके शासनकाल में मानव जीवन के हर क्षेत्र में भरपूर प्रगति हुई।

इसके बाद वाकाटक आए, जिन्‍होंने भारतीय साम्राज्‍य की स्‍थापना की। उनके शासनकाल में महाराष्‍ट्र में शिक्षा, कला तथा धर्म सभी दिशाओं में अत्यधिक विकास हुआ। उनके शासन के दौरान ही 'अजंता की गुफाओं' में उच्‍च कोटि के भित्तिचित्र बनाए गए। वाकाटको के बाद कुछ समय के लिए 'कलचुरी वंश' ने शासन किया और फिर 'चालुक्‍य' सत्‍ता में आए। इसके बाद तटवर्ती इलाकों मे 'शिलाहारों' के अलावा महाराष्‍ट्र पर 'राष्‍ट्रकूट' तथा 'यादव' शासकों का नियंत्रण रहा। यादवों ने मराठी को शासन की भाषा बनाया और दक्षिण के एक बडे भाग पर अपना आधिपत्‍य स्थापित किया।

अलाउद्दीन ख़िलजी पहला मुस्लिम शासक था जिसने अपना राज्य दक्षिण में मदुरै तक फैला लिया था । उसके बाद मुहम्मद बिन तुग़लक (1325) ने अपनी राजधानी दिल्ली से हटाकर दौलताबाद कर ली । यह स्थान पहले देवगिरि नाम से प्रसिद्ध था और अहमदनगर के पास है । बहमनी शासकों ने महाराष्‍ट्र तथा इसकी संस्‍कृति को समन्वित किया, पर शिवाजी के कुशल नेतृत्‍व में महाराष्‍ट्र का सर्वांगीण विकास हुआ और यह एक अलग पहचान के साथ उभरकर सामने आया। शिवाजी ने स्‍वराज तथा राष्‍ट्रीयता की एक नई भावना पैदा की। उनकी प्रचंड शाक्ति ने मुग़लों को भारत के इस भाग में आगे नहीं बढ़ने दिया। पेशवाओं ने दक्षिण के पठार से लेकर पंजाब पर हमला बोल कर मराठाओं का आधिपत्‍य स्‍थापित किया।

बहमनी सल्तनत के टूटने पर यह प्रदेश गोलकुण्डा के शासन में आया और उसके बाद औरंगजेब का संक्षिप्त शासन रहा। इसके बाद मराठों की शक्ति में उत्तरोत्तर वृद्धि हुई और अठारहवीं सदी के अन्त तक मराठा पूरे महाराष्ट्र में फैल गये थे और उनका साम्राज्य दक्षिण में कर्नाटक के दक्षिणी सिरे तक हो गया था । 1820 तक आते आते अंग्रेजों ने पेशवाओं को हरा दिया था और यह प्रदेश भी अंग्रेजी साम्राज्य का अंग बन गया।

स्‍वतंत्रता संग्राम में महाराष्‍ट्र सबसे आगे था। भारतीय राष्‍ट्रीय कांग्रेस का जन्‍म भी यहीं हुआ। मुंम्बई तथा महाराष्‍ट्र के अन्‍य शहरों के अनगिनत नेताओं ने पहले तिलक और बाद में महात्‍मा गांधी के मार्गदर्शन में कांग्रेस के आंदोलन को आगे बढाया। गांधी जी ने भी अपने आंदोलन का केंद्र महाराष्‍ट्र को बनाया था और गांधी युग में राष्‍ट्रवादी देश की राजधानी सेवाग्राम थी।

देश के राज्‍यों के भाषायी पुनर्गठन के फलस्‍वरूप 1 मई, 1960 को महाराष्‍ट्र राज्‍य का प्रशासनिक प्रादुर्भाव हुआ। यह राज्‍य आसपास के मराठी भाषी क्षेत्रों को मिलाकर बनाया गया, जो पहले चार अलग अलग प्रशासनों के नियंत्रण में था। इनमें मूल ब्रिटिश मुंम्बई प्रांत में शामिल दमन तथा गोवा के बीच का ज़िला, हैदराबाद के निज़ाम की रियासत के पांच जिले, मध्‍य प्रांत (मध्‍य प्रदेश) के दक्षिण के आठ ज़िले तथा आसपास की ऐसी अनेक छोटी-छोटी रियासतें शामिल थी, जो समीपवर्ती ज़िलों में मिल गई थी। महाराष्‍ट्र भारत के उत्तर में बसा हुआ है और भौगोलिक दृष्टि से यह राज्‍य मुख्‍यत: पठारी है। महाराष्‍ट्र पठारों का पठार है। इसके उठे हुए पश्चिमी किनारे सहाद्री पहाडियों का निर्माण करते है और समुद्र तट के समानांतर हैं तथा इसकी ढलान पूर्व तथा दक्षिण पूर्व की ओर धीरे धीरे बढ़ती है। राज्‍य के उत्तरी भाग में सतपुड़ा की पहाडियां है, जबकि अजंता तथा सतमाला पहाडियां राज्‍य के मध्‍य भाग से होकर जाती है। अरब सागर महाराष्‍ट्र की पश्चिमी सीमा का प्रहरी है, जबकि गुजरात और मध्‍य प्रदेश इसके उत्तर में हैं। राज्‍य की पूर्वी सीमा पर छत्तीसगढ है और कर्नाटक तथा आंध्र प्रदेश इसके दक्षिण में है।

महाराष्ट्र की स्थापना के पचास साल पूरे हो गये हैं। महाराष्ट्र और गुजरात का स्थापना दिवस 1मई को मनाया जाता है कभी ये दोनों राज्य मुंम्बई का हिस्सा थे। जब मुंबई राज्य से महाराष्ट्र और गुजरात के गठन का प्रस्ताव आया तो तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने मुंम्बई को अलग केन्द्रशासित प्रदेश बनाने की वकालत की। उनका तर्क था कि अगर मुंम्बई को देश की आर्थिक राजधानी बने रहना है तो यह करना आवश्यक है।

किंतु पंडित नेहरू की नहीं चली। देश के पहले वित्तमंत्री और वित्त विशेषज्ञ चिंतामणि देशमुख ने इसका प्रखर विरोध किया और इसी मुद्दे पर केन्द्रीय मंत्रिमण्डल से इस्तीफा दे दिया। मुंम्बई को महाराष्ट्र में रखने के लिए आंदोलन चला जिसमें कुल 80 लोगों की आहुति हुई लेकिन आखिरकार मुंम्बई महाराष्ट्र का हुआ।

देश को आजादी के ब मध्य बाद भारत के सभी मराठी भाषी स्थानों का समीकरण करके एक राज्य बनाने को लेकर बड़ा आंदोलन चला और 1 मई, 1960 को कोंकण, मराठवाडा, पश्चिमी महाराष्ट्र, दक्षिण महाराष्ट्र, उत्तर महाराष्ट्र (खानदेश) तथा विदर्भ, सभी संभागों को जोड़ कर महाराष्ट्र राज्य की स्थापना की गई।

जनसंख्या

महाराष्ट्र की जनसंख्या सन 2001 में 96,752,247 थी, विश्व में केवल ग्यारह ऐसे देश हैं जिनकी जनसंख्या महाराष्ट्र प्रदेश से ज़्यादा है।

कृषि

महाराष्‍ट्र के लगभग 65 प्रतिशत श्रमिक कृषि तथा संबंधित गतिविधियों पर निर्भर है। यहां की प्रमुख फसलें हैं- धान, ज्‍वार, बाजरा, गेहूं, तूर (अरहर), उडद, चना और दलहन। यह राज्‍य तिलहनों का प्रमुख उत्‍पादक है और मूंगफली, सूरजमुखी, सोयाबीन प्रमुख तिलहनी फसलें है। महत्‍वपूर्ण नकदी फसलें है कपास, गन्‍ना, हल्‍दी और सब्जियां। राज्‍य में 12.90 लाख हेक्‍टेयर क्षेत्र में विभिन्‍न प्रकार के फल, जैसे आम, केला, संतरा, अंगूर, काजू आदि की फसलें उगाई जाती है।

उद्योग

महाराष्‍ट्र को पूरे देश का औद्योगिक क्षमता का केंद्र माना जाता है और राज्‍य की राजधानी मुंम्बई देश की वित्‍तीय तथा वाणिज्यिक गतिविधियों का केंद्र है। राज्‍य की अर्थव्‍यवस्‍था में औद्योगिक क्षेत्र का महत्‍वपूर्ण स्‍थान है। खाद्य उत्‍पाद, तंबाकू और इससे बनी चीजें, सूती कपडा, कपड़े से बना सामान, काग़ज और इससे बनी चीजें, मुद्रण और प्रकाशन, रबड, प्‍लास्टिक, रसायन व रासायनिक उत्‍पाद, मशीनें बिजली की मशीन, यंत्र व उपकरण तथा परिवहन उपकरण और उनके कल पुर्जे आदि का राज्‍य के औद्योगिक उत्‍पादन में महत्‍वपूर्ण योगदान है। वर्ष 2005-06 में औद्योगिक उत्‍पादन (निर्माण) वर्ष 2004-05 के मुकाबले 8.9 प्रतिशत अधिक रहा।

सिंचाई और बिजली

जून 2005 के अंत तक 32 बड़ी, 178 मंझोली और राज्‍य के क्षेत्र की 2,274 लघु सिंचाई परियोजनाएं पूरी हो चुकी थीं इसके अलावा 21 बडी 39 मंझोली सिंचाई परियोजनाओं का निर्माण कार्य जारी है। 2004 से 2005 में राज्‍य में कुल सिंचित क्षेत्र 36.36 लाख हेक्‍टेयर था।

2004-05 में महाराष्‍ट्र की कुल स्‍थापित विद्युत उत्‍पादन क्षमता 12,909 मेगावाट थी। राज्‍य में प्‍लांट लोड फैक्‍टर (पी.एल.एफ) 81.6 प्रतिशत था और बिजली उत्‍पादन 68,507 करोड किलोवाट घंटा था।

परिवहन

सड़क मार्च 2005 तक राज्‍य में सड़कों की कुल लंबाई 2.29 लाख कि.मी. थी, जिसमें राष्‍ट्रीय राजमार्गों की लंबाई 4, 367 कि.मी. प्रांतीय राजमार्गों की 33,406 कि.मी., प्रमुख ज़िला सड़कों की 48,824 कि.मी., अन्‍य ज़िला सड़कों की लंबाई 44,792 कि.मी. और ग्रामीण सड़कों की कुल लंबाई 97,913 कि.मी. थी।

रेलवे महाराष्‍ट्र में 5,527 कि.मी. रेल मार्ग है। इसमें से लगभग 78.6 प्रतिशत बड़ी रेल लाइनें, 7.8 प्रतिशत मीटर गेज तथा 13.6 प्रतिशत छोटी रेल लाइनें है।

उड्डयन राज्‍य में कुल 24 हवाई अड्डे / हवाई पट्टियां है। इनमें से 17 महाराष्‍ट्र सरकार के नियंत्रण में है। चार हवाई अड्डे अंतर्राष्‍ट्रीय हवाई अड्डा प्राधिकरण / भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण के नियंत्रण में हैं, ज‍बकि बाकी तीन रक्षा मंत्रालय के अधीन है। राज्‍य सरकार के नियंत्रण वाले हवाई अड्डों पर अभी व्‍यावसायिक उड़ानों की सुविधा नहीं है।

बंदरगाह मुम्बंई प्रमुख बंदरगाह है। राज्‍य में दो बड़े और 48 छोटे अधिसूचित बंदरगाह हैं।

पर्यटन स्‍थल

यहां के महत्‍वपूर्ण पर्यटन केंद्र है अजंता, एलोरा, एलिफेंटा, कन्‍हेरी और कारला गुफाएं, महाबलेश्‍वर, माथेरन और पंचगनी, जवाहर, मालशेजघाट, अंबोली, चिकलधारा और पन्‍हाला पर्वतीय स्‍थल। पंढरपुर, नाशिक, शिरडी, नांदेड, औधानागनाथ, त्रयंबकेवर, तुलजापुर, गणपतिपुले, भीमशंकर, हरिहरेश्‍वर, शेगाव, कोल्‍हापुर, जेजुरी तथा अंबजोगई धार्मिक स्‍थान है।

प्रमुख नगर

भारत देश में महाराष्ट्र सबसे बड़ा औद्योगिक प्रान्त है। मुंम्बई, पुणे, औरंगाबाद, नागपुर और नाशिक महाराष्ट्र के बडे शहरों में गिने जाते हैं। यहाँ के निवासियों की मातृभाषा मराठी है और यहाँ के लोगों को महाराष्ट्रीयन कहा जाता है। पहाड़ी नगरों में महाबलेश्वर और माथेरान काफ़ी प्रसिद्ध है। छुट्टियों के समय इन नगरों में बहुत ही भीड़ होती है और मौसम भी बहुत सुहावना होता है।

धार्मिक नगरों में नाशिक के काफ़ी नज़दीक शिर्डी नगर है। इस नगर का साईं बाबा का मन्दिर बहुत ही प्रसिद्ध है। इसी तरह मुंम्बई का 'महालक्ष्मी मन्दिर' और पुणे के 'दगडूशेठ गणपति मन्दिर' बहुत ही अधिक ख्याति प्राप्त हैं।

मुंबई पूर्वी न्यूयॉर्क के नाम से भी विख्यात है। मुंबई में चौपाटी, गेटवे ऑफ़ इन्डिया , प्रिन्स वेल्स म्युज़ियम, एलिफ़ेन्टा केव्स और मडआईलॅन्ड बहुत ही प्रसिद्ध है।

पुणे तो महाराष्ट्र का संस्कृति प्रधान नगर माना जाता है। शनिवारवाडा, लाल महल, सिंहगढ़ जैसे ऐतिहासिक स्थान हैं। पुणे का आई॰टी॰ पार्क और लक्ष्मी रोड काफ़ी जाना माना है। औरंगाबाद नगर महाराष्ट्र के मध्य भाग में स्थित है। यहां के अजंता-एलोरा केव्स विश्व प्रसिद्ध हैं। इन गुफाओं में बुद्ध के तक्षण बनाये गये हैं।

नागपुर एक बहुत ही सुन्दर शहर है और यहा के संतरे पूरी दुनिया में जाने माने हैं। नाशिक एक काफ़ी सुन्दर शहर है और यहां का मौसम सुहाना है। नाशिक के कालाराम और दूसरे मन्दिर विख्यात है और लोग गोदावरी नदी में नहाना पवित्र समझते हैं।

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